देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के नजदीक औली में विंटर गेम्स और स्कीइंग को लेकर लंबे समय से बड़ी संभावनाएं देखी जा रही हैं. वहीं, अब इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने विकास प्राधिकरण को मंजूरी देकर एक बड़ा कदम उठाया है.
जोशीमठ भू धंसाव के बाद से ही लगातार मांग उठ रही है कि पहाड़ों में शहरों के विकास सुनियोजित तरीके के किया जाए. इसी के साथ पहाड़ों में शहरों की भार क्षमता और केयरिंग कैपेसिटी को लेकर भी तमाम तरह की बातें की जा रही हैं. ऐसे समय में अपार संभावनाओं से भरे विंटर गेम्स के इंटरनेशनल डेस्टिनेशन औली में व्यवस्थित विकास होना बेहद जरूरी हो जाता है.
व्यवस्थित विकास बेहद जरूरी: औली उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड के पर्यटन के लिए निश्चित तौर से एक बड़ी संभावनाओं भरा विषय है. लेकिन इन संभावनाओं को कसौटी पर उतारने के लिए सरकार को सबसे पहले पहाड़ों पर आने वाली इस तरह की तमाम चुनौतियों से जूझना होगा, जिसके लिए एक व्यवस्थित विकास बेहद जरूरी है.
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यही वजह है कि औली को विकसित करने के लिए सबसे पहले इसके मास्टर प्लान और व्यवस्थित विकास की जरूरत है. इसी दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड सरकार ने औली के लिए विकास प्राधिकरण की मंजूरी दी है.
औली की खासियत: ऐसा नहीं है कि विंटर गेम्स के लिए केवल उत्तराखंड ही एक डेस्टिनेशन भारत में मौजूद है. जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में उत्तराखंड से काफी पहले से स्कींग होती रही है, लेकिन अब उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल को पछाड़ रहा है. यही वजह है कि पिछले साल जम्मू कश्मीर और हिमाचल को नहीं बल्कि उत्तराखंड को नेशनल विंटर गेम्स अलॉट हुए हैं. इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि भारत में केवल उत्तराखंड के औली में ही वर्ल्ड स्टैंडर्ड का FIS अप्रूव स्लोप मौजूद है.
यूरोप को टक्कर दे रहा औली: भारत में हिमाचल के मनाली और जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग जैसी खूबसूरत विंटर गेम्स डेस्टिनेशन हैं, लेकिन यह उत्तराखंड में मौजूद औली की प्राकृतिक बनावट कह लीजिए या फिर अवस्थापना विकास को लेकर उत्तराखंड सरकार और पर्यटन विभाग के लगातार प्रयासों का नतीजा कि आज औली डेस्टिनेशन विंटर गेम्स के लिहाज से यूरोप को टक्कर दे रहा है.
स्कीइंग स्लोप को बढ़ाया जाएगा: औली विकास प्राधिकरण के तहत प्रस्तावित मास्टर प्लान के अनुसार औली के इजुदा स्कीइंग स्लोप को 3.5 किलोमीटर से बढ़ा कर गोरसों टॉप तक ले जाया जाएगा, जो बेहद ऊंचाई पर है. वहां हमेशा बर्फ रहती है. कभी-कभी औली में बर्फ का अभाव जरूर होता है, लेकिन फिर ऐसी स्थिति नहीं आयेगी. साथ ही रोपवे को भी गोरसों तक विस्तारित किया जायेगा.
जोशीमठ एक बड़ी चुनौती: विंटर गेम्स के लिए औली इंटरनेशनल मानकों खरा उतरता है. इसकी बड़ी वजह है पिछले कुछ सालों से औली में लगातार किये गये अवस्थापना विकास कार्य. वहीं अब औली विकास प्राधिकरण को मंजूरी देना औली के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा. हालांकि औली के डेवलपमेंट में जोशीमठ एक बड़ी चुनौती जरूर हो सकता है, लेकिन जिस तरह से मास्टर प्लान को उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट में अप्रूवल दिया है, उससे साफ है कि जोशीमठ और औली क्षेत्र में अब अव्यवस्थित नहीं बल्कि प्लानिंग के अनुरूप डेवलपमेंट किया जाएगा.
इस डेवलपमेंट में पर्यटन के साथ-साथ औली में विंटर गेम्स की संभावनाओं को पूरी जगह दी जाएगी. वैसे भी चमोली के जोशीमठ और औली जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में प्लानिंग के अनुरूप विकास करना जरूरत ही नहीं, बल्कि सरकार की मजबूरी भी है.
विश्वस्तरीय सुविधाएं डेवलप होंगी: बहरहाल कैबिनेट में औली विकास प्राधिकरण को मंजूरी मिलने के बाद यहां विश्वस्तरीय सुविधाएं डेवलप होंगी. मास्टर प्लान और प्राधिकरण के अप्रूवल से पहले ही सरकार का पूरा होमवर्क औली पर हो चुका है. औली जैसी जगह में FIS अप्रूव स्लोप उत्तराखंड के पास होना एक बड़ी उपलब्धि है.
FIS यानी फेडरेशन ऑफ इंडरनेशल स्कीइंग तभी किसी स्लोप को अप्रूव करता है, जब वहां पर विश्वस्तरीय सुविधाएं मौजूद होती हैं. साथ ही उपकरणों की गुणवत्ता वर्ल्ड स्टैंडर्ड से मैच करती है और आस पास में अतंराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लायक सुविधाएं हों.
औली में अच्छे स्टैंडर्ड की चेयर लिफ्ट, नजदीक में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस गेस्ट हाउस और नजदीक में हेलीपैड भी मौजूद हैं, तो वहीं औली में आईटीबीपी का माउंटेनियरिंग एंड स्कीइंग इंस्टीट्यूट भी है. अब प्राधिकरण को मंजूरी मिलने के बाद एक व्यवस्थित रोड मैप धरातल पर देखने को मिलेगा.