देहरादून: उपनल कर्मचारी आगामी 22 और 23 फरवरी को कार्य बहिष्कार करने जा रहे हैं. नियमितीकरण और समान कार्य, समान वेतन की मांग कर रहे उपनल कर्मचारी महासंघ को उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ ने भी अपना नैतिक समर्थन दिया है.
देहरादून में उपनल कर्मचारी महासंघ, उपनल संविदा वाहन चालक आउटसोर्सिंग संघ, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ संविदा प्रकोष्ठ और संविदा कर्मचारी संघ ऊर्जा की ओर से संयुक्त प्रेस वार्ता की गई. इस दौरान उपनल कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरीश कोठारी ने कहा कि 22 और 23 फरवरी को होने वाले कार्य बहिष्कार में प्रदेश के समस्त राजकीय विभागों, स्वास्थ्य, ऊर्जा, पेयजल, सार्वजनिक निगमों और उपक्रमों के साथ ही केंद्र पोषित योजनाओं में करीब 22 हजार कार्मिक हिस्सा ले रहे हैं. इन सभी ने कोविड काल में पूरी निष्ठा और लगन से अपनी सेवाएं दी हैं.
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उन्होंने कहा कि उपनल कर्मी कई बार शासन के सामने अपनी मांगों को रख चुके हैं. मगर उनकी मांगों पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया. जबकि उच्च न्यायालय उपनल कर्मचारियों को नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन का आदेश जारी कर चुका है. उसके बावजूद अपने कर्मचारियों को सेवाओं से निकाल रहा है. उनके पदों पर नियमित पद भी निकाले जा रहे हैं, जो न्यायोचित नहीं है.
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वहीं, उपनल कर्मचारी महासंघ की तरफ से 22 और 23 फरवरी को होने जा रहे कार्य बहिष्कार को उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ ने भी अपना नैतिक समर्थन दिया है. बिजली कर्मचारी संघ के सविता प्रकोष्ठ उपाध्यक्ष अनिल जुयाल का कहना है कि उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ ऊर्जा निगम से सम्बद्ध है. इसलिए आवश्यक सेवाओं के अधीन आता है. ऐसे में संगठन कार्य बहिष्कार में शामिल नहीं हो सकता है. उत्तरांचल बिजली संघ कार्मिक हितों की मांगों को लेकर उपनल महासंघ की ओर से 22- 23 फरवरी को प्रस्तावित कार्य बहिष्कार को अपना नैतिक समर्थन देने जा रहा है.
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उपनल कार्मिकों ने सरकार को चेताया कि अगर कार्य बहिष्कार के बाद भी उपनल कर्मचारियों की मांगों को अनसुना किया गया तो उन्हें मजबूरन अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.