देहरादूनः उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत सरकार के कार्यकाल को एक माह का समय पूरा हो गया है. हालांकि, यह एक महीने का कार्यकाल बीजेपी सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल पर भारी पड़ता नजर आया. क्योंकि, इस एक महीने के दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने न सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई फैसलों को बदल दिया. बल्कि, कई विवादित बयान देकर चर्चाओं में बने रहे. मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद तीरथ सिंह रावत ने जनता की नब्ज पकड़ कर आगे बढ़ने की बात कही थी, जो इस एक महीने में होता दिखाई दिया.
उत्तराखंड राज्य में साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. इतना ही नहीं, जैसे-तैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने करीब 4 साल का कार्यकाल पूरा किया. हालांकि, लंबे समय से चल रहे नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट 6 मार्च 2021 को अचानक और तेज हो गई. इतना ही नहीं, इस बात पर भी मुहर लग गई कि जल्द ही उत्तराखंड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया जाएगा और ऐसा ही हुआ. 9 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आलाकमान के निर्देश के बाद राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंप दिया.
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बीते 10 मार्च को खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश के नए मुखिया के रूप में तीरथ सिंह रावत के नाम का ऐलान कर दिया. जिसके बाद 10 मार्च को ही तीरथ सिंह रावत ने शपथ ग्रहण कर मुख्यमंत्री के रूप में काबिज हो गए. हालांकि, मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि वह जनता का चेहरा पढ़ेंगे, उसकी आवाज सुनेंगे और फिर निर्णय लेंगे. लिहाजा, तीरथ सिंह रावत ने अपने इस वर्तमान एक महीने के कार्यकाल के दौरान इस बात को प्रूफ कर दिया. क्योंकि, इस 1 महीने के कार्यकाल के दौरान तीरथ सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक के बाद एक फैसले बदल डाले. इसे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में पैदा हुई एंटी इनकम्बेंसी की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है.
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कामकाज को लेकर मंत्री हुए फ्री तो अफसरशाही पर कसा शिकंजा
राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद गठन की गई मंत्री परिषदों को कामकाज करने के लिए हर तरह की छूट दे दी गई, ताकि राज्य के विकास कार्यों में गति आ सके. इसके अतिरिक्त मंत्री परिषद को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस बात के लिए प्रेरित किया कि इस साल समय बेहद कम है. लिहाजा, आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत अपने-अपने क्षेत्रों के कार्यों को तय समय के भीतर अमलीजामा पहनाएं. इसके साथ ही अफसरशाही पर भी लगाम लगाते हुए अधिकारियों को इस बाबत सख्त निर्देश दिए गए कि विकास कार्यों से जुड़ी किसी भी फाइल को रोका नहीं जाएगा. इसके अतिरिक्त जनता और जनप्रतिनिधियों की समस्याओं का निराकरण तत्काल प्रभाव से किया जाएगा.
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मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह ने लिए बड़े फैसले
- मुख्यमंत्री बनने के बाद ही तीरथ सिंह रावत ने महाकुंभ को लेकर बड़ा फैसला लिया था. उस दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा था कि कुंभ मेला सबके लिए खुला है और इस कुंभ मेले में कोई भी आ सकता है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद कुंभ मेला में सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा.
- मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोविड काल के दौरान दर्ज किए गए करीब 5 हजार मुकदमों को वापस लेने के भी आदेश दिए.
- चमोली के घाट क्षेत्र के आंदोनकारियों पर दर्ज मुकदमे न सिर्फ वापस किए गए बल्कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत जिस सड़क की मांग को नियम विरुद्ध बताते हुए ग्रामीणों पर लाठीचार्ज तक करवा चुके थे, उस सड़क को तीरथ सरकार ने डेढ़ लेन में कन्वर्ट करने के आदेश जारी करने में देर नहीं लगाई.
- ग्रामीण क्षेत्रों में गले की फांस बन चुके जिला विकास प्राधिकरण को भी तीरथ सिंह रावत ने तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया. हालांकि, जिला विकास प्राधिकरण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान बनाए गए थे.
- तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनते ही कर्मकार कल्याण बोर्ड को एक बार फिर श्रम मंत्री के अधीन कर दिया. कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए गए कर्मचारियों को उनकी हटाने के दिन से ही वापस तैनात कर दिया गया.
- 4 मार्च 2021 को बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाने की घोषणा की थी. जिस पर विरोध शुरू हो गया था. लिहाजा, मुख्यमंत्री बनने के बाद ही तीरथ सिंह रावत ने इस घोषणा को वापस ले लिया.
- उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर चल रहे विवाद को देखते हुए मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत ने इस बोर्ड में शामिल चारधाम समेत 51 मंदिरों को मुक्त कर दिया. इसके साथ ही इस बोर्ड को लेकर पुनर्विचार करने की बात कही.
- तीरथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ग्राम पंचायतों को पंचायत भवन देने का निर्णय लिया और इसके लिए तीन साल का समय भी निर्धारित किया.
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तीरथ सिंह के विवादित बयान, जिन्होंने खींचा सभी का ध्यान
- मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि आजकल लड़के घुटना फाड़ कर ही अपने आपको बड़ा समझते हैं. लड़कियां भी अब उनकी तरह फटी हुईं जींस से घुटने दिखाती हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यह बयान लोगों को यह बताने के लिए दिया है कि बच्चों को संस्कार अच्छे दें, लेकिन मुख्यमंत्री के इस बयान का शोर हर जगह सुनाई दिया. हालांकि, इस बयान पर उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी थी.
- इतना ही नहीं तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान राम और कृष्ण से कर दी थी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से द्वापर और त्रेता युग में भगवान राम व कृष्ण को लोग उनके कामों की वजह से भगवान मानने लगे थे. उसी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आने वाले समय में भगवान राम और कृष्ण की तरह मानने लगेंगे.
- पहले दो विवादित बयान देने के बाद सीएम तीरथ सिंह रावत ने एक बार फिर विवादित बयान दिया था, हालांकि उस दौरान कहा कि दो बच्चे पैदा किए, उन्हें कम राशन मिला. अगर उन्होंने ज्यादा बच्चे पैदा किए होते तो ज्यादा राशन मिलता. तीरथ सिंह रावत लॉकडाउन के दौरान राशन वितरण को लेकर बोल रहे थे. जिस दौरान सीएम ने कहा कि कम बच्चे पैदा करना किसकी गलती है.
- इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि भारत ने दो सौ साल अमेरिका की गुलामी की. जिस पर हरीश रावत ने जमकर चुटकी ली थी. हरदा ये तक कह दिया था, धन्य हो उनका इतिहास का ज्ञान.
- मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत यहीं नहीं रुके बल्कि एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बनारस में कुंभ मेले के आयोजन की बात कह दी. इस पर लोगों ने उनकी खूब खिंचाई की. लोगों ने चुटकी लेते हुए कहा कि लेकिन मुख्यमंत्री जी को इतना नहीं पता कि कुंभ मेला चार स्थानों पर लगता है. वो स्थान हैं हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और इलाहाबाद.
सीएम तीरथ ने बनाया कीर्तिमान, गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम हो दर्जः सूर्यकांत धस्माना
वहीं, तीरथ सिंह रावत के कार्यकाल को एक महीने का वक्त पूरा होने के सवाल पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि एक महीने में सूबे के मुखिया ने जितने कीर्तिमान रिकॉर्ड बनाए हैं, ऐसे में उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में आना चाहिए. क्योंकि, इस एक महीने में फटी जींस, महिलाओं की वेश भूषा, अमेरिका की गुलामी और बनारस में कुंभ को लेकर जो ज्ञानवर्द्धन मुख्यमंत्री ने किया है, वो अभी 7 महीने के वक्त में पता नहीं क्या-क्या करेंगे.
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सुबोध उनियाल ने तीरथ सिंह रावत का किया बचाव
शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल में बताया कि यह कार्यकाल 1 महीने का नहीं है बल्कि, बीजेपी सरकार, पिछले 4 सालों से कार्य कर रही है. ऐसे में व्यक्ति विशेष की सरकार नहीं होती. बल्कि, सरकार पार्टी की नीति और पार्टी के कार्यक्रम के साथ ही जो साल 2017 में वादे किए गए थे उसे लेकर आगे बढ़ रही है. हालांकि, राज्य में चेहरा बदला है, सत्ता नहीं बदली है. लिहाजा, समय-समय पर जनता की भावनाओं को देखते हुए नियमों और योजनाओं का पुनरीक्षण किया जा रहा है. फिर जनहित एवं परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लिए जा रहे हैं.
बरहाल, कुल मिलाकर देखें तो तीरथ सरकार के पास बेहद कम वक्त ही बचा है, जो कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से महज 8 महीने का ही वक्त है. लिहाजा, इन 8 महीने में न सिर्फ तीरथ सरकार को विकास कार्यों से जुड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारना है बल्कि, आगामी चुनाव के मद्देनजर चुनावी जमीन को भी मजबूत करना है.