देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उपचुनाव (cm tirath by election) को लेकर उत्तराखंड में लंबे समय से सियासी घमासान देखने को मिल रहा है, जहां एक ओर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उपचुनाव (by election uttarakhand) को लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (tirath singh rawat) के उपचुनाव की तैयारियों में दमखम से जुटी हुई हैं. ऐसे में अब मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कहां से उपचुनाव लड़ेंगे, इसकी स्थिति रविवार को स्पष्ट हो सकती है.
27 जून को रामनगर में भाजपा का चिंतन शिविर आयोजित (BJP chintan baithak) होने जा रहा हैं, जहां 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (uttarakhand assembly election 2022) को लेकर रणनीति बनाई जाने के साथ ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उपचुनाव को लेकर भी चर्चा की जाएगी. माना यह जा रहा है कि रामनगर में भाजपा के चिंतन शिविर (ramnagar BJP chintan baithak) में मुख्यमंत्री कहां से उपचुनाव लड़ेंगे, इस पर निर्णय लिया जाएगा.
भाजपा अपनी रणनीतियों को तैयार करने के लिए समय-समय पर चिंतन मनन शिविर आयोजित करती है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों के साथ ही प्रदेश स्तर के पदाधिकारी मौजूद रहते हैं. इसी क्रम में 27 जून को रामनगर में आयोजित होने जा रहे भाजपा के चिंतन मनन शिविर में केंद्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, प्रदेश सह प्रभारी रेखा वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत समेत 31 नेता शामिल होंगे. शिविर का शुभारंभ रामनगर में दोपहर 3 बजे होगा.
प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने बताया कि भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है. बीजेपी संगठन में सभी निर्णय आलाकमान लेता हैं. ऐसे में 27 जून को जो रामनगर में चिंतन शिविर हो रहा है, उसमें सारी रणनीति तय की जाएंगी. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे, क्या कुछ पार्टी की रणनीति रहेगी यह सब चिंतन शिविर में तय कर लिया जाएगा.
मुख्यमंत्री के पास 10 सिंतबर का तक समय
बता दें कि उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को इसी साल नौ मार्च को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था. तब तय किया गया था कि छह महीने के अंदर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को उपचुनाव लड़ाकर विधानसभा का सदस्य बनाया जाएगा. मुख्यमंत्री बने रहने के लिए तीरथ सिंह रावत को आगामी 10 सिंतबर तक विधानसभा की सदस्या ग्रहण करनी है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में ये थोड़ा मुश्किल लग रहा है.
उपचुनाव के नियम
क्योंकि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 (क) के अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग को राज्य सभा, लोक सभा और राज्यों के विधानसभाओं की किसी भी सीट के खाली होन पर छह माह की अवधि के अंदर उपचुनाव कराने होते हैं. लेकिन इसी धारा 151 (क) धारा की उपधारा में ये यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस धारा में कोई बात उस दशा में लागू नहीं होगी, जिसमें (अ) किसी रिक्ति से संबंधित सदस्य की पदावधि का शेष भाग एक साल से कम है या (ब) निर्वाचन आयोग केंद्रीय सरकार से परामर्श करके, यह प्रमाणित करता है कि उक्त अवधि के भीतर ऐसा उप निर्वाचन करना कठिन है.
क्या कहते हैं जानकार
ऐसे में उत्तराखंड में संवैधानिक संकट की बात की जा रही है. लेकिन इस पर भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी ने कहा कि निर्वाचन आयोग विशेष प्रावधानों के तहत उपचुनाव करा सकती है और सीएम तीरथ सिंह रावत अपनी पंसद की किसी भी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
कांग्रेस ने संवैधानिक संकट का सवाल खड़ा किया
हालांकि, कांग्रेस इस मानने को तैयार नहीं है. कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि यदि सरकार ने निर्वाचन आयोग को दबाव में लेकर उपचुनाव कराने की कोशिश की तो कोर्ट तक जाएंगे. कांग्रेस उत्तराखंड में सवैधानिक संकट की बात कर रही है. वहीं, बीजेपी मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को चुनाव लड़ाने पर मथन कर रही है. बता दें कि प्रदेश में इस समय दो विधानसभा सीटें (गंगोत्री और हल्द्वानी) खाली है.