देहरादून: उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए 25 मई को कपिल सिब्बल ने समाजवादी पार्टी के समर्थन से अपना नामांकन दाखिल कर दिया. वहीं, उत्तराखंड में भी राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी ने तैयारियां तेज कर दी हैं. उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी का पलड़ा भारी है. ऐसे में उत्तराखंड से राज्यसभा में बीजेपी का प्रत्याशी ही जाएगा. उत्तराखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा का कार्यकाल 4 जुलाई को पूरा हो रहा है.
ऐसे में बीजेपी ने खाली सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी कर ली है. 24 मई को चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी थी. वहीं, 31 मई तक उम्मीदवारों के नामांकन होंगे और 10 जून को राज्यसभा सीट के लिए मतदान होगा.
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इस वक्त बीजेपी के 47 विधायक विधानसभा में हैं. लिहाजा कांग्रेस के पास ऐसा मौका नहीं है कि राज्यसभा के लिए मेंबर का भी चुनाव कर सकें. लिहाजा कांग्रेस राज्यसभा चुनाव की दृष्टि से शांत बैठी है. वहीं, बीजेपी ने लगभग 10 नेताओं के नाम पार्टी आलाकमान को भेज दिए हैं, जिसमें से कोई एक नाम बीजेपी हाईकमान को फाइल करना है. हालांकि अभीतक बीजेपी के जो दो प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, वो दोनों प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम सबसे आगे चल रहा है. इसके अलावा चंपावत के पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी नाम भी सामने आ रहा है. क्योंकि गहतोड़ी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी विधायक छोड़ी है, ऐसे में पार्टी उनका कद बढ़ा सकती है, यानी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है. इसके साथ ही पैनल में जो नाम भेजे गए हैं. उनमें अनिल गोयल, कुलदीप कुमार, ज्योति प्रसाद गैरोला, केदार जोशी, कल्पना सैनी, श्यामवीर सैनी और आशा नौटियाल के नाम भी है. लेकिन सबसे प्रबल दावेदारी त्रिवेंद्र सिंह रावत की मानी जा रही है.
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पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक की माने तो पार्टी ने राज्य में से लगभग 10 लोगों के नाम भेजे हैं. हालांकि पहले चर्चाएं ये थी कि बीजेपी राज्य से बाहर के बड़े नेता को उत्तराखंड से राज्यसभा भेज सकती है, लेकिन अब बताया जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने अपना फैसला बदल दिया है और प्रदेश के ही किसी बड़े नेता को राज्यसभा भेजा जाएगा. सूत्रों की माने तो इसके पीछे एक बड़ी वजह ये मानी जा रही है कि राज्य बनने के बाद जितने बाहर के नेताओं को बीजेपी और कांग्रेस ने यहां से राज्यसभा भेजा है, उन्होंने उत्तराखंड में दोबारा मुड़कर नहीं देखा है. इसमें फिर चाहे कैप्टन सतीश शर्मा हो या फिर सत्यव्रत चतुर्वेदी और राज बब्बर ही क्यों न हों.