देहरादून: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में अब तक अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रहती थी. अब तो सरकार और शासन के निर्णय भी कटघरे में खड़े दिखाई दे रहे हैं. दरअसल यूपीसीएल में प्रभारी निदेशक परिचालन मदनलाल प्रसाद को 1 साल का सेवा विस्तार देने से जुड़ा आदेश किया गया है, जो किसी के भी गले नहीं उतर रहा.
मदनलाल प्रसाद को सेवा विस्तार: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में मुख्य अभियंता स्तर 1, मदनलाल प्रसाद अब आगामी 1 साल के लिए सेवा विस्तार ले चुके हैं. शासन में ऊर्जा सचिव मीनाक्षी सुंदरम की तरफ से इसके लिए बाकायदा आदेश भी जारी कर दिया गया है. खास बात यह है कि मदनलाल प्रसाद फिलहाल प्रभारी निदेशक परिचालन की जिम्मेदारी भी यूपीसीएल में देख रहे हैं. इसी महीने 2 दिन बाद उनकी सेवानिवृत्ति भी होनी थी, लेकिन इससे पहले ही शासन ने एक चौंकाने वाला आदेश जारी करते हुए मदनलाल प्रसाद की सेवाओं को आगामी 1 साल के लिए विस्तारित कर दिया है. इस आदेश के पीछे तर्क दिया गया है कि मदन लाल प्रसाद ऐसी विभिन्न योजनाओं को देख रहे हैं जो लोक कल्याणकारी हैं. इसीलिए जनहित को देखते हुए उनके कार्यकाल को 1 साल के लिए बढ़ाया गया है.
सेवा विस्तार पर उठा पहला सवाल: मदनलाल प्रसाद के इस तरह 1 साल सेवा विस्तार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. शासन और सरकार के इस फैसले को एक व्यक्ति विशेष के हित के रूप में भी देखा जा रहा है. दरअसल सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऊर्जा निगम के पास कोई भी काबिल इंजीनियर नहीं रह गया है, जिसके चलते मदनलाल प्रसाद का सेवा विस्तार करना इतना जरूरी था.
सेवा विस्तार पर दूसरा सवाल: दूसरा सवाल यह उठता है कि मदनलाल प्रसाद यदि इतने ज्यादा काबिल थे तो इतने समय तक उन्हें प्रभारी निदेशक परिचालन के रूप में ही क्यों जिम्मेदारी में रखा गया. स्थाई निदेशक के तौर पर उन्हें जिम्मेदारी क्यों नहीं दे दी गई.
तीसरा सवाल: तीसरा सवाल इस फैसले को लेकर अधिकार से जुड़ा है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिना कैबिनेट की मंजूरी के शासन इस तरह के फैसले को ले सकता है. क्या मुख्यमंत्री ने विचलन के आधार पर मदनलाल प्रसाद की सेवा का विस्तार किया है. इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने ऊर्जा सचिव से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपनी व्यस्तता का हवाला देकर इस मामले पर बात नहीं की.
सरकार के निर्णय पर उठे सवाल: उत्तराखंड में एक तरफ जहां युवाओं की बेरोजगारी का विषय सरकार के लिए परेशानी बना हुआ है, ऐसे हालातों में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सेवा विस्तार के फैसले पर सवाल उठना लाजमी है. हालांकि इससे पहले विभिन्न सरकारों में इस तरह सेवानिवृत्त कर्मचारी अधिकारियों के सेवा विस्तार को ना किए जाने पर जोर दिया जाता रहा है. इस सबके बावजूद ऐसे क्या हालात थे कि उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में इस तरह अधिकारी के सेवा विस्तार को करके भविष्य के लिए उदाहरण सेट कर दिया गया.
ये भी पढ़ें: बिजली की कीमतें बढ़ाने के प्रस्ताव में कोई बदलाव नहीं, आयोग को 7.72% बढ़ोत्तरी पर ही लेना है निर्णय
हालांकि आदेश में साफ किया गया है कि इस सेवा विस्तार को विशेष परिस्थिति में अपवाद स्वरूप किया जा रहा है और यह किसी दूसरे प्रकरण में दृष्टांत नहीं माना जाएगा. अब यह तो सरकार ही बता सकती है कि ऐसी कौन सी विशेष परिस्थितियां ऊर्जा निगम में थी और क्यों एक अधिकारी के मामले को अपवाद के रूप में लाया गया.