करोड़ों के बकाए पर UPCL का 'सरेंडर', सरकार से बजट की गुहार - Managing Director Anil Kumar Yadav
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम (UPCL) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना कोई नई बात नहीं है. विद्युत संकट के हालातों के बीच निगम उन बकायेदारों को लेकर सुर्खियों में है, जिनकी सूची डिफॉल्टर के रूप में तो ऊर्जा निगम ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर डाल दी है लेकिन उनसे वसूली को लेकर विभाग के पास कोई प्लान नहीं. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...
देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा निगम हमेशा से ही कमाई वाले संस्थानों में गिना जाता रहा है. ये कॉरपोरेशन प्रदेश के उन गिने-चुने संस्थानों में से एक है, जो अपने कर्मचारी अधिकारियों को मोटी तनख्वाह भी देता है और सुख सुविधाएं भी. उधर, दूसरे तमाम खर्चों के मामले में भी ऊर्जा निगम किसी से पीछे नहीं है. बावजूद इसके इन दिनों निगम प्रबंधन घाटे का रोना रो रहा है. स्थिति यह है कि अब ऊर्जा निगम प्रबंधन ने सरकार से ही वित्तीय मदद की गुहार लगाई है. निगम ने इसके पीछे हाल ही में ऊर्जा संकट के दौरान कई गुना महंगे रेट पर बिजली खरीदने को वजह बताया है.
वित्तीय संकट से उबरने के लिए उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने (UPCL) राज्य सरकार से ₹350 करोड़ की वित्तीय मदद मांगी थी. प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव ने बताया कि निगम ने अब तक बैंकों से करीब 100 करोड़ रुपए का ओवरड्रा किया है. यूपीसीएल एफडी के एवज में 250 करोड़ तक का ओवरड्रा कर सकता है. यहां हैरान करने वाली बात यह है कि ऊर्जा निगम कई करोड़ के बकायेदारों से बकाया नहीं वसूल पा रहा है.
महंगी बिजली खरीदने की मजबूरी: उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुताबिक वर्तमान समय में प्रदेश भर में प्रतिदिन 45 मिलियन यूनिट बिजली जरूरत होती है, जबकि 31.52 मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध है. हालांकि, बाकी की बिजली खरीदकर आपूर्ति की जाती है. जानकारी के मुताबिक पिछले 2 महीने में करीब 400 करोड़ की बिजली खरीदी गई है, जबकि सामान्य स्थिति में यूपीसीएल 300 करोड़ तक बिजली खरीदता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड बिजली विभाग का बकायेदारों पर करोड़ों का बकाया है. ऊर्जा निगम की तरफ से बकायदा अपनी ऑफशियल वेबसाइट पर भी ऐसे डिफॉल्टर्स की सूची जारी की गई है, जिन्होंने विभाग का पैसा दबाकर रखा है. इस लिस्ट में 2500 से ज्यादा ऐसे डिफॉल्टर्स है, जिन्हें 1 लाख से ज्यादा बकाया देना है. इसमें अधिकतर ₹5 लाख से अधिक के बकायेदार हैं. डिफॉल्टर्स की 54 पेज की सूची में ऐसे बकाएदार भी हैं जिन का बकाया ₹10 लाख से भी ज्यादा है. 60 पेज की दूसरी सूची में ऐसे डिफॉल्टर्स के नाम लिखे गए हैं, जिन्हें ₹2000 से ज्यादा की देनदारी करनी है. इसमें भी करीब 3 हजार संस्थान या लोग हैं जिन्हें यह बकाया देना है.
यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव (Managing Director Anil Kumar Yadav) कहते हैं कि निगम की तरफ से ऐसे डिफॉल्टर्स से अभियान के तहत वसूली करने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अलावा भी तय नियमों के तहत डिफॉल्टर्स को लेकर कार्रवाई की जा रही है.
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उत्तराखंड में बकायेदारों को लेकर यह कोई नई सूची नहीं है. ऐसी कई सूचियां लगातार सामने आती रही हैं जिसमें विभाग करोड़ों का बिल वसूलने में नाकामयाब रहा है. उधर बिजली चोरी और लाइन लॉस के मामले पर पहले ही यूपीसीएल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रही है. हालांकि, हाल ही में ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम (Secretary Energy R Meenakshi Sundaram) ने कहा है कि ऐसे तमाम विषयों को लेकर विचार किया जा रहा है जो जरूरी है और निगम की तरफ से बकायेदारों के मामले पर भी अपने बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं.