ETV Bharat / state

UKSSSC पेपर लीक: VPDO भर्ती घोटाले में तीन पूर्व अधिकारी गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

2016 ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार किया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Oct 8, 2022, 3:29 PM IST

Updated : Oct 8, 2022, 5:15 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधलियों को लेकर सीएम धामी के जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीफ ने बड़ी कार्रवाई की है. UKSSSC द्वारा 2016 ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को किया गया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.यह इस भर्ती परीक्षा प्रकरण में अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.

बता दें कि 2016 VPDO भर्ती के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी. लेकिन मुख्यमंत्री धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई. मुख्यमंत्री धामी पिछले दिनों भर्तियों पर उठ रहे सवाल के जवाब देते हुए कहा था कि वो अपने युवा भाई-बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है, उसे वे जड़ से मिटा देंगे. इसी कड़ी में VPDO भर्ती में साल बाद दोषियों के खिलाफ यह कार्रवाई करते हुए धामी सरकार ने बड़ी लकीर खींच दी है.

पढ़ें- VPDO पेपर लीक मामले में आरएमएस कंपनी का CEO गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

क्या था मामला: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) चयन परीक्षा करवाई गई. यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई. इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया. वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था.

वहीं, इस परीक्षा में धांधली की विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई थी. इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इस परीक्षा परिणाम को अनियमितताओं के पुष्टि के बाद निरस्त करने के आदेश दिये थे. जिसके बाद इस परीक्षा धांधली की जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई. जिसके बाद इस मामले में विजिलेंस की ओर से धारा 420/468/467/120B आईपीसी व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई थी.

शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस द्वारा इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं, 2020 से 2022 तक इस मामले की जांच विजिलेंस ही कर रही थी. इस भर्ती में धांधली के खिलाफ लगातार उठ रहे सवालों के बाद अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई. जिसके बाद से एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही थी. एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए सूबत इकट्ठा किये गए और पूर्व में जांच कमेटी द्वारा इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को FSL भेजा गया था. FSL से OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी.

पढ़ें- VPDO भर्ती घोटाले में एक और गिरफ्तारी, काशीपुर से मुकेश चौहान गिरफ्तार

वहीं, इस जांच के दौरान एसटीएफ ने पाया कि इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था. वहीं, जांच में अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों को एसटीएफ ने चिन्हित करके उनके बयान भी दर्ज किये हैं. साथ ही इस जांच के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी दर्ज कराए जा चुके हैं. जो केस की अहम सबूत हैं.

अब तक हुई कार्रवाई: इस मामले में एसटीएफ ने पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद एसटीएफ पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन अध्यक्ष UKSSSC डॉ रघुवीर सिंह रावत, तत्कालीन सचिव UKSSSC मनोहर सिंह कन्याल और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक UKSSSC राजेंद्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार किया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.

वहीं, मुख्यमंत्री धामी एसटीएफ की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां पूरी निष्पक्षता से अपना काम कर रही हैं. उत्तराखंड के युवा का हक मारने वाले किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएं स्वच्छ और पारदर्शी हो. आज की कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके.

जबकि, साल 2015-16 में उत्तराखंड पुलिस दारोगा भर्ती मामले में आरोपियों के खिलाफ हल्द्वानी में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस केस में पंतनगर विश्वविद्यालय के नरेंद्र सिंह जादौन, पूर्व AEO दिनेश चंद्र जोशी के अलावा नकल माफिया सिंडिकेट के हाकम सिंह, चंदन मनराल, केन्द्रपाल, मास्टरमाइंड सादिक मूसा सहित 12 लोग मुकदमे की कार्रवाई में शामिल हैं. हालांकि, अभी किसी आरोपित दारोगा के खिलाफ इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है. ऐसे में संभवत: आने वाले दिनों में मुकदमा दर्ज हो सकता है.

देहरादून: उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधलियों को लेकर सीएम धामी के जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीफ ने बड़ी कार्रवाई की है. UKSSSC द्वारा 2016 ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को किया गया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.यह इस भर्ती परीक्षा प्रकरण में अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.

बता दें कि 2016 VPDO भर्ती के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी. लेकिन मुख्यमंत्री धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई. मुख्यमंत्री धामी पिछले दिनों भर्तियों पर उठ रहे सवाल के जवाब देते हुए कहा था कि वो अपने युवा भाई-बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है, उसे वे जड़ से मिटा देंगे. इसी कड़ी में VPDO भर्ती में साल बाद दोषियों के खिलाफ यह कार्रवाई करते हुए धामी सरकार ने बड़ी लकीर खींच दी है.

पढ़ें- VPDO पेपर लीक मामले में आरएमएस कंपनी का CEO गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

क्या था मामला: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) चयन परीक्षा करवाई गई. यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई. इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया. वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था.

वहीं, इस परीक्षा में धांधली की विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई थी. इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इस परीक्षा परिणाम को अनियमितताओं के पुष्टि के बाद निरस्त करने के आदेश दिये थे. जिसके बाद इस परीक्षा धांधली की जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई. जिसके बाद इस मामले में विजिलेंस की ओर से धारा 420/468/467/120B आईपीसी व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई थी.

शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस द्वारा इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया. वहीं, 2020 से 2022 तक इस मामले की जांच विजिलेंस ही कर रही थी. इस भर्ती में धांधली के खिलाफ लगातार उठ रहे सवालों के बाद अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई. जिसके बाद से एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही थी. एसटीएफ द्वारा विवेचना को आगे बढ़ाते हुए सूबत इकट्ठा किये गए और पूर्व में जांच कमेटी द्वारा इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को FSL भेजा गया था. FSL से OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी.

पढ़ें- VPDO भर्ती घोटाले में एक और गिरफ्तारी, काशीपुर से मुकेश चौहान गिरफ्तार

वहीं, इस जांच के दौरान एसटीएफ ने पाया कि इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था. वहीं, जांच में अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों को एसटीएफ ने चिन्हित करके उनके बयान भी दर्ज किये हैं. साथ ही इस जांच के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी दर्ज कराए जा चुके हैं. जो केस की अहम सबूत हैं.

अब तक हुई कार्रवाई: इस मामले में एसटीएफ ने पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद एसटीएफ पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन अध्यक्ष UKSSSC डॉ रघुवीर सिंह रावत, तत्कालीन सचिव UKSSSC मनोहर सिंह कन्याल और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक UKSSSC राजेंद्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार किया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.

वहीं, मुख्यमंत्री धामी एसटीएफ की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां पूरी निष्पक्षता से अपना काम कर रही हैं. उत्तराखंड के युवा का हक मारने वाले किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएं स्वच्छ और पारदर्शी हो. आज की कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके.

जबकि, साल 2015-16 में उत्तराखंड पुलिस दारोगा भर्ती मामले में आरोपियों के खिलाफ हल्द्वानी में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस केस में पंतनगर विश्वविद्यालय के नरेंद्र सिंह जादौन, पूर्व AEO दिनेश चंद्र जोशी के अलावा नकल माफिया सिंडिकेट के हाकम सिंह, चंदन मनराल, केन्द्रपाल, मास्टरमाइंड सादिक मूसा सहित 12 लोग मुकदमे की कार्रवाई में शामिल हैं. हालांकि, अभी किसी आरोपित दारोगा के खिलाफ इस मामले में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है. ऐसे में संभवत: आने वाले दिनों में मुकदमा दर्ज हो सकता है.

Last Updated : Oct 8, 2022, 5:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.