देहरादून: उत्तराखंड में पर्यटन भले ही राज्य सरकार की प्राथमिकता में रहा हो, लेकिन फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों की एक विशेष प्रवृत्ति के कारण वन क्षेत्रों में विकास पीछे रह जाता है. मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू ने इस बात का जिक्र करते हुए राज्य में ईको-टूरिज्म की बेहद अधिक संभावनाएं बताते हुए सरकार की तरफ से उठाए गए, जरूरी कदम पर अपनी बात रखी.
ईको-टूरिज्म की संभावनाएं: मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू यूं तो पिछले दिनों भी अधिकारियों को समस्याओं की जगह समाधान निकालने पर जोर देते हुए नजर आए थे. लेकिन इस बार डॉ. एसएस संधू के निशाने पर वन विभाग के अधिकारी दिखाई दिए. दरअसल, ईको-टूरिज्म पर बोलते हुए डॉ. एसएस संधू ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों की प्रवृत्ति रेगुलेटरी वाली होती है, ऐसे में कई अधिकारी विकास को पीछे छोड़ देते हैं. मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड में वन क्षेत्र बेहद ज्यादा है और यहां ईको-टूरिज्म की भी संभावनाएं सबसे अधिक हैं. लेकिन इस सबके बावजूद अधिकारियों की रेगुलेटरी वाली प्रवृत्ति (नियंत्रित करने वाली प्रवृत्ति) परेशानी बनती है.
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प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की कोशिश: हालांकि सरकार की तरफ से इन्हीं स्थितियों को देखते हुए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है और इसी तरह जिला स्तर पर जिलाधिकारियों की अध्यक्षता वाली कमेटी भी गठित की गई है. ताकि इको-टूरिज्म को लेकर जो भी प्रस्ताव आए उन पर तेजी से काम किया जा सके. राज्य में ऊर्जा की स्थितियों पर भी मुख्य सचिव ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि कई पर्यावरणविद कोर्ट में नए प्रोजेक्ट पर आपत्ति दर्ज कराते रहे हैं. लिहाजा कुछ प्रोजेक्ट पर रोक है, लेकिन जिन प्रोजेक्ट पर रोक नहीं है, उन पर काम को आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं.