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यूकेडी ने की पीसीएस और समूह ग की भर्तियां स्थगित की मांग, जानें वजह

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Published : Oct 29, 2022, 12:53 PM IST

सरकारी नौकरियों में प्रदेश की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का मामला अभी अधर में लटका हुआ है. सरकार ने इस मामले में अध्यादेश लाने की बात तो कही है, लेकिन अभीतक सरकार ने अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भी नहीं भेजा है. ऐसे में उत्तराखंड क्रांति दल ने पीसीएस और समूह ग की भर्तियां स्थगित किए जाने की मांग उठाई है.

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देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकारी नौकरियों में प्रदेश की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का अध्यादेश लागू न होने की सूरत में पीसीएस और समूह ग की भर्तियां स्थगित किए जाने की मांग उठाई है. यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि सरकार अध्यादेश को अभी तक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भी नहीं भेज पाई है. जबकि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस और समूह ग की भर्तियां शुरू कर दी हैं.

उन्होंने कहा कि इससे उत्तराखंड की हजारों महिलाएं सरकारी नौकरियों से वंचित हो जाएंगी. यूकेडी नेता ने अध्यादेश आने तक भर्तियां स्थगित करने की मांग की है. उन्होंने सवाल उठाया कि वकीलों की लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद सरकार हाईकोर्ट में ढंग से पैरवी नहीं कर पाई, जिससे राज्य की महिलाओं को मिलने वाला 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण खत्म हो गया. अब सरकार अध्यादेश का ड्राफ्ट बनाने से लेकर उसे विधायी स्वरूप देने और राजभवन भेजने में भी अनावश्यक देरी कर रही है.
पढ़ें- हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव: कल तीन रैलियों को संबोधित करेंगे उत्तराखंड के सीएम धामी

वहीं, यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष उत्तरा पंत बहुगुणा ने आक्रोश जताते हुए कहा कि जिस मातृशक्ति के संघर्ष के बदौलत ये राज्य बना, आज उन्हीं महिलाओं के हाथों से कहीं घास छीनी जा रही है तो कहीं सरकारी नौकरियां. दल ने सवाल उठाए कि नदी किनारे अतिक्रमण करने वालों के लिए सरकार रातों रात अध्यादेश बना सकती है तो फिर महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण के लिए अध्यादेश बनाने में देरी क्यों की जा रही है?

देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल ने सरकारी नौकरियों में प्रदेश की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का अध्यादेश लागू न होने की सूरत में पीसीएस और समूह ग की भर्तियां स्थगित किए जाने की मांग उठाई है. यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि सरकार अध्यादेश को अभी तक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भी नहीं भेज पाई है. जबकि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पीसीएस और समूह ग की भर्तियां शुरू कर दी हैं.

उन्होंने कहा कि इससे उत्तराखंड की हजारों महिलाएं सरकारी नौकरियों से वंचित हो जाएंगी. यूकेडी नेता ने अध्यादेश आने तक भर्तियां स्थगित करने की मांग की है. उन्होंने सवाल उठाया कि वकीलों की लंबी चौड़ी फौज होने के बावजूद सरकार हाईकोर्ट में ढंग से पैरवी नहीं कर पाई, जिससे राज्य की महिलाओं को मिलने वाला 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण खत्म हो गया. अब सरकार अध्यादेश का ड्राफ्ट बनाने से लेकर उसे विधायी स्वरूप देने और राजभवन भेजने में भी अनावश्यक देरी कर रही है.
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वहीं, यूकेडी महिला प्रकोष्ठ की उपाध्यक्ष उत्तरा पंत बहुगुणा ने आक्रोश जताते हुए कहा कि जिस मातृशक्ति के संघर्ष के बदौलत ये राज्य बना, आज उन्हीं महिलाओं के हाथों से कहीं घास छीनी जा रही है तो कहीं सरकारी नौकरियां. दल ने सवाल उठाए कि नदी किनारे अतिक्रमण करने वालों के लिए सरकार रातों रात अध्यादेश बना सकती है तो फिर महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण के लिए अध्यादेश बनाने में देरी क्यों की जा रही है?

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