देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा (uttarakhand assembly) में बैक डोर से भर्ती (back door recruitment) होने वालों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से भी करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) की डबल बेंच के फैसले को यथावत रखा है और तदर्थ कर्मियों की याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं इस मामले पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि विधानसभा में नियुक्ति पाने वाले गलत हैं तो फिर उन्हें नियुक्ति देने वाले कैसे सही हो सकते हैं. कांग्रेस का कहना है कि वो जो पहले से कहती आ रही है आज भी कांग्रेस उसी स्टैंड पर कायम है कि यह न्याय अधूरा है. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता (Congress State Spokesperson Congress) गरिमा दसौनी का कहना है कि अगर नियुक्ति पाने वालों ने गलत रास्ता चुना है तो फिर उन्हें नियुक्ति देने वाले फिर कैसे सही हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि उन रसूखदार लोगों पर कब कार्रवाई होगी. जिन्होंने इन कर्मचारियों को इस दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है. अब उनको यह समझ नहीं आ रहा है कि वह आखिर क्या करें.
पढ़ें-भ्रष्टाचार के फरार आरोपी आईएफएस अधिकारी किशन चंद को झटका, अखाड़े के महामंत्री पद से हटाया
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) आखिर अपने उन बड़े नेताओं पर कार्रवाई कब करेगी, जिन्होंने बैक डोर से नियुक्तियां दी हैं. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में वर्ष 2016 के बाद की बैक डोर से हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया गया था. जिसके बाद हटाए गए अभ्यार्थियों पर नैनीताल हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. इसको लेकर हटाए गए अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जहां उन्होंने याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद गुरुवार को 228 तदर्थ कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से भी करारा झटका लगा है.