देहरादूनः आखिरकार बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं ने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली है. दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की मौजूदगी में हरक सिंह और अनुकृति गुसाईं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. जिस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर देखने को मिल रही है.
देहरादून में कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने हरक सिंह रावत के पार्टी ज्वॉइन करने पर आतिशबाजी कर खुशियां मनाई. इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि किसी के आने से परिवार मजबूत होता है और परिवार को इससे ताकत मिलती है. ऐसे में प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व ने यदि इतना महत्वपूर्ण फैसला लिया है तो यह प्रदेश और पार्टी हित में लिया गया फैसला होगा.
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उन्होंने कहा कि इसमें चुनावी समीकरणों को भी ध्यान में रखकर हरक सिंह को पार्टी में शामिल किया गया होगा. गरिमा ने कहा कि हरक सिंह भविष्य में पार्टी की रीति और नीतियों को आगे बढ़ाने का काम करेंगे और कांग्रेस का झंडा बुलंद करेंगे. कांग्रेस परिवार में आज नए सदस्य जुड़े हैं, निश्चित रूप से इससे कांग्रेस में खुशी की लहर है.
गौर हो कि बीते दिनों पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बीजेपी ने सरकार और संगठन से निकाल बाहर कर दिया था. इसके बाद बीजेपी की तरफ से बयान भी आया था कि हरक सिंह रावत परिवारवाद को तवज्जों दे रहे थे, इसलिए उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया.
वहीं, बीजेपी से निकाले जाने के बाद हरक सिंह रावत का बयान भी सामने आया. हरक ने कहा कि बीजेपी ने बिना उनसे पूछे इतना बड़ा फैसला लिया, लेकिन अब मन हल्का हो गया है. बीजेपी अब अपनी गलती छिपाने की लिए उन पर आरोप लगा रही है. इस दौरान हरक सिंह रावत की आंखों में आंसू निकल आए.
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हरक सिंह रावत को क्यों किया निष्कासितः 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हरक सिंह रावत लंबे समय से बीजेपी से नाराज चल रहे थे. रावत लगातार अपनी नाराजगी को सार्वजनिक तौर पर जता भी रहे थे. बताया जा रहा है कि हरक सिंह रावत बीजेपी से अपने और अपनी बहू दोनों के लिए विधानसभा का टिकट मांग रहे थे, लेकिन बीजेपी ने साफ तौर पर उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि एक परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं दिया जा सकता.
इनके लिए टिकट मांग रहे थे हरक सिंहः हरक सिंह रावत अपनी बहू अनुकृति गुसाईं रावत के लिए लैंसडाउन से टिकट मांग रहे थे. चर्चा है कि वो यमकेश्वर और केदारनाथ सीट से भी टिकट की मांग कर रहे थे. उनकी ये मांगें बीजेपी को बिल्कुल मंजूर नहीं थी. भारतीय जनता पार्टी 'एक परिवार-एक टिकट' के फॉर्मूले पर ही अडिग थी. बताया जा रहा है कि इसी की वजह से हरक सिंह रावत टिकट वितरण के लिए चल रही मीटिंग में भी शामिल नहीं हुए थे. उनकी इसी हरकत से पार्टी हाईकमान नाराज हुआ. इसके साथ ही हरक सिंह रावत को सरकार से बर्खास्त और पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया.
15 जनवरी को मीटिंग में नहीं पहुंचे थेः 15 जनवरी को बीजेपी कोर कमेटी की टिकट वितरण को लेकर देहरादून में मीटिंग थी. हरक सिंह रावत इस मीटिंग में नहीं पहुंचे थे. जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि उन्हें मीटिंग की जानकारी नहीं दी गई थी. उधर उत्तराखंड बीजेपी के चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी का कहना था कि उन्होंने हरक सिंह रावत को फोन किया था. उनका फोन नहीं लगा था.
मांग नहीं मानने पर रूठे थे हरकः उत्तराखंड के सत्ता के गलियारों में ये चर्चा थी कि हरक सिंह रावत समझ चुके थे कि बीजेपी कोर कमेटी की बैठक में टिकटों को लेकर उनकी मांग नहीं मानी जाएगी. इसलिए खबर उड़ी कि हरक ने जान-बूझकर अपने मोबाइल नंबर नॉच रीचेबल कर दिए थे. ऐसी भी चर्चा तेज रही कि वो इस दौरान दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से बातचीत कर रहे थे.
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कई दिन से कर रहे थे दबाव की राजनीतिः दरअसल त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरक सिंह रावत की कमजोर नस दबा कर रखी हुई थी. उनके श्रम विभाग पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत कई मामलों की जांच करा रहे थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत हरक सिंह रावत को ज्यादा भाव भी नहीं देते थे. मुख्यमंत्री बदलने के बाद हरक एकदम से सवा सेर बन गए. हरक पिछले काफी दिनों से विधानसभा चुनाव में मनमाफिक टिकट के लिए दबाव की राजनीति कर रहे थे.
हरक को आखिर विदा कर ही दियाः इधर लगातार हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की भी चर्चाएं उठती रही थी. इसको देखते हुए रविवार को भाजपा ने आखिर यह कदम उठा लिया. अपनी बहू अनुकृति रावत के लिए लैंसडाउन सीट से टिकट की मांग खारिज होने से नाराज हरक रविवार दोपहर दिल्ली रवाना हो गए थे. इसे भी बीजेपी ने गंभीर मामला माना. इसके बाद बीजेपी हाईकमान ने राज्य की लीडरशिप को साफ कह दिया कि हरक की कोई बात अब नहीं मानी जाएगी.
बार-बार अनुशासन कर रहे थे तार-तारः बीजेपी खुद को पार्टी विद डिफरेंस कहती रही है. बीजेपी में अनुशासन को सर्वोपरि माना जाता है. कैबिनेट मंत्री रहते हुए हरक सिंह रावत पिछले पांच साल से बार बार भारतीय जनता पार्टी के अनुशासन का मखौल उड़ाते आ रहे थे. यही कारण रहा कि अब कांग्रेस में जाने की चर्चाओं के बीच भाजपा को उनके खिलाफ सख्त कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा. हरक सिंह रावत पिछले पांच सालों में कई बार पार्टी के लिए असहज स्थितियां पैदा कर चुके थे. जिस पर विपक्षी भी बीजेपी की चुटकी लेने में पीछे नहीं रहते थे.
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बीजेपी के फाउंडर मेंबर पहले ही नाराज थेः 2016 में कांग्रेस से बगावत करके जो 9 विधायक बीजेपी में आए थे उन्हें बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता कभी अपना नेता मान ही नहीं सके थे. इनमें हरक सिंह रावत की आए दिन की उछलकूद से पार्टी कार्यकर्ता बेहद नाराज थे. हरक के करीबी उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ तो पार्टी कार्यकर्ताओं ने कई बार खुलेआम विरोध भी जताया. इतना विरोध जताया कि उमेश शर्मा काऊ के आंसू तक निकल आए.
हाईकमान ने कई बार मनायाः जब से पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने तब से हरक सिंह रावत के रूठने के रोज नए बहाने सामने आने लगे. देहरादून दौरे के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरक सिंह रावत से एयरपोर्ट पर पूछा था कि आपकी दबंगई ठीक चल रही है ना. अमित शाह भी उत्तराखंड दौरे के दौरान हरक सिंह रावत को विशेष अटेंशन देते रहे हैं. जेपी नड्डा ने भी समय-समय पर हरक सिंह रावत को समझाया. बात-बात पर हरक की रूठने और मनमानी पर उतर आने को बीजेपी ने अब बर्दाश्त नहीं करने का निर्णय लिया.
कैबिनेट की मीटिंग से तमतमाते हुए चले गए थेः 24 दिसंबर 2021 को उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक चल रही थी. अचानक बैठक से हरक सिंह रावत के गुस्से में बाहर चले जाने और इस्तीफा देने की खबर आई थी. इससे उत्तराखंड की राजनीति में हड़कंप मच गया था. अगले 24 घंटे तक हरक सिंह रावत नॉट रीचेबल थे. फिर 25 दिसंबर की रात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से हरक सिंह रावत की मुलाकात हुई. सरकार ने घुटने के बल झुककर हरक सिंह रावत की सभी मांगें मानी थी. तब जाकर हरक सिंह रावत माने थे.
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बीजेपी ने इस बार दिया सख्त संदेशः बीजेपी के इस संदेश को बहुत सख्त संदेश माना जा रहा है. इसे पार्टी विद डिफरेंस का संदेश कहा जा सकता है. हरक सिंह रावत को सरकार से बर्खास्त और और पार्टी से निष्कासित करके बीजेपी ने बता दिया है कि अब किसी की मनमानी मांगों के आगे सरेंडर नहीं किया जाएगा. जो भी ऐसी कोशिश करेगा, उसका हश्र हरक सिंह रावत जैसा होगा.