देहरादून: दून ऑटो रिक्शा यूनियन (Doon Auto Rickshaw Union) ने संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में 10 साल पुराने ऑटो, रिक्शा को हटाने को लेकर लिए गए फैसले का विरोध किया है. वहीं यूनियन के अध्यक्ष ने कहा कि डीजल पेट्रोल को रिप्लेस करने के लिए यूनियन ने 2025 तक का समय देने की मांग की थी. साथ ही वर्तमान में कोविड से उबरने के बाद कामकाज पटरी आ रहा था. लेकिन एनजीटी की गाइडलाइन का हवाला देकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने आंदोलन की भी चेतावनी दी है.
बता दें कि एक नवंबर को संभागीय परिवहन प्राधिकरण (Divisional Transport Authority) की बैठक में फैसला लिया गया था कि मौजूदा समय में विभिन्न रूटों पर चल रहे डीजल-पेट्रोल संचालित ऑटो और विक्रम संचालकों को नए परमिट के लिए 31 जनवरी 2023 तक आवेदन करना होगा. एनजीटी की गाइडलाइन (NGT guideline) के मुताबिक बीएस 6 फॉर व्हीलर, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाले ऑटो और विक्रम रूटों पर चलेंगे. जिसके लिए उसके बाद ऑटो और विक्रम जो 10 साल से पुराना है तो उसे 31 मार्च 2023 और 10 साल से कम पुराना है तो 31 दिसंबर 2023 तक हटाना पड़ेगा.
ऑटो यूनियन के अध्यक्ष (auto union president) पंकज अरोड़ा ने बताया कि एक नवंबर को हुई आरटीए की बैठक में हमने पक्ष रखा था कि सीएनजी और एलपीजी वाहन ले रहे है. जिसमें 750 गाड़िया आ चुकी हैं. पहले नोटिस देना चाहिए था कि पांच या तीन साल में सभी गाड़ियां खत्म कर दी जाएंगी. इस फैसले के बाद गरीब ऑटो संचालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. जिन लोगों ने लोन ले रखा है वह लोग कैसे करेंगे. वहीं लॉकडाउन से उभरे ही थे कि अब इस तरह का फैसला सुना दिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए, जिससे कुछ राहत मिल सके. देहरादून में ऑटो 2392, ऋषिकेश में 800 से 900,हरिद्वार में 1800 से 2000 और लक्सर में 400 से 500 संचालक आज आंदोलन करेंगे. साथ ही बताया कि अगर आंदोलन करने के बाद भी मांगों को नहीं सुना जाता है तो वो कोर्ट जाने को मजबूर होंगे.