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अच्छी खबर: धामी कैबिनेट ने नजूल भूमि के हजारों पट्टाधारकों को दी बड़ी राहत

सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सबसे ज्यादा जमीनों से जुड़े मामलों पर फैसले लिए गये. कैबिनेट बैठक में नजूल भूमि पट्टाधारकों को बड़ी राहत दी गई है. वर्षों से नजूल पट्टों पर काबिज पट्टाधारकों अब अपने पट्टों को फ्री होल्ड करा सकेंगे.

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Published : Sep 25, 2021, 1:21 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट बैठक हुई. कैबिनेट बैठक में सबसे ज्यादा जमीनों से जुड़े मामलों पर फैसले लिए गये, जिसमें कई मामलों को सिंगल विंडो सिस्टम और वन टाइम सेटेलमेंट के माध्यम से निपटाने के दिशा में प्रयास किये गये हैं, तो कई स्थानीय निकायों का उच्चीकरण भी किया गया है.

नजूल भूमि पट्टाधारकों को बड़ी राहत: प्रदेश के शहरी निकाय क्षेत्रों में नजूल भूमि के हजारों पट्टाधारकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी गई है. वर्षों से नजूल पट्टों पर काबिज पट्टाधारकों अब अपने पट्टों को फ्री होल्ड करा सकेंगे. साथ ही उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. अध्यादेश के तहत पूर्व में बनी नजूल नीति को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है.

राज्य की राजधानी देहरादून, उधम सिंह नगर और नैनीताल के नगरीय क्षेत्रों में काफी नजूल भूमि है. इस नजूल भूमि पर आम लोग वैध व अवैध रूप से काबिज हैं. इस भूमि का उपयोग राज्य व केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों और नगर निकायों व प्राधिकरणों द्वारा भी किया जा रहा है.

नजूल भूमि विवादः सरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. बता दें कि देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं. कहीं भूमि लीज पर है तो कहीं इस पर दशकों से कब्जे हैं.

इसके अलावा उत्तराखंड भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत जनहित में फिलिंग स्टेशन की स्थापना के लिए भवन निर्माण और विकास की उपविधि में संशोधन कर मानकों में छूट दी गई है. एकल आवास और कमर्शियल भवनों/आवासीय भू-उपयोग में व्यवसायिक दुकान और आवासीय क्षेत्रों में नर्सिंग होम/क्लीनिक/ओपीडी/पैथोलॉजी लैब/नर्सरी स्कूल इत्यादि के विनियमतिकरण हेतु एकल समाधान योजना 24 सितम्बर, 2021 से बढ़ाकर मार्च 2022 तक करने का निर्णय लिया गया है.

पढ़ें- कैबिनेट: कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 11% बढ़ा, नजूल भूमि फ्री होल्ड, श्रीनगर बनाया गया नगर निगम

परिसंपत्तियों पर लगी रोक हटाई: कैबिनेट ने राज्य स्थापना से बाद से अबतक प्रदेश में मौजूद उत्तर प्रदेश की परिसंपत्तियों जो कि उत्तराखंड में स्थित उत्तरप्रदेश आवास विकास परिषद के तहत परिसंपत्तियों को सील किया गया था. इनके विक्रय, निर्माण और विकास कार्य पर रोक लगी थी, इस रोक को आज हटाने का फैसला लिया गया है.

इसके अलावा जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को अधिक सुदृढ़ एवं उपयोगी बनाने के लिये मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन, मंत्री बंशीधर भगत, अरविंद पाण्डेय, सुबोध उनियाल के रूप में किया जायेगा. स्टोन क्रशर, अवैध खनिज भण्डारों के वन टाइम सेटलमेंट के लिये नियमावली में संशोधन किया जायेगा. स्टोन क्रशर/प्लान्ट मालिकों/स्क्रीनिंग प्लांट स्वामी/अवैध खनन कर्ताओं पर आरोपित दण्डारोपण के लिये नियमावली बनेगी. इस मामले को दो माह में निस्तारित करने होंगे और नियमावली बनने के बाद दो माह के लिये प्रभावी होगी.

केदारनाथ और बदरीनाथ में पुनर्निर्माण के तहत अधिप्राप्ति नियमावली में छूट दी गई. अब 75 लाख तक के कार्य सिंगल बिड से किये जा सकते हैं.

कई निकायों का उच्चीकरण: इसके साथ ही कई निकायों का उच्चीकरण किया गया है, जिसमें लोहाघाट को नगर पालिका बनाने की मंजूरी दी गई है. ग्राम पंचायत नगला, जनपद उधमसिंह नगर को नगरपालिका परिषद बनाने की मंजूरी मिली है. श्रीनगर को नगर निगम बनाया गया है. तो वहीं, टिहरी नरेन्द्रनगर, तपोवन को नगर पंचायत बनाने का फैसला लिया गया है.

सभी अस्पतालों को 5 टाइप में किया वर्गीकृत: राज्य में स्थापित चिकित्सा इकाईयों के आईपीएचएस मानकीकरण के क्रम में जनपदवार चिकित्सीय इकाइयों को, टाइप-ए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, टाइप-बी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, सामुदायिक चिकित्सा केंद्र, उपजिला चिकित्सा केंद्र और जिला चिकित्सा केंद्र के रूप में 5 वर्गों में बांटने का फैसला लिया गया.

