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उत्तराखंड क्रांति दल ने की भूख हड़ताल, मांगों को लेकर राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन - देहरादून हिंदी समाचार

उत्तराखंड क्रांति दल ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और THDC को लेकर विधानसभा के सामने भूख हड़ताल की. साथ ही जिला प्रशासन के जरिए इस मामले में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है.

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उत्तराखंड क्रांति दल ने किया भूख हड़ताल
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Published : Jan 7, 2020, 6:56 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल के द्वारा विधानसभा के बाहर भूख हड़ताल की. यूकेडी का ये प्रदर्शन सूबे में विधानसभाओं के परिसीमन, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और THDC के विनिवेश के विरोध में था. इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा है. इस दौरान यूकेडी ने प्रदेश में धारा 370 लागू करने की भी मांग की है. उनका कहना है कि बाहरी व्यक्ति यहां औने-पौने दामों में जमीनें खरीदकर व्यवसाय कर रहे हैं.

वहीं, उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं का कहना है कि 9 नवंबर साल 2000 को उत्तराखंड अपने अस्तित्व में आया. साथ ही राज्य की 70 विधानसभाओं का गठन हुआ. राज्य का करीब 80 प्रतिशत भूभाग पर्वतीय है. इसलिए उत्तराखंड क्रांति दल पहले से ही मांग करता आ रहा है कि राज्य की विधानसभाओं का परिसीमन, क्षेत्रफल के आधार पर किया जाए. नेताओं का कहना है कि जिस प्रकार हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति विधान सभा बनी है, जो कि 25 हजार की जनसंख्या पर बनी, दूसरी तरफ लद्दाख लोक सभा भी 50 हजार की जनसंख्या पर बनी. जिनका आधार क्षेत्रफल यानी भौगोलिक आधार लिया गया. लेकिन उत्तराखंड के साथ ऐसा नहीं किया, जबकि राज्य का 80 प्रतिशत भूभाग पर्वतीय है.

ये भी पढ़ें:हाईकोर्ट से गन्ना किसानों को बड़ी राहत, भुगतान के लिए नीलाम होगी चीनी

उत्तराखंड क्रांति दल ने अपने ज्ञापन में मांग की है कि राज्य के किसानों का विगत वर्षों से गन्ना भुगतान बिना देरी के दिया जाय. साथ ही राज्य के एक मात्र बिजली प्रोजेक्ट टिहरी बांध (टीएचडीसी) जो कि बेचा गया है, उस फैसले को भी जल्द से जल्द वापस लिया जाए.

देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल के द्वारा विधानसभा के बाहर भूख हड़ताल की. यूकेडी का ये प्रदर्शन सूबे में विधानसभाओं के परिसीमन, गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और THDC के विनिवेश के विरोध में था. इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा है. इस दौरान यूकेडी ने प्रदेश में धारा 370 लागू करने की भी मांग की है. उनका कहना है कि बाहरी व्यक्ति यहां औने-पौने दामों में जमीनें खरीदकर व्यवसाय कर रहे हैं.

वहीं, उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं का कहना है कि 9 नवंबर साल 2000 को उत्तराखंड अपने अस्तित्व में आया. साथ ही राज्य की 70 विधानसभाओं का गठन हुआ. राज्य का करीब 80 प्रतिशत भूभाग पर्वतीय है. इसलिए उत्तराखंड क्रांति दल पहले से ही मांग करता आ रहा है कि राज्य की विधानसभाओं का परिसीमन, क्षेत्रफल के आधार पर किया जाए. नेताओं का कहना है कि जिस प्रकार हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति विधान सभा बनी है, जो कि 25 हजार की जनसंख्या पर बनी, दूसरी तरफ लद्दाख लोक सभा भी 50 हजार की जनसंख्या पर बनी. जिनका आधार क्षेत्रफल यानी भौगोलिक आधार लिया गया. लेकिन उत्तराखंड के साथ ऐसा नहीं किया, जबकि राज्य का 80 प्रतिशत भूभाग पर्वतीय है.

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उत्तराखंड क्रांति दल ने अपने ज्ञापन में मांग की है कि राज्य के किसानों का विगत वर्षों से गन्ना भुगतान बिना देरी के दिया जाय. साथ ही राज्य के एक मात्र बिजली प्रोजेक्ट टिहरी बांध (टीएचडीसी) जो कि बेचा गया है, उस फैसले को भी जल्द से जल्द वापस लिया जाए.

Intro: प्रदेश की विधानसभाओं के परिसीमन गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और टीएचडीसी के विनिवेश के विरोध में उत्तराखंड क्रांति दल ने विधानसभा के पास उपवास रखकर जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। यूकेडी ने प्रदेश में धारा 370 लागू करने की भी मांग की। यूकेडी का कहना है कि बाहरी व्यक्तियों ने औने पौने दामों में यहां जमीनें खरीदी हैं, और जमीनों का व्यवसाय कर रहे हैं यूकेडी ने कहा कि राज्य की संस्कृति व सांस्कृतिक धरोहर बाघ ना हो उसे देखते हुए प्रदेश में धारा 370 लागू की जाए।Body:उत्तराखंड क्रांति दल के नेताओं का कहना है कि 9 नवम्बर 2000 को उत्तराखंड अपने अस्तित्व में तो आया तथा राज्य की 70 विधानसभाओं का गठन हुआ। राज्य का 80 प्रतिशत भूभाग पर्वतीय है।इसलिए उत्तराखंड क्रान्ति दल पूर्व से ही मांग करता आया है कि राज्य की विधानसभाओं का परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर किया जाय जिस प्रकार हिमाचल प्रदेश की लाहौल स्पीति विधान सभा बनी है जो कि 25 हजार की जनसंख्या पर बनी,दूसरी तरफ लद्दाख लोक सभा भी 50 हजार की जनसंख्या पर बनी जिनका आधार क्षैत्रफल यानी भौगोलिक आधार लिया गया।लेकिन उत्तराखंड के साथ ऐसा नही किया जिसका 80 प्रतिशत भाग पर्वतीय है।एक और खिलवाड़ हमारे साथ किया गया 2005 में फिर उत्तराखंड राज्य का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया और पर्वतीय जनपदों की 6 विधानसभा घटाकर मैदानी जनपदों में जोड़ दिया गया।जबकि उत्तराखंड राज्य के साथ बने छत्तीसगढ़ और झारखंड बने उनका दोबारा परिसीमन नही हुआ यह खेल उत्तराखंड राज्य के साथ हुआ। पूर्वोत्तर राज्यो में भी भौगोलिक आधार का घ्यान दिया गया था।महोदय 2026 में पूरे देश का परिसीमन 2021 की जनसंख्या के आधार पर होना है।ऐसे में उत्तराखंड राज्य के परिसीमन होने पर राज्य की 80 प्रतिशत पर्वतीय भाग से 15 से 18 विधानसभा सीटे कम हो जाएगी जिससे उत्तराखंड राज्य का औचित्य क्या रहा । 2026 में राज्य की विधानसभाओं का परिसीमन का आधार क्षैत्रफल यानि भौगोलिक आधार हो का प्रस्ताव उत्तराखंड विधानसभा से पास होकर केंद्र सरकार व भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाए।
Conclusion:ज्ञापन में राज्य के किसानों का विगत वर्षों से गन्ना भुगतान अभिलम्ब दिया जाय तथा राज्य के एकमात्र बिजली प्रोजेक्ट टिहरी बांध (टी० एच०डी०सी०) को बेच दिया है,जिसका दल विरोध करता है तथा इसे वाफिस लिया जाये,
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