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एक क्लिक में जानें, राष्ट्रीय ध्वज को किन परिस्थितियों में आधा झुकाया जाता है

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Published : Aug 15, 2019, 6:17 AM IST

Updated : Aug 15, 2019, 7:05 AM IST

राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक है. इन व्यक्तियों के निधन पर झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज.

तिरंगा.

देहरादून: राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक है. किसी व्यक्ति के निधन पर या किसी दुर्घटना के कारण मारे गए व्यक्तियों के प्रति सवेदना व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. किसी व्यक्ति के निधन पर राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास

बता दें कि जब भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, तो सबसे पहले इसे पूरी ऊंचाई में ऊपर उठाया जाता है और फिर धीरे-धीरे नीचे लाते हुए आधा झुकाया जाता है.

किन व्यक्तियों के निधन पर झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज

  • भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का अपने कार्यकाल के दौरान निधन होने पर सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की मृत्यु पर राजकीय शोक के प्रतीक के रूप में दिल्ली के सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और केन्द्रीय मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के कार्यालय एवं संबंधित व्यक्ति के राज्य में सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के राज्यपाल, उप-राज्यपाल, लेफ्टिनेंट गवर्नर, मुख्यमंत्री या उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर संबंधित राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जबकि उच्च न्यायलय के न्यायाधीश या किसी मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के जिले में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • किसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु पर गृह मंत्रालय द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार राजकीय शोक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • यदि किसी राज्य के प्रमुख या किसी सरकारी अधिकारी की मृत्यु विदेशी सरजमीं पर होती है तो उस देश में भारतीय दूतावास में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

ये बातें भी रखे याद

  • यदि किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) या किसी राज्य के राजकीय अवकाश के दिन होती है तो ऐसी परिस्थिति में पूरे देश या पूरे राज्य में राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जाता है, बल्कि केवल उस इमारत पर स्थित राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जिस इमारत में उस विशिष्ट व्यक्ति का पार्थिव शरीर रखा होता है.
  • किसी आम नागरिक के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज को लपेटना राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है. ऐसा करने पर संबंधित व्यक्तियों को तीन साल का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
  • किसी राजनेता, सैन्यकर्मी या केन्द्रीय अर्धसैनिक बल की अंत्येष्टि के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज को अर्थी या ताबूत के ऊपर लपेटते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि केसरिया रंग सिर की ओर होना चाहिए.
  • किसी व्यक्ति को जलाने या दफनाने से पहले राष्ट्रीय ध्वज को उस व्यक्ति के शव से हटा दिया जाता है, क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियमों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को ना तो शव के दफनाना चाहिए और ना ही जलाना चाहिए.

देहरादून: राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक है. किसी व्यक्ति के निधन पर या किसी दुर्घटना के कारण मारे गए व्यक्तियों के प्रति सवेदना व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. किसी व्यक्ति के निधन पर राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास

बता दें कि जब भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, तो सबसे पहले इसे पूरी ऊंचाई में ऊपर उठाया जाता है और फिर धीरे-धीरे नीचे लाते हुए आधा झुकाया जाता है.

किन व्यक्तियों के निधन पर झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज

  • भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का अपने कार्यकाल के दौरान निधन होने पर सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की मृत्यु पर राजकीय शोक के प्रतीक के रूप में दिल्ली के सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और केन्द्रीय मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के कार्यालय एवं संबंधित व्यक्ति के राज्य में सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के राज्यपाल, उप-राज्यपाल, लेफ्टिनेंट गवर्नर, मुख्यमंत्री या उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर संबंधित राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जबकि उच्च न्यायलय के न्यायाधीश या किसी मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के जिले में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • किसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु पर गृह मंत्रालय द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार राजकीय शोक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.
  • यदि किसी राज्य के प्रमुख या किसी सरकारी अधिकारी की मृत्यु विदेशी सरजमीं पर होती है तो उस देश में भारतीय दूतावास में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

