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लॉकडाउन में मजदूर और व्यापारी कितने 'डाउन', ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट

ETV BHARAT ने राजधानी देहरादून में मजदूरों और व्यापारियों से बात की और उनकी समस्याओं को जाना.

LOCKDOWN PROBLEM
लॉकडाउन में मजदूर और व्यापारी कितने 'डाउन'
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Published : Apr 10, 2020, 6:21 PM IST

देहरादून: लॉकडाउन की वजह से हजारों दिहाड़ी मजदूरों पर रोजगार का संकट छाया हुआ है. जिसकी वजह से मजदूरों के सामने खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं. फैक्ट्रियां, दुकानें बंद होने से मजदूरों के पास काम नहीं रह गया है. फैक्ट्रियों और उद्योग बंद होने से व्यापारियों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. ETV BHARAT ने राजधानी देहरादून में मजदूरों और व्यापारियों से बात की और उनकी समस्याओं को जाना.

मजदूरों के मुताबिक, कुछ व्यापारी मुसीबत के समय ना सिर्फ पैसे से मदद कर रहे हैं, बल्कि उनके और परिवार के स्वास्थ्य के साथ अन्य जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं. हालांकि, कुछ मजदूरों की राय इससे उलट है. मजदूरों का कहना है कि वर्षों तक काम करने के एवज में उन्हें वह मदद मालिक से नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें इस वक्त बहुत ही जरूरत है.

लॉकडाउन में मजदूर और व्यापारी कितने 'डाउन'.

ये भी पढ़ें: सरकार की सामाजिक संगठनों से अपील, बढ़-चढ़कर निभाएं जिम्मेदारी

'दिहाड़ी मजदूरों का हाल सही नहीं'

देहरादून के आटे की चक्की में दिहाड़ी मजदूर कमल दास बताते हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ हैं. तब से ढील के दौरान वह सिर्फ 4 घंटे ही चक्की में काम कर रहा है. ऐसे में उन्हें मात्र 120 रुपए ही मालिक द्वारा दिया जाता है. जो परिवार चलाने के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. कमल दास के मुताबिक कई वर्षों से वह आटा की चक्की पर काम करते हैं, लेकिन इस संकट की घड़ी में मालिक की तरफ से पूरी मजदूरी नहीं मिल पा रहा.

'संकट की घड़ी में मदद मिलना ही काफी'
वहीं, देहरादून के पलटन बाजार से सटे घोसी गली के एक नामी बेकरी शॉप में काम करने वाले श्रमिकों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते बेकरी बंद है. इसके बावजूद मालिक की तरफ से समय पर पैसा और परिवार की देखभाल का आश्वासन मिलता रहता है. जो इस संकट की घड़ी में उनके लिए काफी मददगार साबित हो रहा है.

'श्रमिकों की मदद करना नैतिक जिम्मेदारी'

लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसे में उद्योग हैं, जो पूरी तरह से बंद हैं. देहरादून में सर्राफा व्यापार से जुड़े सुनील मेसोन का कहना है कि वर्षों से काम करने वाले श्रमिकों की उचित देखभाल हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. सर्राफा बाजार बिल्कुल बंद होने के बाद भी सुनील मेसोन समय अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर रहे हैं.

'संकट की घड़ी में श्रमिकों-कर्मचारियों को सहारा देना जरूरी'

देहरादून के व्यापारियों ने अन्य व्यापारियों से अपील करते हुए अपने श्रमिकों-कर्मचारियों का समय पर भुगतान करने की अपील की है. व्यापारियों का कहना है कि जिन श्रमिकों-कर्मचारियों की मेहनत से व्यापारी का कारोबार आगे बढ़ता है. ऐसे संकट के समय उन लोगों को सहारा देना, देश को बचाने जैसा ही है.

देहरादून: लॉकडाउन की वजह से हजारों दिहाड़ी मजदूरों पर रोजगार का संकट छाया हुआ है. जिसकी वजह से मजदूरों के सामने खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं. फैक्ट्रियां, दुकानें बंद होने से मजदूरों के पास काम नहीं रह गया है. फैक्ट्रियों और उद्योग बंद होने से व्यापारियों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. ETV BHARAT ने राजधानी देहरादून में मजदूरों और व्यापारियों से बात की और उनकी समस्याओं को जाना.

मजदूरों के मुताबिक, कुछ व्यापारी मुसीबत के समय ना सिर्फ पैसे से मदद कर रहे हैं, बल्कि उनके और परिवार के स्वास्थ्य के साथ अन्य जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं. हालांकि, कुछ मजदूरों की राय इससे उलट है. मजदूरों का कहना है कि वर्षों तक काम करने के एवज में उन्हें वह मदद मालिक से नहीं मिल रही है, जिसकी उन्हें इस वक्त बहुत ही जरूरत है.

लॉकडाउन में मजदूर और व्यापारी कितने 'डाउन'.

ये भी पढ़ें: सरकार की सामाजिक संगठनों से अपील, बढ़-चढ़कर निभाएं जिम्मेदारी

'दिहाड़ी मजदूरों का हाल सही नहीं'

देहरादून के आटे की चक्की में दिहाड़ी मजदूर कमल दास बताते हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ हैं. तब से ढील के दौरान वह सिर्फ 4 घंटे ही चक्की में काम कर रहा है. ऐसे में उन्हें मात्र 120 रुपए ही मालिक द्वारा दिया जाता है. जो परिवार चलाने के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. कमल दास के मुताबिक कई वर्षों से वह आटा की चक्की पर काम करते हैं, लेकिन इस संकट की घड़ी में मालिक की तरफ से पूरी मजदूरी नहीं मिल पा रहा.

'संकट की घड़ी में मदद मिलना ही काफी'
वहीं, देहरादून के पलटन बाजार से सटे घोसी गली के एक नामी बेकरी शॉप में काम करने वाले श्रमिकों का कहना है कि लॉकडाउन के चलते बेकरी बंद है. इसके बावजूद मालिक की तरफ से समय पर पैसा और परिवार की देखभाल का आश्वासन मिलता रहता है. जो इस संकट की घड़ी में उनके लिए काफी मददगार साबित हो रहा है.

'श्रमिकों की मदद करना नैतिक जिम्मेदारी'

लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसे में उद्योग हैं, जो पूरी तरह से बंद हैं. देहरादून में सर्राफा व्यापार से जुड़े सुनील मेसोन का कहना है कि वर्षों से काम करने वाले श्रमिकों की उचित देखभाल हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. सर्राफा बाजार बिल्कुल बंद होने के बाद भी सुनील मेसोन समय अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर रहे हैं.

'संकट की घड़ी में श्रमिकों-कर्मचारियों को सहारा देना जरूरी'

देहरादून के व्यापारियों ने अन्य व्यापारियों से अपील करते हुए अपने श्रमिकों-कर्मचारियों का समय पर भुगतान करने की अपील की है. व्यापारियों का कहना है कि जिन श्रमिकों-कर्मचारियों की मेहनत से व्यापारी का कारोबार आगे बढ़ता है. ऐसे संकट के समय उन लोगों को सहारा देना, देश को बचाने जैसा ही है.

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