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यूं ही नहीं उत्तराखंड को कहते हैं शहीदों की भूमि, स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी को सलाम

स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी को आखिरी सलाम....

शहीद सिद्धार्थ नेगी को श्रद्धांजलि देतीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण
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Published : Feb 5, 2019, 11:00 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता. राज्य का सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य कहानी को खुद में समेटे हुए है. यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, वे अब प्रदेश की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैल गई है. देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं. इन युवाओं में देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी का जज्बा काबिले तारीफ है.

1 फरवरी 2019 को बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने उड़ान भरी, लेकिन कुछ ही देर बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट शहीद हो गये. इस शहादत में एक नाम देहरादून के सिद्धार्थ नेगी का भी था.

स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी को आखिरी सलाम
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शहीद सिद्धार्थ नेगी की अस्थियां सोमवार को हरिद्वार के कनखल स्थित सती घाट पर विसर्जित की गईं. सिद्धार्थ के पिता ने नम आंखों से अपने बेटे की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया. इस दौरान घाट पर मौजूद लोग अपने लाल को याद कर रो पड़े.

शहीद स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी देहरादून के पंडितवाड़ी क्षेत्र के रहने वाले थे और बेंगलुरु में पोस्टेड थे. मंगलवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शहीद सिद्धार्थ नेगी के परिवार को सांत्वना देने देहरादून पहुंचीं. रक्षा मंत्री ने शहीद सिद्धार्थ के परिवार से मुलाकात कर शहीद को श्रद्धांजलि दी और हरसंभव मदद का भरोसा दिया.

शहीद पायलट के पिता बलवीर सिंह नेगी ने कहा कि हादसे वाले दिन की सुबह उनकी बात बेटे सिद्धार्थ से हुई थी. उन्होंने बताया कि अपने बेटे से आखिरी बातचीत में उन्होंने उसे जन्मदिन की बधाई दी थी. दरअसल, जिस दिन ये हादसा हुआ उसी दिन शहीद सिद्धार्थ का जन्मदिन भी था.

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शहीद के पिता ने कहा कि उनके बेटे ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए अपना बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि मौत तो आनी ही है कहीं भी आ सकती है, बेटे ने देश के लिये इस तरह अपने प्राण न्योछावर कर दिये.

देहरादूनः उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता. राज्य का सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य कहानी को खुद में समेटे हुए है. यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, वे अब प्रदेश की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैल गई है. देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं. इन युवाओं में देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी का जज्बा काबिले तारीफ है.

1 फरवरी 2019 को बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने उड़ान भरी, लेकिन कुछ ही देर बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट शहीद हो गये. इस शहादत में एक नाम देहरादून के सिद्धार्थ नेगी का भी था.

स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी को आखिरी सलाम
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शहीद सिद्धार्थ नेगी की अस्थियां सोमवार को हरिद्वार के कनखल स्थित सती घाट पर विसर्जित की गईं. सिद्धार्थ के पिता ने नम आंखों से अपने बेटे की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया. इस दौरान घाट पर मौजूद लोग अपने लाल को याद कर रो पड़े.

शहीद स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी देहरादून के पंडितवाड़ी क्षेत्र के रहने वाले थे और बेंगलुरु में पोस्टेड थे. मंगलवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शहीद सिद्धार्थ नेगी के परिवार को सांत्वना देने देहरादून पहुंचीं. रक्षा मंत्री ने शहीद सिद्धार्थ के परिवार से मुलाकात कर शहीद को श्रद्धांजलि दी और हरसंभव मदद का भरोसा दिया.

शहीद पायलट के पिता बलवीर सिंह नेगी ने कहा कि हादसे वाले दिन की सुबह उनकी बात बेटे सिद्धार्थ से हुई थी. उन्होंने बताया कि अपने बेटे से आखिरी बातचीत में उन्होंने उसे जन्मदिन की बधाई दी थी. दरअसल, जिस दिन ये हादसा हुआ उसी दिन शहीद सिद्धार्थ का जन्मदिन भी था.

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शहीद के पिता ने कहा कि उनके बेटे ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए अपना बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि मौत तो आनी ही है कहीं भी आ सकती है, बेटे ने देश के लिये इस तरह अपने प्राण न्योछावर कर दिये.

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यूं ही नहीं उत्तराखंड को कहते हैं शहीदों की भूमि, स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी को सलाम





देहरादूनः उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता. राज्य का सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य कहानी को खुद में समेटे हुए है. यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, वे अब प्रदेश की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैल गई है.  देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं. इन युवाओं में देहरादून के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी का जज्बा काबिले तारीफ है. 



1 फरवरी 2019 को बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से वायुसेना के लड़ाकू विमान मिराज-2000 ने उड़ान भरी, लेकिन कुछ ही देर बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट शहीद हो गये. इस शहादत में एक नाम देहरादून के सिद्धार्थ नेगी का भी था.



शहीद सिद्धार्थ नेगी की अस्थियां सोमवार को हरिद्वार के कनखल स्थित सती घाट पर विसर्जित की गईं. सिद्धार्थ के पिता ने नम आंखों से अपने बेटे की अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया. इस दौरान घाट पर मौजूद लोग अपने लाल को याद कर रो पड़े. 



शहीद स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी देहरादून के पंडितवाड़ी क्षेत्र के रहने वाले थे और बेंगलुरु में पोस्टेड थे. मंगलवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण शहीद सिद्धार्थ नेगी के परिवार को सांत्वना देने देहरादून पहुंचीं. रक्षा मंत्री ने शहीद सिद्धार्थ के परिवार से मुलाकात कर शहीद को श्रद्धांजलि दी और हरसंभव मदद का भरोसा दिया.



शहीद पायलट के पिता बलवीर सिंह नेगी ने कहा कि हादसे वाले दिन की सुबह उनकी बात बेटे सिद्धार्थ से हुई थी. उन्होंने बताया कि अपने बेटे से आखिरी बातचीत में उन्होंने उसे जन्मदिन की बधाई दी थी. दरअसल, जिस दिन ये हादसा हुआ उसी दिन शहीद सिद्धार्थ का जन्मदिन भी था. 



शहीत के पिता ने कहा कि उनके बेटे ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए अपना बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि मौत तो आनी ही है कहीं भी आ सकती है, बेटे ने देश के लिये इस तरह अपने प्राण न्योछावर कर दिये.


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