ये बातें भी रखे याद

  • यदि किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) या किसी राज्य के राजकीय अवकाश के दिन होती है तो ऐसी परिस्थिति में पूरे देश या पूरे राज्य में राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जाता है, बल्कि केवल उस इमारत पर स्थित राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जिस इमारत में उस विशिष्ट व्यक्ति का पार्थिव शरीर रखा होता है.
  • किसी आम नागरिक के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज को लपेटना राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है. ऐसा करने पर संबंधित व्यक्तियों को तीन साल का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
  • किसी राजनेता, सैन्यकर्मी या केन्द्रीय अर्धसैनिक बल की अंत्येष्टि के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज को अर्थी या ताबूत के ऊपर लपेटते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि केसरिया रंग सिर की ओर होना चाहिए.
  • किसी व्यक्ति को जलाने या दफनाने से पहले राष्ट्रीय ध्वज को उस व्यक्ति के शव से हटा दिया जाता है, क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियमों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को ना तो शव के दफनाना चाहिए और ना ही जलाना चाहिए.
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राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक है. इन व्यक्तियों के निधन पर झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज. 



एक क्लिक में जाने, राष्ट्रीय ध्वज को किन परिस्थितियों में आधा झुकाया जाता है

देहरादून: राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाना राष्ट्रीय या राजकीय शोक का प्रतीक है. किसी व्यक्ति के निधन पर या किसी दुर्घटना के कारण मारे गए व्यक्तियों के प्रति सवेदना व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. किसी व्यक्ति के निधन पर राष्ट्रीय या राजकीय शोक घोषित करने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति के पास 

बता दें कि जब भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, तो सबसे पहले इसे पूरी ऊंचाई में ऊपर उठाया जाता है और फिर धीरे-धीरे नीचे लाते हुए आधा झुकाया जाता है. 

किन व्यक्तियों के निधन पर झुकाया जाता है राष्ट्रीय ध्वज 

भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का अपने कार्यकाल के दौरान निधन होने पर सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश या लोकसभा अध्यक्ष की मृत्यु पर राजकीय शोक के प्रतीक के रूप में दिल्ली के सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. 

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और केन्द्रीय मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के कार्यालय एवं संबंधित व्यक्ति के राज्य में सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है.

किसी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश के राज्यपाल, उप-राज्यपाल, लेफ्टिनेंट गवर्नर, मुख्यमंत्री या उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर संबंधित राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेश में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जबकि उच्च न्यायलय के न्यायाधीश या किसी मंत्री के निधन पर संबंधित व्यक्ति के जिले में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. 

किसी विदेशी गणमान्य व्यक्ति की मृत्यु पर गृह मंत्रालय द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुसार राजकीय शोक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. 

यदि किसी राज्य के प्रमुख या किसी सरकारी अधिकारी की मृत्यु विदेशी सरजमीं पर होती है तो उस देश में भारतीय दूतावास में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है. 

ये बातें भी रखे याद: 

यदि किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंती (2 अक्टूबर) या किसी राज्य के राजकीय अवकाश के दिन होती है तो ऐसी परिस्थिति में पूरे देश या पूरे राज्य में राष्ट्रीय ध्वज को झुकाया नहीं जाता है, बल्कि केवल उस इमारत पर स्थित राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है, जिस इमारत में उस विशिष्ट व्यक्ति का पार्थिव शरीर रखा होता है. 

किसी आम नागरिक के पार्थिव शरीर पर राष्ट्रीय ध्वज को लपेटना राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 का उल्लंघन है. ऐसा करने पर संबंधित व्यक्तियों को तीन साल का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है.   

किसी राजनेता, सैन्यकर्मी या केन्द्रीय अर्धसैनिक बल की अंत्येष्टि के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज को अर्थी या ताबूत के ऊपर लपेटते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि केसरिया रंग सिर की ओर होना चाहिए. 

किसी व्यक्ति को जलाने या दफनाने से पहले राष्ट्रीय ध्वज को उस व्यक्ति के शव से हटा दिया जाता है, क्योंकि राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े नियमों के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को ना तो शव के दफनाना चाहिए और ना ही जलाना चाहिए. 


Conclusion:
Last Updated : Aug 15, 2019, 7:05 AM IST
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