देहरादूनः चारधाम यात्रा की सारी व्यवस्थाओं की कमान सरकार के हाथों में दिए जाने को लेकर उत्तराखंड कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल बैठक में जम्मू-कश्मीर में बने श्राइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक-2019 को मंजूरी मिल गई है. ऐसे में यात्रा दुरुस्त करने और श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने की जिम्मेदारी सरकार की होगी.
उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक-2019 को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आगामी 4 दिसंबर से होने वाले शीतकालीन सत्र में चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक बिल को सदन के पटल पर रखा जाएगा. चारधाम श्राइन बोर्ड में केदारनाथ धाम, बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री धाम, यमुनोत्री धाम समेत प्रदेश के 51 सहयोगी मंदिरों को भी शामिल किया जाएगा.
श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे और बोर्ड का सीईओ, शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को बनाया जाएगा. इतना ही नहीं प्रदेश का मुख्यमंत्री मुस्लिम होने पर हिंदू, वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष चुना जाएगा. साथ ही धर्मस्व मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष और संबंधित क्षेत्रों के सांसद, विधायक और प्रमुख दानकर्ता को बोर्ड सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा. साथ ही चारधामों के पुजारी एवं वंशागत पुजारी का प्रतिनिधित्व भी बोर्ड में होगा.
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उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड के अहम बिंदु-
- बोर्ड की बैठक साल में एक बार होना अनिवार्य होगी.
- बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अखिल भारतीय सेवा के सचिव स्तर के उच्च अधिकारी बनाए जाएंगे. जो सामान्य प्रबंधन व्यवस्था देखेंगे और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के निर्णय के खिलाफ अपील, बोर्ड में की जा सकेगी.
- बोर्ड का काम मुख्य रूप से नीति बनाना, बजट आवंटन करना, प्रबंधन हेतु मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दिशा-निर्देश, प्रबंधन तंत्र का आधुनिकीकरण और चारधाम स्थित मंदिर व परिसर का विकास करना होगा.
- श्री बदरी-केदार मंदिर समिति के समस्त कार्यरत कर्मचारी श्राइन बोर्ड के कर्मचारी माने जाएंगे और अन्य पदों का भी सृजन किया जाएगा.
- बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर के जो भी पुजारी, रावल, नायक रावल, पंडे के परंपरागत अधिकार संरक्षित रहेंगे. इनके नियुक्ति और अधिकारों को संरक्षित करने के लिए बदरी-केदार मंदिर समिति के समस्त प्रधानों को बोर्ड में शामिल किया जाएगा.
- सभी हक-हकूकों के संरक्षण के लिए बोर्ड एक समिति का गठन करेगा. जो समस्त परंपरागत से संबंधित विवाद का निस्तारण भी करेगी और अपीलीय अधिकारी बोर्ड में ही निहित होगा.
- चारधाम के मंदिरों एवं परिसर के विकास और रख-रखाव करने के लिए चारधाम निधि का गठन भी किया जाएगा.