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट बैठक हुई. कैबिनेट बैठक में सबसे ज्यादा जमीनों से जुड़े मामलों पर फैसले लिए गये, जिसमें कई मामलों को सिंगल विंडो सिस्टम और वन टाइम सेटेलमेंट के माध्यम से निपटाने के दिशा में प्रयास किये गये हैं, तो कई स्थानीय निकायों का उच्चीकरण भी किया गया है.

नजूल भूमि पट्टाधारकों को बड़ी राहत: प्रदेश के शहरी निकाय क्षेत्रों में नजूल भूमि के हजारों पट्टाधारकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी गई है. वर्षों से नजूल पट्टों पर काबिज पट्टाधारकों अब अपने पट्टों को फ्री होल्ड करा सकेंगे. साथ ही उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. अध्यादेश के तहत पूर्व में बनी नजूल नीति को निरस्त करने का प्रावधान किया गया है.

राज्य की राजधानी देहरादून, उधम सिंह नगर और नैनीताल के नगरीय क्षेत्रों में काफी नजूल भूमि है. इस नजूल भूमि पर आम लोग वैध व अवैध रूप से काबिज हैं. इस भूमि का उपयोग राज्य व केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों और नगर निकायों व प्राधिकरणों द्वारा भी किया जा रहा है.

नजूल भूमि विवादः सरकार के कब्जे की ऐसी भूमि जिसका उल्लेख राजस्व रिकॉर्ड में नहीं है. ऐसी भूमि का रिकॉर्ड निकायों के पास होता है. बता दें कि देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर के अलावा नैनीताल जिले के तराई क्षेत्र में सबसे अधिक नजूल भूमि है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 392,204 हेक्टेयर नजूल भूमि है. इस भूमि के बहुत बड़े हिस्से पर डेढ़ लाख से अधिक लोग काबिज हैं. कहीं भूमि लीज पर है तो कहीं इस पर दशकों से कब्जे हैं.

इसके अलावा उत्तराखंड भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत जनहित में फिलिंग स्टेशन की स्थापना के लिए भवन निर्माण और विकास की उपविधि में संशोधन कर मानकों में छूट दी गई है. एकल आवास और कमर्शियल भवनों/आवासीय भू-उपयोग में व्यवसायिक दुकान और आवासीय क्षेत्रों में नर्सिंग होम/क्लीनिक/ओपीडी/पैथोलॉजी लैब/नर्सरी स्कूल इत्यादि के विनियमतिकरण हेतु एकल समाधान योजना 24 सितम्बर, 2021 से बढ़ाकर मार्च 2022 तक करने का निर्णय लिया गया है.

पढ़ें- कैबिनेट: कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 11% बढ़ा, नजूल भूमि फ्री होल्ड, श्रीनगर बनाया गया नगर निगम

परिसंपत्तियों पर लगी रोक हटाई: कैबिनेट ने राज्य स्थापना से बाद से अबतक प्रदेश में मौजूद उत्तर प्रदेश की परिसंपत्तियों जो कि उत्तराखंड में स्थित उत्तरप्रदेश आवास विकास परिषद के तहत परिसंपत्तियों को सील किया गया था. इनके विक्रय, निर्माण और विकास कार्य पर रोक लगी थी, इस रोक को आज हटाने का फैसला लिया गया है.

इसके अलावा जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को अधिक सुदृढ़ एवं उपयोगी बनाने के लिये मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन, मंत्री बंशीधर भगत, अरविंद पाण्डेय, सुबोध उनियाल के रूप में किया जायेगा. स्टोन क्रशर, अवैध खनिज भण्डारों के वन टाइम सेटलमेंट के लिये नियमावली में संशोधन किया जायेगा. स्टोन क्रशर/प्लान्ट मालिकों/स्क्रीनिंग प्लांट स्वामी/अवैध खनन कर्ताओं पर आरोपित दण्डारोपण के लिये नियमावली बनेगी. इस मामले को दो माह में निस्तारित करने होंगे और नियमावली बनने के बाद दो माह के लिये प्रभावी होगी.

केदारनाथ और बदरीनाथ में पुनर्निर्माण के तहत अधिप्राप्ति नियमावली में छूट दी गई. अब 75 लाख तक के कार्य सिंगल बिड से किये जा सकते हैं.

कई निकायों का उच्चीकरण: इसके साथ ही कई निकायों का उच्चीकरण किया गया है, जिसमें लोहाघाट को नगर पालिका बनाने की मंजूरी दी गई है. ग्राम पंचायत नगला, जनपद उधमसिंह नगर को नगरपालिका परिषद बनाने की मंजूरी मिली है. श्रीनगर को नगर निगम बनाया गया है. तो वहीं, टिहरी नरेन्द्रनगर, तपोवन को नगर पंचायत बनाने का फैसला लिया गया है.

सभी अस्पतालों को 5 टाइप में किया वर्गीकृत: राज्य में स्थापित चिकित्सा इकाईयों के आईपीएचएस मानकीकरण के क्रम में जनपदवार चिकित्सीय इकाइयों को, टाइप-ए प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, टाइप-बी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, सामुदायिक चिकित्सा केंद्र, उपजिला चिकित्सा केंद्र और जिला चिकित्सा केंद्र के रूप में 5 वर्गों में बांटने का फैसला लिया गया.

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