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करारी शिकस्त के बाद भी उत्तराखंड कांग्रेस नेताओं को नहीं टेंशन, हार 'हुई तो हुई' - कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी हार की कर रही समीक्षा

उत्तराखंड कांग्रेस नहीं ले रही हार से सबक. अभी भी धड़ों में बटे कार्यकर्ता.

उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय.
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Published : Jun 6, 2019, 10:34 PM IST

Updated : Jun 7, 2019, 12:00 AM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की हुई करारी हार के बाद न तो पार्टी संगठन की तरफ से किसी ने हार की जिम्मेदारी ली है और न ही चुनावी हार की समीक्षा की गई है. उत्तराखंड में खोये जनाधार को वापस पाने में नाकाम कांग्रेस पर देखिए ये खास रिपोर्ट...

जानकारी देते मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी.

लोकसभा चुनाव 2019 में भी उत्तराखंड कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2014 की तरह ही राज्य की पांचों सीटों पर कमल खिला. खास बात यह है कि लगातार हो रही करारी हार के बावजूद कांग्रेस संगठन न तो इससे सबक ले रहा है और न ही आने वाली चुनौतियों से निपटने की कोई तैयारी ही कर रहा है.

पढ़ें- प्रकाश पंत को याद कर भर आईं आंखें, पक्ष-विपक्ष ने दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

दरअसल, 23 मई को लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी हार को लेकर मंथन कर रही है. हार के बाद ही राहुल गांधी ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा तक पेश किया. इसके बाद बकायदा सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस वर्कर्स कमेटी) की बैठक की गई. यही नहीं देश भर के तमाम राज्यों ने भी हार की वजह जानने के लिए समीक्षा की. लेकिन, उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस संगठन न तो हार की समीक्षा के लिए कोई मंथन कर पाया है और न ही पार्टी के किसी नेता ने हार के लिए अपनी जिम्मेदारी तय की है.

उत्तराखंड में कांग्रेस कई धड़ों में बटा हुआ है. इनमें से कोई भी धड़ चुनावी हार के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं मानता. अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रीतम सिंह भी इस हार की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं. इससे साफ होता है कि हार के बाद भी कांग्रेस के नेता न तो एक होने को तैयार हैं और न ही कांग्रेस को आगे बढ़ाने के लिए आगामी चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, पंचायत चुनाव भी उत्तराखंड में जल्द होने वाले हैं. 19 जून को मतदाता सूची में नाम शामिल करने की अंतिम तिथि है. बावजूद कांग्रेस ने किसी तरह की तैयारियां शुरू नहीं की है.

पढ़ें- केदारनाथ में सरकार के दावे की पोल खोलता यात्रियों का दर्द, पढ़ें खबर...

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी की मानें तो अब पार्टी में मंथन का वक्त है. चिंतन-मंथन की तैयारी जल्द ही की जाएगी. उत्तराखंड संगठन की सबसे बड़ी हार की वजह पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी है. ये गुटबाजी चुनावी हार के बाद भी खत्म नहीं हुई. इसका उदाहरण सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है. यहां पार्टी के बड़े नेताओं से जुड़े कार्यकर्ता एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़कर छींटाकशी कर रहे हैं. इससे तो यही कहा जा सकता है कि आने वाले पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को चुनावी जीत को लेकर कोई खास परवाह नहीं है.

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की हुई करारी हार के बाद न तो पार्टी संगठन की तरफ से किसी ने हार की जिम्मेदारी ली है और न ही चुनावी हार की समीक्षा की गई है. उत्तराखंड में खोये जनाधार को वापस पाने में नाकाम कांग्रेस पर देखिए ये खास रिपोर्ट...

जानकारी देते मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी.

लोकसभा चुनाव 2019 में भी उत्तराखंड कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2014 की तरह ही राज्य की पांचों सीटों पर कमल खिला. खास बात यह है कि लगातार हो रही करारी हार के बावजूद कांग्रेस संगठन न तो इससे सबक ले रहा है और न ही आने वाली चुनौतियों से निपटने की कोई तैयारी ही कर रहा है.

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दरअसल, 23 मई को लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी हार को लेकर मंथन कर रही है. हार के बाद ही राहुल गांधी ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा तक पेश किया. इसके बाद बकायदा सीडब्ल्यूसी (कांग्रेस वर्कर्स कमेटी) की बैठक की गई. यही नहीं देश भर के तमाम राज्यों ने भी हार की वजह जानने के लिए समीक्षा की. लेकिन, उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस संगठन न तो हार की समीक्षा के लिए कोई मंथन कर पाया है और न ही पार्टी के किसी नेता ने हार के लिए अपनी जिम्मेदारी तय की है.

उत्तराखंड में कांग्रेस कई धड़ों में बटा हुआ है. इनमें से कोई भी धड़ चुनावी हार के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं मानता. अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रीतम सिंह भी इस हार की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर चुके हैं. इससे साफ होता है कि हार के बाद भी कांग्रेस के नेता न तो एक होने को तैयार हैं और न ही कांग्रेस को आगे बढ़ाने के लिए आगामी चुनौतियों से निपटने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं, पंचायत चुनाव भी उत्तराखंड में जल्द होने वाले हैं. 19 जून को मतदाता सूची में नाम शामिल करने की अंतिम तिथि है. बावजूद कांग्रेस ने किसी तरह की तैयारियां शुरू नहीं की है.

