देहरादून: देश-दुनिया में मौसम के बदलते स्वभाव पर वैज्ञानिक अध्ययन करने में जुटे हुए हैं. ग्लोबल वार्मिंग से लेकर कई दूसरे पर्यावरणीय बदलावों को इसकी वजह माना जा रहा है. उत्तराखंड में भी मानसून के दौरान कुछ ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जो चिंता पैदा करने वाले हैं. मानसून के दौरान हिमालयी राज्य उत्तराखंड में क्षेत्रीय आधार पर बरसात के असंतुलन की स्थिति दिखाई दी है. हैरानी की बात यह है कि मौसम विभाग भी बारिश के इन असंतुलन के आंकड़ों से चिंतित दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में रेनफॉल के असंतुलन की क्या स्थिति है, आइये आपको बताते हैं...
दरअसल, मौसम वैज्ञानिक मानते हैं कि पिछले कुछ सालों में मौसम के स्वरूप में बड़ा बदलाव आया है. गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में सभी जगह न केवल समय में कुछ अंतर दिखाई दे रहा है, बल्कि इसके पैटर्न में भी बड़ा बदलाव दिखाई दिया है. उत्तराखंड में भी मानसून सीजन के दौरान बरसात की मात्रा को लेकर कुछ ऐसा ही असंतुलन देखने को मिल रहा है. प्रदेश के हायर हिमालयन रीजन से लगे जिलों में मानसून का ज्यादा असर दिखाई दे रहा है. यहां पर 2 जिले बारिश से ज्यादा प्रभावी दिखाई दे रहे हैं. उधर जो जिले हिमालयन रीजन से हटकर हैं, वहां बारिश सामान्य से भी कम मिल पा रही है.
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मौसम विभाग के ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं क्योंकि बात केवल इस मानसून की नहीं है बल्कि साल 2021 में भी बागेश्वर और चमोली जिले में मानसून सीजन के दौरान सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी. बागेश्वर में 165% तो चमोली में 67% ज्यादा बारिश हुई थी. जबकि पिछले साल यानी 2021 में 2% ओवरऑल बारिश कम रिकॉर्ड की गई थी.
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उत्तराखंड में 1961 से 2010 तक बारिश को लेकर अध्ययन किया गया. जिसके बाद तय किया गया कि राज्य में सामान्य बारिश 1229.2 मिली मीटर की जगह 1176.9 मिली मीटर को माना जाएगा. साल 2019 में मौसम विभाग द्वारा यह संशोधन किया गया. प्रदेश में देहरादून, पौड़ी, नैनीताल और चंपावत जिलों को भारी बारिश के लिए जाना जाता है. मगर मौसम विभाग के पिछले कुछ आंकड़े देखकर यह लगता है कि अब यह स्थितियां बदल रही हैं.