देहरादून: उत्तराखंड सरकार में बैठे अधिकारी नियमावली बनाने से पहले सभी तथ्यों को गंभीरता से देखें तो शायद कभी ऐसी समस्या लोगों को न हो, जैसी पिछले कई सालों से बेरोजगारों को हो रही है. मामला सरकारी नौकरी में अनिवार्य शर्तों से जुड़ा है. वहीं, राज्य स्थापना के 20 साल बाद जाकर जिम्मेदार अधिकारियों ने इसकी सुध ली है.
प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए बेरोजगारों को विभिन्न पदों पर जरूरी अहर्ताओं को पूरा करना होता है. इसके लिए बकायदा शासन स्तर से नियमावली तय की गई है. जिसके आधार पर बेरोजगार आयोग द्वारा कराई गई परीक्षा में हिस्सा लेते हैं. उसके बाद की तमाम औपचारिकताओं को भी पूरा करते हैं. इसी कड़ी में कुछ पदों के लिए डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन को जरूरी रखा गया है. जिसे सामान्य भाषा में कॉमर्स कंप्यूटर कोर्स कहा जाता है.
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अब परेशानी ये है कि सरकार ने व्यैक्तिक सहायकों की नई नियमावली तय की है. सभी विभागों के लिए कॉमन नियमावली भी बनाई है, लेकिन नियमावली की एक लाइन ने बेरोजगारों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है.
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दरअसल, नियमावली के हिसाब से बेरोजगारों को राज्य सरकार के मान्यता प्राप्त संस्थान से कंप्यूटर कोर्स का सर्टिफिकेट विभाग देना जरूरी है. मगर उत्तराखंड सरकार कंप्यूटर कोर्स के लिए किसी भी संस्थान को कोई मान्यता ही नहीं देती. जिससे युवाओं को विभागों में मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट न होने के बाद चक्कर काटने पड़ते हैं. हालांकि, अब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सरकार को नियमावली में दी गई इस लाइन को संशोधित करने का अनुरोध किया है.