देहरादून: विभिन्न मांगों को लेकर आज प्रदेश भर के प्रशिक्षित बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों ने सचिवालय कूच किया. पुलिस ने सचिवालय से पहले ही प्रदर्शनकारियों को रोक दिया. जिससे नाराज प्रदर्शनकारियों ने नियुक्ति की मांग को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. साथ ही प्रदर्शनकारियों ने अपना आक्रोश भी व्यक्त किया.
बेरोजगार एलोपैथिक फार्मासिस्टों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया. फार्मासिस्ट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष महादेव गौड़ के मुताबिक बीते रोज बेरोजगारों ने स्वास्थ्य मंत्री के आवास तक रैली निकाली थी. उनके प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री से अपनी मांगों को लेकर मुलाकात का समय मांगा, जिसके बाद वहां मौजूद पुलिस प्रशासन ने हमारे प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाया. मगर 3 घंटे प्रतीक्षा करने के बावजूद उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं हो सका.
पढ़ें- श्रीनगर: कोरोना की तीसरी लहर की आशंका, मौसमी बीमारियों का शिकार हो रहे बच्चे
प्रदर्शनकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री पर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाया. महासंघ के अध्यक्ष महादेव का कहना है कि स्वास्थ विभाग उत्तराखंड के अधीन चिकित्सालय और उप केंद्रों में वर्षो से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया आरंभ नहीं कर रहा है. ऐसे में तत्काल वर्षों से रिक्त पड़े पदों पर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए विज्ञप्ति प्रकाशित की जाए. उन्होंने कहा वर्ष 2005-06 में जनहित में उप केंद्रों पर सृजित 536 फार्मासिस्टों के पदों को आईपीएचएस मानकों में शिथिलता प्रदान करते हुए यथावत रखा जाए. रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए.
पढ़ें- डिजिटल इंडिया में बिजली-सड़क को तरसता रुद्रप्रयाग का लिस्वाल्टा गांव
प्रशिक्षित बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट की अन्य प्रमुख मांगें: वर्ष 2016 में जन स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से 600 स्वास्थ्य केंद्रों के लिए संविदा के आधार पर प्रारंभ की गई भर्ती प्रक्रिया को पुनर्जीवित किया जाए. जिसके लिए हजार रुपए का चालान आवेदन शुल्क के रूप में बेरोजगार आवेदन कर्ताओं द्वारा सरकार के राजकीय कोष में जमा किया गया है. अवशेष 1368 स्वास्थ्य उप केंद्रों पर फार्मासिस्ट के पद सृजित कर सेवा नियमावली के अनुसार नियमित भर्ती प्रक्रिया हेतु समुचित कार्रवाई अमल में लाई जाए. राज्य में स्थापित एवं प्रस्तावित समस्त राजकीय मेडिकल कॉलेजों में फार्मासिस्ट संवर्ग का ढांचा स्थापित कर रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं. राज्य में संचालित सभी मेडिकल स्टोरों में औषधि नियंत्रक द्वारा फार्मासिस्ट की अनिवार्यता सुनिश्चित की जाए.