देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस ने मोदी सरकार के बजट को निराशाजनक बताया है. आईसीसी सदस्य गरिमा दसौनी का कहना है कि पहली नजर में जो बजट समझ में आ रहा है, उसके मुताबिक उत्तराखंड को जो दरकार थी, वह इस बजट में पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है. जीएसटी लागू होने के बाद पर्वतीय राज्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इसमें 22 सौ करोड़ का सालाना नुकसान का अंदेशा है.
गरिमा ने कहा कि मुख्य सचिव तक कह चुके हैं कि कोरोना काल में उत्तराखंड को चार हजार करोड़ का अतिरिक्त नुकसान झेलना पड़ा है. ऐसे में इस प्रदेश को बजट से भारी अपेक्षाएं थी. सीमांत क्षेत्रों से लगते हुए प्रदेश के लिए धन की आवश्यकता है. इसके अलावा 70 से 71 फीसदी वनाच्छादित प्रदेश होने के कारण यहां सड़कें या संस्थान नहीं बन पाते हैं. प्रदेश में फॉरेस्ट कवर या एनजीटी का चाबुक चल जाता है. इसका मुआवजा प्रदेश को मिलना चाहिए था.
गरिमा ने कहा कि इसके अलावा सरकार को एमएसएमई सेक्टर के लिए कुछ करना चाहिए था. महिलाओं के लिए बजट में कुछ होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे भौगोलिक विषमताओं वाले राज्य में हेल्थ सेक्टर के लिए कुछ घोषणा होनी चाहिए थी. वहां भी निराशा हाथ लगी है. ऐसे में ही यह बजट प्रथम दृष्टया बिल्कुल फ्लॉप बजट नजर आ रहा है.
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कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी केंद्रीय बजट को घोर निराशाजनक बताया है. उन्होंने कहा कि महंगाई ने आम जनमानस की कमर तोड़ रखी है. अनाज, पेट्रोल, डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं. आम आदमी का जीना मुहाल है. सूर्यकांत धस्माना ने कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित किए गए 20 लाख करोड़ के पैकेज का भी हिसाब मांगते हुए कहा कि मोदी सरकार को यह बताना चाहिए कि यह पैकेज कहां गया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में 12 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जो स्ट्रक्चर 70 सालों में खड़ा किया था, मोदी सरकार उसे लगातार बेच रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पूरे देश को खोखला कर दिया है.