देहरादूनः उत्तराखंड में डेंगू के मामले सामने आने लगे हैं. देहरादून में डेंगू के 2 मामले सामने आए हैं. जिसके चलते अब स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड पर आ गया है. उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से रोकथाम संबंधी गाइडलाइन जारी कर दिए हैं.
दरअसल, जुलाई से नवंबर महीने के बीच यानी मॉनसून सीजन में डेंगू संक्रमण के फैलने का खतरा काफी ज्यादा होता है. डेंगू के मामले बढ़े उससे पहले ही इसके रोग की रोकथाम को लेकर उत्तराखंड स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने एडवाइजरी जारी कर दी है.
डेंगू के लक्षणः बता दें कि डेंगू और मलेरिया दोनों ही मादा मच्छर के काटने से होते हैं. डेंगू एक तरह का वायरस है, जो एडीस नाम के मादा मच्छर के काटने से फैलता है. यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो जाए तो उसे तेज बुखार के साथ उल्टी, शरीर में दर्द और अकड़न की शिकायत होती है. इसके अलावा प्लेटलेट्स भी तेजी से घटने लगती है.
डेंगू को फैलने से ऐसे रोकेंः बरसात के दौरान अपने घरों में पानी जमा न होने दें. कूलर आदि से समय-समय पर पानी निकालते रहें. गमलों और टायर में पानी जमा न होने दें. इसके अलावा साफ सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए. पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
ये भी पढ़ेंः डेंगू बुखार से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, पढ़ें पूरी खबर
डेंगू के रोकथाम के लिए जारी एडवाइजरी-
- उत्तराखंड महामारी (मलेरिया एवं डेंगू) विनियम 2018 के तहत जिलों में काम किए जाएंगे.
- डेंगू और चिकनगुनिया की समुचित रोकथाम व नियंत्रण के लिए सभी विभागों की महत्वपूर्ण भागीदारी है.
- डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाले सभी काम विभाग लगातार करेंगे.
- डेंगू रोग पर रोकथाम और नियंत्रण के लिए ब्लॉक वार माइक्रो प्लान बनाकर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
- नगर निगमों की ओर से स्वच्छता अभियान चलाया जाएंगे. ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके.
- डेंगू पर नियंत्रण के लिए लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर और उपयुक्त उपाय है, जिसके लिए नगर निगम/नगर पालिका, आशा कार्यकर्ता व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में काम करेंगे.
- डेंगू महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम/नगर निकाय की ओर से आवश्यकतानुसार फॉगिंग किए जाएंगे.
- जन जागरूकता व जन सहभागिता के लिए आईईसी संसाधनों का समुचित उपयोग किया जाएगा.
- डेंगू रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग से काम करेंगे.
- डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण के लिए सरकार की गाइडलाइन 'National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever' का पालन करना होगा.
- सभी अस्पतालों (जिला/बेस और मेडिकल कालेज) में सरकार की गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
- अस्पतालों में अलग से डेंगू आइसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी युक्त पर्याप्त बेड की उपलब्ध कराए जाएंगे. साथ ही डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा.
- डेंगू के मरीजों के समुचित प्रबंधन के लिए अपने जिलों में चिकित्सा केंद्रों को पूरी तरह से कार्यशील रखना होगा. उनमें पर्याप्त स्वास्थ्य मानव संसाधन जैसे डॉक्टर, नर्स आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करना होगा.
- डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों (DHF/DSS) के लिए प्लेटलेट्स (Platelets) की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा.
- डेंगू जांच केंद्रों में समय से आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट और अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाएगा.
- डेंगू मरीजों की शुरुआती चरण में पहचान के लिए फीवर सर्वे किए जाएंगे. लक्षणों के आधार पर डेंगू की बीमारी संदिग्धता होने पर जांच किया जाएगा.
- डेंगू मिलने पर मरीज के घर के आस-पास करीब 50 घरों की परिधि में आवश्यक रूप से Focal Spray करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही क्षेत्र में सघन फीवर सर्विलांस और लार्वा निरोधात्मक कार्रवाई की जाएगी.