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परिसीमन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का टोटा, विकास कार्यों को नहीं मिली गति

त्रिवेंद्र सरकार ये कैसा तेरा वादा! परिसीमन के महीनों बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का अभाव, ग्रामीण पूछ रहे सवाल आखिर कब होगा क्षेत्र का विकास.

त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल को दो साल पूरे हो गए हैं
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Published : Mar 10, 2019, 6:01 PM IST

Updated : Mar 11, 2019, 6:05 AM IST

देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार केकार्यकाल को दो साल पूरे हो गए हैं. इन दो सालों में सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिनमें से कुछ धरातल पर उतरे, और कुछ ने पहले चरण में ही दम तोड़ दिया. इन्हीं फैसले में से एक है निगम निगम विस्तारीकरण. सरकार ने नगर निकाय चुनाव को देखते हुए आनन-फानन में विस्तारीकरण के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल तो कर लिया. लेकिन सरकार के इन इलाकों में विकास का वादा अब भी अधूरा है.

परिसीमन को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि निगम ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं और विकास कार्य दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. नगर निगम के अधीन आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में जब विकास करना ही नहीं था तो विस्तारीकरण का क्या औचित्य है. उनका कहना है कि नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत के बावजूद भी त्रिवेंद्र सरकार और छोटी सरकार निगम परिसीमन क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था बनाने में सुस्त नजर आ रही है.

परिसीमन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का टोटा

पढ़ें-हिमालयन मीट पर चौतरफा घिरी त्रिवेंद्र सरकार, विपक्ष के बाद अब संतों ने किया विरोध

वहीं, विस्तारीकरण को लेकर राजधानी देहरादून की करें तो यहां पहले नगर निगम के 60 वार्ड थे. लेकिन, परिसीमन के बाद 40 वार्ड बढ़ने से अब वार्डों की संख्या 100 हो गई है. वार्ड की संख्या में बढ़ोत्तरी तो हुई लेकिन 40 अतिरिक्त ग्रामीण वार्डों में किसी तरह की कोई प्रभावी व्यवस्था फिलहाल नहीं की गई है. उधर, नगर निगम क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण इलाकों के लोगों को यह तो पता है कि उनका क्षेत्र नगर पंचायत की श्रेणी में आ गया है लेकिन, अभी तक किसी तरह का विकास न होने की वजह से ग्रामीणों में मायूसी है.

देहरादून नगर निगम परिसीमन क्षेत्र के अधीन आने वाले आर्केडिया ग्रामीण से निर्वाचित बीजेपी महिला पार्षद वीना रतूड़ी ने माना कि अबतक विस्तारीकरण वाले क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था नहीं की गई है. इस वजह से क्षेत्र में कई तरह कि परेशानियां सामने आती है. उन्होंने बताया कि चुनाव संपन्न हुए करीब चार महीने गुजर गए है लेकिन, नगर निगम प्रशासनिक व्यवस्था न होने के कारण क्षेत्रों का विकास नहीं हो पा रहा है.

पढ़ें-बाजपुर की जनता के लिए CM ने खोला पिटारा, 93 करोड़ रुपए की योजनाओं का किया शिलान्यास

उन्होंने बताया कि चुनाव जीतने के बाद मतदाता लगातार उनसे साफ-सफाई, सड़क, नालियां, स्ट्रीट लाइट जैसे अलग-अलग विकास कार्यों और सुधार की मांग करते है लेकिन, फिलहाल कुछ भी नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि नगर निगम व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीणों में भी नाराजगी है.

बता दें कि परिसीमन से पहले लगातार ग्रामीण पंचायत क्षेत्र इसका विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि जब निगम शहरी क्षेत्रों में ही साफ-सफाई व विकास कार्य नहीं कर पा रहा है तो विस्तारीकरण के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में कैसे व्यवस्था की जाएगी. गौर हो कि देहरादून नगर निगम पुराने 60 शहरी क्षेत्रों के वार्डों में भी कर्मचारियों का अभाव है.

देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार केकार्यकाल को दो साल पूरे हो गए हैं. इन दो सालों में सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जिनमें से कुछ धरातल पर उतरे, और कुछ ने पहले चरण में ही दम तोड़ दिया. इन्हीं फैसले में से एक है निगम निगम विस्तारीकरण. सरकार ने नगर निकाय चुनाव को देखते हुए आनन-फानन में विस्तारीकरण के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल तो कर लिया. लेकिन सरकार के इन इलाकों में विकास का वादा अब भी अधूरा है.

परिसीमन को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि निगम ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं और विकास कार्य दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. नगर निगम के अधीन आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में जब विकास करना ही नहीं था तो विस्तारीकरण का क्या औचित्य है. उनका कहना है कि नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत के बावजूद भी त्रिवेंद्र सरकार और छोटी सरकार निगम परिसीमन क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था बनाने में सुस्त नजर आ रही है.

परिसीमन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का टोटा

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वहीं, विस्तारीकरण को लेकर राजधानी देहरादून की करें तो यहां पहले नगर निगम के 60 वार्ड थे. लेकिन, परिसीमन के बाद 40 वार्ड बढ़ने से अब वार्डों की संख्या 100 हो गई है. वार्ड की संख्या में बढ़ोत्तरी तो हुई लेकिन 40 अतिरिक्त ग्रामीण वार्डों में किसी तरह की कोई प्रभावी व्यवस्था फिलहाल नहीं की गई है. उधर, नगर निगम क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण इलाकों के लोगों को यह तो पता है कि उनका क्षेत्र नगर पंचायत की श्रेणी में आ गया है लेकिन, अभी तक किसी तरह का विकास न होने की वजह से ग्रामीणों में मायूसी है.

देहरादून नगर निगम परिसीमन क्षेत्र के अधीन आने वाले आर्केडिया ग्रामीण से निर्वाचित बीजेपी महिला पार्षद वीना रतूड़ी ने माना कि अबतक विस्तारीकरण वाले क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था नहीं की गई है. इस वजह से क्षेत्र में कई तरह कि परेशानियां सामने आती है. उन्होंने बताया कि चुनाव संपन्न हुए करीब चार महीने गुजर गए है लेकिन, नगर निगम प्रशासनिक व्यवस्था न होने के कारण क्षेत्रों का विकास नहीं हो पा रहा है.

पढ़ें-बाजपुर की जनता के लिए CM ने खोला पिटारा, 93 करोड़ रुपए की योजनाओं का किया शिलान्यास

उन्होंने बताया कि चुनाव जीतने के बाद मतदाता लगातार उनसे साफ-सफाई, सड़क, नालियां, स्ट्रीट लाइट जैसे अलग-अलग विकास कार्यों और सुधार की मांग करते है लेकिन, फिलहाल कुछ भी नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया कि नगर निगम व्यवस्था न होने के कारण ग्रामीणों में भी नाराजगी है.

बता दें कि परिसीमन से पहले लगातार ग्रामीण पंचायत क्षेत्र इसका विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि जब निगम शहरी क्षेत्रों में ही साफ-सफाई व विकास कार्य नहीं कर पा रहा है तो विस्तारीकरण के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में कैसे व्यवस्था की जाएगी. गौर हो कि देहरादून नगर निगम पुराने 60 शहरी क्षेत्रों के वार्डों में भी कर्मचारियों का अभाव है.

Intro:देहरादून- उत्तराखंड में मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल के कार्यकाल में लिए गए कई फैसलों में निगम परिषद विस्तारीकरण करने का फैसला धरातल पर उतरते ही पहले चरण में दम तोड़ता नजर आ रहा है ।विस्तारीकरण के तहत तमाम ग्रामीण क्षेत्रों को नगर निगम व नगर पालिका परिसीमन में जोड़ने के बाद आज प्रशासनिक अमले व कर्मचारी के भारी अभाव के कारण निगम ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं के साथ साथ विकास के कार्य दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रही। ऐसे में नगर निगम के अधीन आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवस्था बहाल ना होने के कारण ग्रामीण वासियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।


