देहरादून: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद स्वदेश वापस लौटे उत्तराखंड के 270 MBBS के छात्र-छात्राओं का भविष्य अब अधर में लटक चुका है. इन छात्रों ने अपने भविष्य को सुरक्षित करने की मांग को लेकर सीएम और राज्यपाल से मुलाकात भी की है. स्वदेश लौटे MBBS छात्रों का कहना है कि यूक्रेन के मेडिकल का शिक्षकों का रवैया उनके प्रति एन्टी इंडियन हो गया है. अब यूक्रेनियन शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज पढ़ाने से भी इनकार कर दिया है. जिससे छात्रों की परेशानियां और बढ़ गई हैं.
छात्रों ने बताया यूक्रेनियन शिक्षकों ने युद्ध के दौरान भारत सरकार के न्यूट्रल रवैये से नाराज होकर पढ़ाने से इनकार कर दिया है. वहां के मेडिकल शिक्षकों का कहना है कि भारत सरकार ने यूक्रेन को लेकर जो नीति अपनाई वो सही नहीं है. यूक्रेनियन शिक्षकों ने भारतीय छात्रों को खुद ही पढ़ाई करने तक की भी बात कही है.
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देहरादून निवासी छात्र देवांश का कहना है कि उनके मेडिकल के शिक्षकों का रवैया एन्टी इंडियन हो गया है. वह भारत के स्टैंड से खफा हैं. अब वह इस बारे में छात्रों को भी बुरा-भला कहने से नहीं चूक रहे हैं. उन्होंने कहा अब छात्र-छात्राएं चाहते हैं कि उन्हें उत्तराखंड के ही किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिया जाए.
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वहीं, MBBS की छात्रा भूमिका लिंगवाल का कहना है कि उन्हें भारत सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि अन्य देशों पोलैंड, हंगरी आदि में अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करें, मगर इन देशों में पढ़ाई करना यूक्रेन से कई गुना अधिक है. यूक्रेन में मात्र 2 से 3 लाख में एक छात्र अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर सकता है.
साथ ही यूक्रेन की पढ़ाई के मुकाबले इन देशों में पढ़ाई 3 से 4 गुना अधिक महंगी है. हंगरी जैसे देशों में हॉस्टल आदि की सुविधाएं भी नहीं हैं. वहां पर लिविंग स्टैंडर्ड भी बहुत कीमती है. MBBS के छात्र मदन अरोड़ा ने बताया अब ऐसी स्थिति में आ गए हैं कि अब वे वापस भी नहीं जा सकते हैं. उन्होंने कहा भारत सरकार और राज्य सरकार को मिलकर छात्रों के भविष्य के जल्द कदम उठाने चाहिए.