देहरादून: महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड की राजनीति में अहम भूमिका निभा चुके हैं. इसके साथ ही भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राजनीतिक गुरु भी हैं. भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड बीजेपी के धुरंधर नेताओं में से एक हैं और पिछले सात दिनों से देहरादून में मौजूद हैं और अपने राजनीतिक गुरु से मिलने में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 6 दिन लग गए हैं, जिसके बाद कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं.
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आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री @BSKoshyari जी से उनके डिफेंस कॉलोनी (देहरादून) स्थित आवास पर भेंट की। pic.twitter.com/EkYgpUnCQf
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— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 20, 2023आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री @BSKoshyari जी से उनके डिफेंस कॉलोनी (देहरादून) स्थित आवास पर भेंट की। pic.twitter.com/EkYgpUnCQf
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कांग्रेस ने उठाए सवाल: सोमवार 20 फरवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कोश्यारी से उत्तराखंड आने के 6 दिनों बाद उनके डिफेंस कॉलोनी स्थित आवास पर मुलाकात की है. इस मुलाकात की किसी को न तो भनक लगी और न ही इस मुलाकात को कवर करने के लिए मीडिया के कैमरे मौके पर मौजूद थे. ऐसे में कांग्रेस इस बात को भुनाने में लगी है कि राजनीतिक गुरु-चेले के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि वापस आने पर न तो भगत सिंह कोश्यारी का वैसा स्वागत हुआ, जैसा होना चाहिए था और न ही शिष्य की अपने गुरु के प्रति वो गर्मजोशी दिखाई दे रही है. ऐसी स्थिति दाल में कुछ काला होना बता रही है.
देहरादून में हैं भगत सिंह कोश्यारी: महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राजधानी देहरादून में रह रहे हैं. राज्यपाल पद से इस्तीफा देने से पहले प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि वह अब चिंतन और ध्यान करना चाहते हैं और अपने पद से पद मुक्त होना चाहते हैं. चिट्ठी की इन लाइनों से राजनीतिक विश्लेषकों ने यह अनुमान लगाना शुरु कर दिया कि महाराष्ट्र से उत्तराखंड में आने के बाद हो सकता है कि भगत सिंह कोश्यारी यहां कोई नई पारी खेलने न लग जाएं.
दरअसल, भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गुरु भी हैं. ऐसे में तमाम बीजेपी के छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मंत्रियों और विधायकों को यह लगता है कि उनकी एक सिफारिश से सरकार या संगठन में उन्हें कोई ना कोई पद या रुके हुए काम पूरे हो जाएंगे. यही कारण है कि भगत सिंह कोश्यारी के देहरादून स्थित डिफेंस कॉलोनी आवास में सुबह से शाम तक सरकार और संगठन के नेताओं का आना-जाना लगा रहता है. लोगों की भीड़ को देखते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने निर्णय लिया है कि वह राजधानी देहरादून नहीं बल्कि आने वाले कुछ दिनों के भीतर अपने गांव बागेश्वर का रुख करेंगे.
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भगत सिंह कोश्यारी को लेकर उत्तराखंड की राजनीति को करीब से जानने वाले लोग कहते हैं कि इतनी जल्दी भगत सिंह कोश्यारी घर में बैठने वाले नहीं हैं. वे अभी ताजा-ताजा राज्यपाल का पद छोड़कर उत्तराखंड लौटे हैं, ऐसे में हो सकता है कि वह कुछ दिनों का विश्राम या एकांतवास में चले जाएं. लेकिन आने वाले कुछ महीनों में उनकी सक्रियता या उनके बयान राजनीति से पूरी तरह से प्रेरित होंगे. लोग भगत सिंह कोश्यारी का दबदबा जानते हैं, यही कारण है कि सुबह से शाम तक जितनी भीड़ मुख्यमंत्री आवास में नेताओं की और विधायकों की नहीं लग रही है, उससे कई अधिक विधायक और नेता भगत सिंह कोश्यारी के डिफेंस कॉलोनी आवास पर सुबह से लेकर शाम तक चक्कर काट रहे हैं.
भीड़ से परेशान हुए भगत सिंह कोशियारी: जिस दिन महाराष्ट्र से पद मुक्त होने के बाद भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड पहुंचे थे, उस दिन जिस स्वागत की उम्मीद जताई जा रही थी, उन्हें वह स्वागत भले ही ना मिला हो. लेकिन उनके घर पहुंचने के बाद उनके साथ चर्चा हर कोई करना चाहता है. भगत सिंह कोश्यारी को एयरपोर्ट पर लेने के लिए सरकार का कोई नुमाइंदा मौजूद नहीं था. हालांकि संगठन के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कुछ कार्यकर्ता के साथ उन्हें रिसीव करने जौलीग्रांट एयरपोर्ट जरूर पहुंचे थे.
भगत सिंह कोश्यारी को लेकर यह चर्चाएं भी तेजी से सामने आती रही हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही सत्ता की कुर्सी पर बैठे हो, लेकिन नेताओं के कामकाज और कई अधिकारियों के चक्कर भगत सिंह कोश्यारी के दिल्ली और मुंबई स्थित आवास पर हमेशा से लगते रहे हैं. लोगों को यह उम्मीद है कि भगत सिंह कोश्यारी मौजूदा सरकार में पुष्कर सिंह धामी से कोई भी काम उनका करवा सकते हैं यही कारण है कि भगत सिंह कोश्यारी से मिलने वालों की संख्या का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. उसमें मंत्री गणेश जोशी हों या फिर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, प्रेमचंद अग्रवाल या फिर रेखा आर्य. एक दर्जन से ज्यादा विधायक भी इन 7 दिनों में उनसे मुलाकात कर चुके हैं.
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घर नहीं बैठेंगे भगत सिंह कोश्यारी: वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत कहते है कि लोग भले ही भगत सिंह कोश्यारी के पास सिफारिश को लेकर जा रहे हों. लेकिन, ये सभी जानते हैं कि उत्तराखंड बीजेपी में भगत सिंह कोश्यारी हों या विजय बहुगुणा, या फिर कांग्रेस में हरीश रावत या हरक सिंह रावत ये नाम ऐसे हैं कि कभी भी कुछ कर सकते हैं. ऐसे में भगत सिंह कोश्यारी इतने महत्वपूर्ण राज्य को छोड़ कर आएं हैं और वो भी तब जब उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में तो देवभूमि की राजनीति में कुछ भी हो सकता है. ऐसे में सभी मिलने वाले नेता इस उम्मीद के साथ भी हैं कि कहीं भगत सिंह कोश्यारी कल किसी पोजीशन पर आ गए तो उनका ध्यान रखेंगे. जय सिंह रावत का मानते हैं कि कोश्यारी यूं शांत नहीं बैठेंगे, क्योंकि राजनीति के माहिर खिलाड़ी इतनी आसानी से घर पर नहीं बैठ सकते हैं.