देहरादून: लॉकडाउन में छूट और बढ़ती गर्मी के बीच अब एक बार फिर प्रदेश में विद्युत खपत में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. लेकिन इसके बावजूद अब भी यूपीसीएल केंद्रीय ग्रिड को सस्ती दरों में बिजली बेचने को मजबूर है.
दरअसल, कोरोना संकट के बीच बीती 23 मार्च से ही प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन जारी कर दिया गया था. जिसके बाद से ही प्रदेश में सभी छोटे-बड़े उद्योग बंद हो चुके थे. ऐसे में इस दौरान विद्युत उत्पादन के मुकाबले विद्युत खपत में भारी कमी देखने को मिली थी. संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान ऊर्जा विभाग के पास लगभग 25 से 26 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध थी. वहीं, इसके मुकाबले महज 20 मिलियन यूनिट बिजली की ही खपत हो रही थी. ऐसे में शेष बची 4 से 5 मिलियन यूनिट को ऊर्जा विभाग 2 से 2.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से केंद्र ग्रिड को बेच रहा था.
इस संदर्भ में यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक बीसीके मिश्रा ने बताया कि बढ़ती गर्मी और लॉकडाउन में छूट के बीच वर्तमान में प्रदेश में प्रतिदिन 35 से 37 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हो रही है. जबकि बीते कुछ सालों में हर साल जून माह तक प्रदेश में 42 से 45 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुआ करती थी. इस कारण ऊर्जा विभाग वर्तमान में भी हर दिन लगभग 2 मिलियन यूनिट बिजली केंद्रीय ग्रिड को सस्ती दरों में बेचने को मजबूर है.
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गौरतलब है कि प्रदेश की प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं से वर्तमान में लगभग 17-18 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा केंद्रीय पूल से भी प्रदेश को प्रतिदिन 13 मिलियन यूनिट बिजली दी जा रही है. वहीं, सौर ऊर्जा के प्लांट से भी प्रदेश में 2 से 2.5 मिलियन यूनिट बिजली का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है. यही कारण है कि विद्युत खपत कम होने के चलते ऊर्जा विभाग वर्तमान में भी 2 से 3 मिलियन यूनिट केंद्र ग्रिड को सस्ती दरों में बेचने को मजबूर है.