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CAG Report: अधिकारियों की लापरवाही से यूकाडा को करोड़ों का चूना! कैग रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड को करोड़ों रुपये के राजस्व के नुकसान का मामला सामने आया है. जिसके पीछे यूकाडा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता मुख्य वजह है. कैग रिपोर्ट अनुसार हेली सेवाओं से मिलने वाले कुल राजस्व 2.69 करोड़ के मुकाबले 78.83 लाख की ही वसूल की गई है, जिसके बारे में भी लेखा परीक्षक को कोई भी अभिलेख नहीं दिया गया है.

CAG Report
यूकाडा को करोड़ों का चूना
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Published : Mar 21, 2023, 3:55 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) प्रदेश में हेली सेवाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाता है. यही नहीं, हेली कनेक्टिविटी को बेहतर करने के साथ ही चारधाम यात्रा के दौरान भी यात्रियों को खासकर केदारनाथ यात्रा पर जाने के लिए एक बेहतर सुविधा उपलब्ध कराता है. लेकिन उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्राधिकरण करोड़ों रुपए का नुकसान करा बैठा है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि, विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में पेश कैग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.

उत्तराखंड में पर्यटकों की सुविधा के लिए हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों के संचालन के दृष्टिगत 30 मई 2013 को उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था. जिसके बाद साल 2015 और 2016 में चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यूसीएडीए ने हेली कंपनियों को केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर शटल सेवा की अनुमति दी थी. लेकिन इस दौरान यूसीएडीए ने यह शर्त रखी थी कि सभी हेली ऑपरेटरों को संचालन शुल्क के रूप में प्रति उड़ान, एक हजार रुपए कि धनराशि का भुगतान करना होगा.

यूसीएडीए संचालन शुल्क वसूली के लिए जिला मजिस्ट्रेट, रुद्रप्रयाग के साथ-साथ हेली कंपनियों से रोजाना दिन की उड़ानों की जानकारी लेना आवश्यक था. बावजूद इसके यूसीएडीए ने ना तो दैनिक उड़ानों की जानकारी ली और ना ही कोई राजस्व लिया. कैग रिपोर्ट के अनुसार, जब जनवरी 2020 में यूसीएडीए के अभिलेखों की जांच की गई तो इसकी जानकारी मिली. इसका मामला बाहर आने के बाद यूसीएडीए ने 31 जनवरी 2020 को डीएम, रुद्रप्रयाग से शटल सेवाओं की जानकारी मांगी. जिसके तहत साल 2015 में 14,924 और साल 2016 में 6,310 बार हेली सेवाओं का संचालन करने का पता चला.
ये भी पढ़ें: गरीबी के कारण छोड़नी पड़ी पढ़ाई, अब सत्यम ने पंजा लड़ाने में जीता स्वर्ण पदक

इन दोनों सालों में 21,234 उड़ानों के संचालन शुल्क के रूप में 2 करोड़ 12 लाख 34 हजार के साथ ही 18 फीसदी जीएसटी के साथ कुल 2 करोड़ 50 लाख 56 हजार 120 रुपए लेना था. लिहाजा यूसीएडीए में जुलाई 2020 में संचालन शुल्क को वसूली के लिए हेली कंपनियों से मांग की गई. यही नहीं, साल 2016 में हेमकुंड साहिब के लिए संचालित हेलीकॉप्टर शटल सेवा के तहत 1,566 उड़ानें हुई थी, लेकिन साल 2021 तक इस सेवा के संचालन शुल्क के रूप में जीएसटी सहित 18 लाख 47 हजार 880 रुपए की कोई मांग नहीं की गई. इस मामले को 6 साल से अधिक का वक्त बीत गया है, लेकिन अभी तक यूसीएडीए कुल 2.69 करोड़ रुपए वसूलने में विफल रहा है.

कैग की रिपोर्ट अनुसार जब लेखा परीक्षक की ओर से इस बात पर जोर दिया गया तो, शासन ने इन सभी तथ्यों को स्वीकार करते हुए जनवरी 2022 में इस बात की जानकारी दी कि कुल राजस्व 2.69 करोड़ के मुकाबले 78.83 लाख की धनराशि वसूल कर ली गई है. साथ ही बचे हुए राजस्व को हेली कंपनियों के साथ मिलान करने के बाद वसूली की जाएगी, लेकिन यूसीएडीए की ओर से लेखा परीक्षक को 78.83 लाख के वसूली के संबंध में कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया.

