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Year Ender 2021: उत्तराखंड ने झेला हरिद्वार कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़े का दंश!

इसी साल उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन हुआ था. कथित तौर पर इस मेले के आयोजन के बाद ही कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप शुरू हुआ. हालांकि आयोजन के समय कोविड टेस्टिंग को लेकर भारी इंतजाम किए गए थे. लेकिन मेले के समापन के साथ ही उत्तराखंड को कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़े का दंश झेलना पड़ा था.

Year Ender 2021
हरिद्वार कुंभ कोरोना टेस्ट
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Published : Dec 23, 2021, 7:19 AM IST

देहरादून: साल 2021 उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदा के बाद हरिद्वार कुंभ में कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा झटका भी झेलना पड़ा. अप्रैल में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. जिसके बाद जिला प्रशासन एक्शन मोड में आ गया. एक जांच रिपोर्ट में सामने आया कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं.

हरिद्वार जिला प्रशासन और एसआईटी की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है. जिनमें कहा गया है कि हरिद्वार में कुंभ उत्सव के दौरान कोरोना टेस्टिंग के लिए काम करने वाली प्राइवेट लैब्स की तरफ से नकली रिपोर्ट जारी की गई थीं.

अप्रैल में कुंभ का आयोजन: हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ का आयोजन किया गया था और इस अवधि में 9 एजेंसियों और 22 प्राइवेट लैब की तरफ से लगभग चार लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे. मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली एक समिति की तरफ से की गई जांच में प्राइवेट एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं. जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से ज्यादा लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया था.

ये था मामला: हरिद्वार में हुए कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में घोटाला सामने आया था. कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया था.

एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग: स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर रजिस्टर्ड था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

ये भी पढ़ें: Kumbh Corona Test Scam: आरोपियों की संपत्ति हो सकती है कुर्क, SIT का कोर्ट में प्रार्थना-पत्र

ऐसे हुआ खुलासा: हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी.

लेकिन स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की. ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था. उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.

ये भी पढ़ें: Kumbh Covid Test Scam: AAP नेता अजय कोठियाल ने की CBI जांच की मांग

लैब पर केस हुआ था: हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. हरिद्वार के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तहरीर पर नगर कोतवाली में मैक्स कॉर्पोरेट सोसायटी के साथ नलवा लैब और डॉ. लाल चंदानी लैब सेंट्रल दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं तत्कालीन एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया था.

सैंपल कलेक्टर्स कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे: ये भी बताया जा रहा है कि एजेंसी में रजिस्टर्ड लगभग 200 नमूना संग्राहक (Sample Collectors Employed) छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे. सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ता है. एक अधिकारी ने बताया कि 'जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 प्रतिशत राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे'.

लैब को मिलते थे इतने पैसे: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ़ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है.

CBI जांच की मांग: हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान हुए कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े (Covid Testing Scam) की जांच को लेकर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाए हैं. आप नेता अजय कोठियाल ने कोरोना टेस्टिंग घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. साथ ही आरोप लगाया कि कुंभ मेले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से पूरे उत्तराखंड में कोरोना को फैलने में मदद मिली.

डाटा पर भी खड़े हुए थे सवाल: हरिद्वार कुंभ के दौरान की गई कोरोना जांच पर सवाल खड़े करने का एक बड़ा कारण यह भी था कि उस दौरान पूर प्रदेश में कोरोना पॉजिटिविटी दर 5.3 प्रतिशत थी और हरिद्वार में .18 प्रतिशत. जबकि हरिद्वार में उस दौरान सबसे ज्यादा भीड़ भी थी और जांच भी सबसे ज्यादा की गई है, लेकिन पॉजिटिविटी दर मात्र .18 प्रतिशत थी.

ये भी एक कारण है कि ईडी उन तमाब लैब पर छापेमारी कर रही है, जिन लैब को कुंभ में कोरोना जांच की जिम्मेदारी दी गई थी. ईडी को आशंका है कि अवैध वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए फर्जी बिल बनाए गए हैं. हालांकि इसकी तस्वीर तो ईडी समेत अन्य एजेंसियों की जांच के बाद ही पूरी हो पाएगी.

देहरादून: साल 2021 उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदा के बाद हरिद्वार कुंभ में कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा झटका भी झेलना पड़ा. अप्रैल में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. जिसके बाद जिला प्रशासन एक्शन मोड में आ गया. एक जांच रिपोर्ट में सामने आया कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं.

हरिद्वार जिला प्रशासन और एसआईटी की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है. जिनमें कहा गया है कि हरिद्वार में कुंभ उत्सव के दौरान कोरोना टेस्टिंग के लिए काम करने वाली प्राइवेट लैब्स की तरफ से नकली रिपोर्ट जारी की गई थीं.

अप्रैल में कुंभ का आयोजन: हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ का आयोजन किया गया था और इस अवधि में 9 एजेंसियों और 22 प्राइवेट लैब की तरफ से लगभग चार लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे. मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता वाली एक समिति की तरफ से की गई जांच में प्राइवेट एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं. जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से ज्यादा लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का इस्तेमाल किया गया था.

ये था मामला: हरिद्वार में हुए कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में घोटाला सामने आया था. कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया था.

एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग: स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर रजिस्टर्ड था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.

करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.

ये भी पढ़ें: Kumbh Corona Test Scam: आरोपियों की संपत्ति हो सकती है कुर्क, SIT का कोर्ट में प्रार्थना-पत्र

ऐसे हुआ खुलासा: हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी.

लेकिन स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की. ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था. उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.

ये भी पढ़ें: Kumbh Covid Test Scam: AAP नेता अजय कोठियाल ने की CBI जांच की मांग

लैब पर केस हुआ था: हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. हरिद्वार के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तहरीर पर नगर कोतवाली में मैक्स कॉर्पोरेट सोसायटी के साथ नलवा लैब और डॉ. लाल चंदानी लैब सेंट्रल दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं तत्कालीन एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया था.

सैंपल कलेक्टर्स कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे: ये भी बताया जा रहा है कि एजेंसी में रजिस्टर्ड लगभग 200 नमूना संग्राहक (Sample Collectors Employed) छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे. सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ता है. एक अधिकारी ने बताया कि 'जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 प्रतिशत राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे'.

लैब को मिलते थे इतने पैसे: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ़ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है.

CBI जांच की मांग: हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान हुए कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े (Covid Testing Scam) की जांच को लेकर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाए हैं. आप नेता अजय कोठियाल ने कोरोना टेस्टिंग घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. साथ ही आरोप लगाया कि कुंभ मेले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से पूरे उत्तराखंड में कोरोना को फैलने में मदद मिली.

डाटा पर भी खड़े हुए थे सवाल: हरिद्वार कुंभ के दौरान की गई कोरोना जांच पर सवाल खड़े करने का एक बड़ा कारण यह भी था कि उस दौरान पूर प्रदेश में कोरोना पॉजिटिविटी दर 5.3 प्रतिशत थी और हरिद्वार में .18 प्रतिशत. जबकि हरिद्वार में उस दौरान सबसे ज्यादा भीड़ भी थी और जांच भी सबसे ज्यादा की गई है, लेकिन पॉजिटिविटी दर मात्र .18 प्रतिशत थी.

ये भी एक कारण है कि ईडी उन तमाब लैब पर छापेमारी कर रही है, जिन लैब को कुंभ में कोरोना जांच की जिम्मेदारी दी गई थी. ईडी को आशंका है कि अवैध वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए फर्जी बिल बनाए गए हैं. हालांकि इसकी तस्वीर तो ईडी समेत अन्य एजेंसियों की जांच के बाद ही पूरी हो पाएगी.

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