Body:निगम परिषद में प्रदर्शन बेहतर होने के बावजूद सरकार सुस्त-

उत्तराखंड में निगम परिषद चुनाव में बेहतर परिणाम आने के बावजूद राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार निगम परिसीमन क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था बनाने में सुस्त नजर आ रही है। जिसके चलते हैं परिसीमन ग्रामीण क्षेत्रों में किसी तरह के निगम कर्मचारी उपलब्ध ना होने के कारण जनता को मिलने वाली तमाम मूलभूत सुविधाएं व विकास कार्य कैसे और कब होंगे इस सवाल ला जवाब किसी के पास नहीं हैं।
बात अगर उत्तराखंड की राजधानी की करें तो यहां नगर निगम के पूर्व में 60 वार्ड थे, जो नए परिसीमन के बाद 100 वार्ड में तब्दील हो चुके हैं,ऐसे में 40 अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों वार्डों के बढ़ने के बाद शासन -प्रशासन द्वारा नए वार्डों में किसी तरह की कोई प्रभावी व्यवस्था फिलहाल दिखाई नहीं नजर आ रही है, उधर नगर निगम क्षेत्र से जुड़े ग्रामीण इलाकों के लोगों को यह तो पता है कि उनका क्षेत्र नगर पंचायत की श्रेणी में आ गया है लेकिन अभी तक किसी तरह का विकास कार्य व मूल सुविधाएं जैसे अन्य जरूरी कार्य ना शुरू होने के चलते ग्रामीण वासी असमंजस की स्थिति में है। ऐसे में नगर निगम परिसीमन के महीनों गुजरने के बाद व्यवस्थाओं के सम्बंध में धरातल क्या चल रहा है इस बारे कोई कुछ नहीं जान पा रहा हैं।

बाइट यशोदा स्थानीय ग्रामीण नगर निगम वासी
व्हाइट पार्वती स्थानीय ग्रामीण नगर निगम वासी
बाइट राजेश कुमार स्थानीय निवासी


Conclusion: देहरादून नगर निगम परिसीमन क्षेत्र के अधीन आने वाले आर्केडिया ग्रामीण क्षेत्र से निर्वाचित हुए बीजेपी महिला पार्षद विना रतूड़ी भी इस बात को मान रही है परिसीमन के बाद चुनाव सम्पन्न होने 3 माह से ज्यादा समय गुजर जाने के उपरांत अभी तक नगर निगम प्रशासनिक व्यवस्था विस्तारीकरण क्षेत्रों में ना बन पाने की वजह से कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है। चुनाव जीतने के बाद मतदाता लगातार उनसे साफ सफाई,सड़क नालीयां,स्ट्रीट लाइट जैसे अलग अलग विकास कार्यों सुधार अपेक्षाएं करते हुए मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक नगर निगम व्यवस्था ना होने के कारण उनके समक्ष जनता की नाराजगी भी सामने आ रही है। पार्षद विना रतूड़ी का मानना है कि परिसीमन क्षेत्रों में व्यवस्थाएं कब बहाल होंगी इस बारे में फिलहाल कही से कोई जानकारी नहीं है।

बाइट- विनीता रतूड़ी, पार्षद, आर्केडिया

उत्तराखंड में निगम परिषद का परिसीमन होने से पहले ही लगातार ग्रामीण पंचायत क्षेत्रों से इसी बात का विरोध हो रहा था कि जब नगर परिषद द्वारा शहरी क्षेत्रों में ही साफ सफाई व विकास कार्य अधर पर लटके रहते हैं तो विस्तारीकरण के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में नगर निगम प्रशासन किस तरह से विकास कार्य व मूलभूत सुविधाएं को दे पाएगा। बात करें देहरादून नगर निगम की तो, शहरी क्षेत्र लगते लगभग 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले ग्रामीण इलाकों को परिसीमन तहत 40 नगर निगम वार्ड में तब्दील किया जा चुका हैं लेकिन पहले से ही 60 शहरी क्षेत्र वार्डो में प्रशासनिक व कर्मचारी अभाव से जूझ रहा नगर निगम ने अब नए विस्तारीकरण 40 वाले वार्डो में कैसे कार्य कर पाएगा इसकी व्यवस्था फिलहाल दूर दूर तक नहीं नजर आ रही है। हालांकि पूर्व में परिसीमन विरोध के चलते सरकार द्वारा नए वार्डों में 10 साल तक टैक्स की छूट दी गई हैं।

PTC
Last Updated : Mar 11, 2019, 6:05 AM IST
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