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कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी की मानें तो अब पार्टी में मंथन का वक्त है. चिंतन-मंथन की तैयारी जल्द ही की जाएगी. उत्तराखंड संगठन की सबसे बड़ी हार की वजह पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी है. ये गुटबाजी चुनावी हार के बाद भी खत्म नहीं हुई. इसका उदाहरण सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रहा है. यहां पार्टी के बड़े नेताओं से जुड़े कार्यकर्ता एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़कर छींटाकशी कर रहे हैं. इससे तो यही कहा जा सकता है कि आने वाले पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को चुनावी जीत को लेकर कोई खास परवाह नहीं है.

Intro:उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की करारी हार भी कांग्रेस संगठन के लिए सबक नहीं बन पा रही है.. चुनाव में जबर्दस्त हार के बावजूद ना तो पार्टी संगठन की तरफ से किसी ने अब तक हार की जिम्मेदारी ली है और ना ही चुनावी हार के लिए कोई समीक्षा की गई है। देखिये ये खास रिपोर्ट.....


Body:लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड कॉन्ग्रेस एक भी सीट पर कब्जा नहीं कर पाई 2014 की तरह राज्य में 2019 में भी पांचों सीटों पर कमल ही खिला... खास बात यह है कि इस करारी हार के बावजूद कांग्रेस संगठन ना तो सबक ले रहा है और ना ही आने वाली चुनौतियों से निपटने की कोई तैयारी ही की जा रही है। दरअसल 23 मई को चुनावी परिणाम घोषित होने के बाद कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी हार को लेकर मंथन कर चुकी है इसके लिए बकायदा सीडब्ल्यूसी की बैठक भी की जा चुकी है यही नहीं देश भर के तमाम राज्यों ने भी हार के लिए वजह को अपनी समीक्षा में उठाया है लेकिन उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस संगठन ना तो अब तक हार की समीक्षा के लिए कोई मंथन कर पाया है और ना ही पार्टी के किसी नेता ने हार के लिए अपनी जिम्मेदारी तय की है।

दिल्ली में सीडब्ल्यूसी की एक दौर की बैठक हो चुकी है जबकि 7 जून को सीडब्ल्यूसी की दूसरी बैठक होना प्रस्तावित बताया जा रहा है इसमें राष्ट्रीय स्तर पर हो रही हार की समीक्षा की जानी है

लोकसभा चुनाव में हार के बाद 13 राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों ने खुद की जिम्मेदारी बताते हुए इस्तीफे तक की पेशकश की है

उत्तर प्रदेश असम मध्य प्रदेश पंजाब समेत कई राज्यों में अध्यक्षों ने ली है जिम्मेदारी

चुनाव में हार के लिए उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों की समीक्षा बैठक हो चुकी है जबकि दक्षिण भारत में भी तमाम राज्यों में समीक्षा का दौर जारी है

13 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब तक प्रदेश प्रभारी ने उत्तराखंड में नहीं ली हार की समीक्षा की कोई बैठक

उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पार्टी के दूसरे बड़े नेता हार की समीक्षा को लेकर नहीं आए अब तक एक मंच पर

उत्तराखंड में 19 जून मतदाता सूची में नाम शामिल करने की अंतिम तिथि है यानी पंचायत चुनाव जल्द उत्तराखंड में होने जा रहे हैं बावजूद इसके तैयारियां शुरू ही नहीं की गई है

उत्तराखंड कांग्रेस में सोशल मीडिया के जरिए हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ने को लेकर चल रहा है वार

उत्तराखंड कांग्रेस में कई धड़े हैं और सभी धड़े चुनावी हार के लिए खुद को जिम्मेदार नहीं मानते यहां तक कि अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रीतम सिंह भी खुद की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर चुके हैं यानी साफ है कि हार के बाद भी ना तो यह नेता एक होने को तैयार है ना ही कांग्रेस को आगे बढ़ाने के लिए आगामी चुनौतियों से निपटने की ही तैयारी कर रहे हैं हालांकि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी की माने तो अब पार्टी में मंथन का वक्त है और जल्द चिंतन मंथन की तैयारी की जा रही है

बाइट मथुरा दत्त जोशी मुख्य प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस



Conclusion:उत्तराखंड संगठन की सबसे बड़ी हार की वजह पार्टी के अंदर चल रही धनी बाजी को बताया गया है और यह घड़ी बाजी चुनावी हार के बाद भी खत्म नहीं हुई है इसका सीधा नमूना सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है जहां पर पार्टी के बड़े नेताओं से जुड़े कार्यकर्ता एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ छींटाकशी कर रहे हैं। इसे तय है कि आने वाले पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को चुनावी जीत को लेकर कोई खास परवाह नहीं है।

पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
Last Updated : Jun 7, 2019, 12:00 AM IST
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