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सब्जी उत्पादन से काश्तकार होंगे आत्मनिर्भर, प्रशिक्षण में दी जानकारी

चकराता के काश्तकारों को एक दिवसीय सब्जी उत्पादन व संरक्षित खेती पर प्रशिक्षण दिया गया. इस दौरान काश्तकारों को वैज्ञानिक तकनीकी से सब्जी उत्पादन पर जोर दिया गया.

vikasnagar
विकासनगर
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Published : Nov 6, 2020, 1:18 PM IST

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में चकराता के काश्तकारों को एक दिवसीय सब्जियों के उत्पादन व संरक्षित खेती का प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ने काश्तकारों को वैज्ञानिक तकनीकी से खेती करने की जानकारी दी. जिसमें से मुख्य रूप से ट्रिप सिंचाई सूक्ष्म सिंचाई पॉलीहाउस में सब्जी उत्पादन वह प्याज की पौधे तैयार करने की विधि व जानकारियां दी गई.

सब्जी उत्पादन से काश्तकार होंगे आत्मनिर्भर.

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कम तापमान पर भी वैज्ञानिक विधि से सब्जियों का 7 से 8 गुना तक उत्पादन काश्तकार कर सकते हैं. वहीं मिट्टी के उपचारित करने की विशेष जानकारी काश्तकारों को दी गई. साथ ही फसलों की बुवाई पर सूक्ष्म जीव द्वारा फसलों को हानि पहुंचाने से कैसे बचाव किया जाए, इसकी भी विशेष जानकारी प्रशिक्षण में दी गई.

पढ़ें: डीएम ने मानी मांग तो डोबरा-चांठी पुल से धरना हुआ समाप्त

उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में सब्जी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. इसके अतिरिक्त सब्जियों की उत्पादकता राष्ट्रीय उत्पादकता से कम है. भारत सरकार द्वारा निश्चित किया गया है कि 2022 तक काश्तकारों की उत्पादकता के साथ-साथ आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है. जिससे काश्तकारों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकें.

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में चकराता के काश्तकारों को एक दिवसीय सब्जियों के उत्पादन व संरक्षित खेती का प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ने काश्तकारों को वैज्ञानिक तकनीकी से खेती करने की जानकारी दी. जिसमें से मुख्य रूप से ट्रिप सिंचाई सूक्ष्म सिंचाई पॉलीहाउस में सब्जी उत्पादन वह प्याज की पौधे तैयार करने की विधि व जानकारियां दी गई.

सब्जी उत्पादन से काश्तकार होंगे आत्मनिर्भर.

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कम तापमान पर भी वैज्ञानिक विधि से सब्जियों का 7 से 8 गुना तक उत्पादन काश्तकार कर सकते हैं. वहीं मिट्टी के उपचारित करने की विशेष जानकारी काश्तकारों को दी गई. साथ ही फसलों की बुवाई पर सूक्ष्म जीव द्वारा फसलों को हानि पहुंचाने से कैसे बचाव किया जाए, इसकी भी विशेष जानकारी प्रशिक्षण में दी गई.

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उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में सब्जी उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं. इसके अतिरिक्त सब्जियों की उत्पादकता राष्ट्रीय उत्पादकता से कम है. भारत सरकार द्वारा निश्चित किया गया है कि 2022 तक काश्तकारों की उत्पादकता के साथ-साथ आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है. जिससे काश्तकारों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकें.

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