देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 23 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. जिसमें भितरघातियों का हाथ माना जा रहा है. लिहाजा, बीजेपी संगठन ने चुनाव में हार और भितरघात की शिकायतों पर उनकी समीक्षा के लिए पदाधिकारियों को जांच के लिए भेजा था. जिन्होंने अप्रैल महीने में ही अपनी रिपोर्ट संगठन को दे दी थी, लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी बीजेपी में भितघातियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई है.
सूत्रों की माने तो चंपावत उपचुनाव (Champawat By election) तक पार्टी किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने जा रही है. क्योंकि, विधानसभा चुनाव के बाद जो रिपोर्ट पदाधिकारियों ने हारी हुई सीटों पर जाकर समीक्षा और बैठकों के बाद दी. उसमें कई बड़े नाम भी शामिल हो सकते हैं. ऐसे में बीजेपी प्रदेश संगठन मुख्यमंत्री के चंपावत उपचुनाव के मद्देनजर और विपक्षियों को अपने ऊपर हावी होने का कोई मौका नहीं देना चाहती है.
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यही वजह है कि बीजेपी प्रदेश संगठन ने फिलहाल विधानसभा चुनाव के भितरघातियों पर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के उपचुनाव के बाद पार्टी की अनुशासन कमेटी भितरघातियों के खिलाफ बड़ा कदम भी उठा सकती है, लेकिन फिलहाल बीजेपी इस मामले को करीब एक माह से दबाए हुए हैं. जिससे भितरघातियों को भी कुछ दिन संगठन में अपने आकाओं की मदद से कार्रवाई को रोकने के लिए समय भी मिल गया है.
बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand assembly election 2022) में बीजेपी 47 सीटों के साथ बहुमत में तो आई थी, लेकिन 23 सीटों पर हार का मुंह भी देखना पड़ा था. खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी खटीमा से अपनी पारंगत सीट हार गए थे तो कई दिग्गज विधायक भी चूक गए. जिसके बाद बीजेपी के प्रत्याशियों ने खुलकर अपनी हार का कारण प्रदेश संगठन के कई बड़े पदाधिकारियों पर भितरघात का आरोप लगाया था.
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वहीं, बीजेपी ने संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों की ड्यूटी इन हारी हुई सीटों पर लगाई. उन्होंने इन सीटों पर तीन चरण में बैठक कर अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन और राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष को सौंपी थी. जिस पर बीएल संतोष ने कहा था कि यह रिपोर्ट अनुशासन समिति को भेज दी गई है. जल्द ही कार्रवाई की जाएगी, लेकिन एक माह से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है.
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