लिहाजा कैग की रिपोर्ट के अनुसार यूसीएडीए न सिर्फ संबंधित हेली कंपनी से संचालन शुल्क के रूप में 2.69 करोड़ की धनराशि वसूल करने में विफल रहा, बल्कि संचालन शुल्क के रूप में लंबित धनराशि पर करीब 45.12 लाख के ब्याज से भी वंचित रहा.

देहरादून: उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) प्रदेश में हेली सेवाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाता है. यही नहीं, हेली कनेक्टिविटी को बेहतर करने के साथ ही चारधाम यात्रा के दौरान भी यात्रियों को खासकर केदारनाथ यात्रा पर जाने के लिए एक बेहतर सुविधा उपलब्ध कराता है. लेकिन उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्राधिकरण करोड़ों रुपए का नुकसान करा बैठा है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि, विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन में पेश कैग रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.

उत्तराखंड में पर्यटकों की सुविधा के लिए हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टरों के संचालन के दृष्टिगत 30 मई 2013 को उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था. जिसके बाद साल 2015 और 2016 में चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यूसीएडीए ने हेली कंपनियों को केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर शटल सेवा की अनुमति दी थी. लेकिन इस दौरान यूसीएडीए ने यह शर्त रखी थी कि सभी हेली ऑपरेटरों को संचालन शुल्क के रूप में प्रति उड़ान, एक हजार रुपए कि धनराशि का भुगतान करना होगा.

यूसीएडीए संचालन शुल्क वसूली के लिए जिला मजिस्ट्रेट, रुद्रप्रयाग के साथ-साथ हेली कंपनियों से रोजाना दिन की उड़ानों की जानकारी लेना आवश्यक था. बावजूद इसके यूसीएडीए ने ना तो दैनिक उड़ानों की जानकारी ली और ना ही कोई राजस्व लिया. कैग रिपोर्ट के अनुसार, जब जनवरी 2020 में यूसीएडीए के अभिलेखों की जांच की गई तो इसकी जानकारी मिली. इसका मामला बाहर आने के बाद यूसीएडीए ने 31 जनवरी 2020 को डीएम, रुद्रप्रयाग से शटल सेवाओं की जानकारी मांगी. जिसके तहत साल 2015 में 14,924 और साल 2016 में 6,310 बार हेली सेवाओं का संचालन करने का पता चला.
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इन दोनों सालों में 21,234 उड़ानों के संचालन शुल्क के रूप में 2 करोड़ 12 लाख 34 हजार के साथ ही 18 फीसदी जीएसटी के साथ कुल 2 करोड़ 50 लाख 56 हजार 120 रुपए लेना था. लिहाजा यूसीएडीए में जुलाई 2020 में संचालन शुल्क को वसूली के लिए हेली कंपनियों से मांग की गई. यही नहीं, साल 2016 में हेमकुंड साहिब के लिए संचालित हेलीकॉप्टर शटल सेवा के तहत 1,566 उड़ानें हुई थी, लेकिन साल 2021 तक इस सेवा के संचालन शुल्क के रूप में जीएसटी सहित 18 लाख 47 हजार 880 रुपए की कोई मांग नहीं की गई. इस मामले को 6 साल से अधिक का वक्त बीत गया है, लेकिन अभी तक यूसीएडीए कुल 2.69 करोड़ रुपए वसूलने में विफल रहा है.

कैग की रिपोर्ट अनुसार जब लेखा परीक्षक की ओर से इस बात पर जोर दिया गया तो, शासन ने इन सभी तथ्यों को स्वीकार करते हुए जनवरी 2022 में इस बात की जानकारी दी कि कुल राजस्व 2.69 करोड़ के मुकाबले 78.83 लाख की धनराशि वसूल कर ली गई है. साथ ही बचे हुए राजस्व को हेली कंपनियों के साथ मिलान करने के बाद वसूली की जाएगी, लेकिन यूसीएडीए की ओर से लेखा परीक्षक को 78.83 लाख के वसूली के संबंध में कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया.

लिहाजा कैग की रिपोर्ट के अनुसार यूसीएडीए न सिर्फ संबंधित हेली कंपनी से संचालन शुल्क के रूप में 2.69 करोड़ की धनराशि वसूल करने में विफल रहा, बल्कि संचालन शुल्क के रूप में लंबित धनराशि पर करीब 45.12 लाख के ब्याज से भी वंचित रहा.

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