देहरादून: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अपने चार दिवसीय गढ़वाल दौरे के बाद वापस देहरादून लौटे. वापस आते ही उन्होंने यूपी और उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की मौजूदगी में बदरीनाथ में लगभग 20 नाली भूमि उत्तर प्रदेश पर्यटक आवास गृह को दे दी गई, जबकि इस प्राइम लोकेशन में उत्तराखंड का भवन निर्माण किया जा सकता था.
प्रीतम सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान पर भी नाराजगी व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिसंपत्तियों को लेकर अब कोई विवाद नहीं है. प्रीतम सिंह ने कहा कि बदरीनाथ में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने प्राइम लोकेशन की जमीन उत्तर प्रदेश सरकार के सुपुर्द कर दी. क्या उस जमीन में उत्तराखंड सरकार का भवन नहीं बनाया जा सकता था, वर्तमान में उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड का परिसंपत्ति बंटवारा होना बाकी है. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार दोनों हाथों से रेवड़ियां बांट रही है.
वहीं, बीते दिन रुद्रप्रयाग में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के जिले दौरे के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता कई धड़ों में बंटे नजर आए. कांग्रेस यूथ केदारनाथ विधानसभा के अध्यक्ष और रुद्रप्रयाग विधानसभा अध्यक्ष कार्यक्रम से गायब रहे. दरअसल, अपने पहले चरण के कार्यक्रम के तहत भाजपा की भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ जनता के बीच जाकर प्रीतम सिंह ने जनसभाएं आयोजित की. उनका कार्यक्रम रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में भी था.
जखोली ब्लाॅक प्रमुख प्रदीप थपलियाल उनके स्वागत में कार्यकर्ताओं के साथ खड़े थे, जबकि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा के कार्यकर्ता रुद्रा बैंड में अध्यक्ष के स्वागत में खड़े दिखे. वहीं, पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष के स्वागत में पूरे मुख्यालय में पोस्टर और पंपलेट लगा रखा था.पंपलेट में मातबर सिंह कंडारी के पुत्र राजीव कंडारी और कांग्रेस हाईकमान के आला पदाधिकारियों की तस्वीरें थी. ये तीनों ही कांग्रेस से आगामी विधानसभा के प्रबल दावेदार हैं, लेकिन अभी से इनमें एकजुटता नजर नहीं आ रही है. सभी अपनी-अपनी तरफ से कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व को खुश करने में लगे हुए हैं.
ये भी पढ़ें: CM के पेयजल पंपिंग योजना के उद्घाटन कार्यक्रम पर उठे सवाल, ग्रामीणों ने बताया छलावा
बता दें कि ब्लाॅक प्रमुख जखोली प्रदीप थपलियाल वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बागी के रूप में चुनाव लड़े. वे पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथाणी के खास माने जाते हैं और उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगा, लेकिन कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दे दिया. ऐसे में प्रदीप थपलियाल ने बगावत का रास्ता अपना लिया और टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा. उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी अपने पक्ष में कर लिया. ऐसे में कांग्रेस को रुद्रप्रयाग विधानसभा के चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.
थपलियाल के बगावत करने का फायदा भाजपा प्रत्याशी को मिला और वे बंपर वोट से जीत गए. ऐसा ही हाल पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी का भी है. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में माबतर सिंह कंडारी भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े, जबकि उनके संबंधी डाॅ. हरक सिंह रावत कांग्रेस से टिकट मिलने पर मजबूरन ही रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़े. उनकी रुद्रप्रयाग से चुनाव लड़ने की कोई मंशा नहीं थी, लेकिन पार्टी हाईकमान के सामने वे कुछ नहीं कर सके. उन्हें मजबूरन चुनाव लड़ना पड़ा और उन्होंने मात्र 14 दिनों में चुनाव जीतकर साबित कर दिया कि वे जिस भी विधानसभा में जाते हैं, वहां से चुनाव जीतकर आते हैं.
अब फिर से ये मातबर सिंह कंडारी, प्रदीप थपलियाल और लक्ष्मी राणा विधानसभा की तैयारियों में जुट गए हैं. ये तीनों ही राजनीति के धुरंधर हैं. जहां प्रदीप थपलियाल वर्तमान में ब्लाॅक प्रमुख जखोली की कुर्सी पर काबिज हैं, तो मातबर सिंह कंडारी पूर्व में काबीना मंत्री रह चुके हैं. वहीं, लक्ष्मी राणा पहले से ही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभाल चुकी है, लेकिन इन्होंने कांग्रेस में अपने-अपने धड़ों को तैयार किया है. जिससे एक बार फिर से कांग्रेस हाशिये पर नजर आ रही है