देहरादूनः विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार के लिए हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहा है. यही वजह है कि राज्य सरकार सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की कवायद कर रही है. ताकि पर्वतीय क्षेत्रों में भी मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें. हरिद्वार जिले के भगवानपुर और रुड़की में मेडिकल कॉलेज की मांग विधायक उठा चुके हैं. जिसे लेकर सरकार की ओर से हमेशा से ही यही जवाब आता है कि एक जिले में एक ही मेडिकल कॉलेज खोला जा सकता है. इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बयान देकर स्थिति स्पष्ट की है.
दरअसल, उत्तराखंड के कई जिलों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं. ऐसे में हर बार मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग की जाती है, जिसको लेकर सरकार का यही जवाब रहता है कि एक जिले में एक ही मेडिकल कॉलेज खोला जा सकता है. इसके अलावा तमाम नियमों को सरकार और शासन स्तर से बताकर मेडिकल कॉलेज की मांग पर विराम लगा दिया जाता है. वहीं, एक जिले में दो मेडिकल कॉलेज खोले जाने के सवाल पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि एक जिले में एक मेडिकल कॉलेज का कोई मापदंड नहीं है. बल्कि, मेडिकल कॉलेज खोले जाने के लिए जो मापदंड निर्धारित किए गए हैं, उसके अनुसार पहले से ही क्षेत्र में 400 बेड का हॉस्पिटल संचालित होना चाहिए. इसके साथ ही उस क्षेत्र में तय मानकों के अनुसार जमीन होनी चाहिए.
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री के बयानों में विरोधाभासः गौर हो कि हाल ही में उत्तराखंड के गैरसैंण में हुए विधानसभा बजट सत्र के दौरान भगवानपुर और रुड़की के विधायक ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की मांग उठाई थी. उस दौरान उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा था कि एक जिले में एक ही मेडिकल कॉलेज बन सकता है. लिहाजा, उनके विधानसभा क्षेत्र में मौजूद हॉस्पिटल को अपग्रेड किया जा सकता है, लेकिन मेडिकल कॉलेज नहीं बनाया जा सकता. ऐसे में अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के बयानों में विरोधाभास देखा जा रहा है.
बहरहाल, हरिद्वार में मेडिकल कॉलेज बन रहा है, जिससे मरीजों को काफी सहूलियत होगी. लेकिन वर्तमान समय में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर ज्यादा दबाव हमेशा से ही देखने को मिलता है. क्योंकि, दून अस्पताल में न सिर्फ देहरादून और प्रदेश के तमाम हिस्सों से मरीज पहुंचते हैं, बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से भी मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. यही वजह है कि भगवानपुर और रुड़की के विधायक अपने-अपने क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की मांग कर रहे हैं.