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मसूरी के जिस घर में रहते थे सर जॉर्ज एवरेस्ट उसका हुआ कायाकल्प, आज हुआ लोकार्पण

मसूरी में जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने लोकार्पण किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा. साथ ही स्थानीय लोगों को भी इससे रोजगार मिलेगा.

George Everest House in Mussoorie
जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण
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Published : Dec 7, 2021, 5:58 PM IST

Updated : Dec 7, 2021, 9:15 PM IST

मसूरी: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Minister Satpal Maharaj) ने जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण (George Everest House inaugurated) किया. एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) की ओर से जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का 23.69 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार का कार्य किया गया है. जहां, जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पुराने स्वरूप को संरक्षित किया गया है. वहीं, इसके आसपास के क्षेत्र को भी विकसित किया गया है.

मसूरी के हाथीपांव स्थित ऐतिहासिक जॉर्ज एवरेस्ट हाउस पर्यटकों को आकर्षित करने जा रहा है. उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम (Uttarakhand Tourism Infrastructure Development Investment Program) के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से खंडहर हो चुके सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का 23.69 करोड़ की लागत से जीर्णाेद्धार किया गया है.

जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण

सर जॉर्ज एवरेस्ट ने जीवन का एक लंबा अरसा मसूरी में गुजारा था. वेल्स के इस सर्वेयर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई बताई थी. इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ (British surveyor Andrew Waugh) की सिफारिश पर 1865 में इस शिखर का नाम सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया. मसूरी के हाथीपांव के समीप 172 एकड़ जमीन बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और 50 मीटर दूरी पर स्थित ऑब्जर्वेटरी का जीर्णाेद्धार किया गया है.

ये भी पढ़ें: भीमताल में CM धामी ने किया योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण, कई बड़ी घोषणाएं की

सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और इससे करीब 50 मीटर की दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) का जीर्णाेद्धार 18 जनवरी 2019 शुरू किया गया था. जॉर्ज एवरेस्ट पर पर्यटकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए बूम बैरियर के पास पार्किंग स्थल बनाया गया है. साथ ही रिसेप्शन काउंटर भी बनाया गया है. जीर्णाेद्धार कार्य में जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का मूल स्वरूप को बरकरार रखा गया है. इसके जीर्णाेद्धार में चक्कों में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बना कर लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है.

सतपाल महाराज ने कहा जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और प्रयोगशाला के जीर्णाेद्धार के बाद लोकार्पण करने पर उनको काफी गौरवान्वित महसूस हो रहा है. अब यह मसूरी में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है. स्थानीयों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए पांच फूड वैन स्थापित की गए हैं. आने वाले समय में धीरे-धीरे लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम किया जाएगा.

उन्होंने कहा जॉर्ज एवरेस्ट से दिखने वाले हिमालय का विहंगम दृश्य काफी अद्भुत है. यह भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा. पर्यटन विभाग लगातार पर्यटन और धार्मिक स्थलों को जोड़कर सर्किट बनाने का काम कर रहा है, जिससे पर्यटक इसका लाभ उठा सकें. जगह-जगह हॉन्टेड हाउस बना रहे हैं. जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.

पार्क एस्टेट मसूरी में है जॉर्ज का घर: सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला गांधी चौक लाइब्रेरी बाजार से लगभग छह किमी की दूरी पर पार्क एस्टेट में स्थित है. इस घर और प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 1832 में हुआ था. जिसे अब सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस एंड लेबोरेटरी या पार्क हाउस नाम से जाना जाता है. यह ऐसे स्थान पर है, जहां दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है. जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देख-रेख में है.

मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में ही वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया. जॉर्ज वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे.

मसूरी: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Minister Satpal Maharaj) ने जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण (George Everest House inaugurated) किया. एशियन डेवलपमेंट बैंक (Asian Development Bank) की ओर से जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का 23.69 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार का कार्य किया गया है. जहां, जॉर्ज एवरेस्ट हाउस के पुराने स्वरूप को संरक्षित किया गया है. वहीं, इसके आसपास के क्षेत्र को भी विकसित किया गया है.

मसूरी के हाथीपांव स्थित ऐतिहासिक जॉर्ज एवरेस्ट हाउस पर्यटकों को आकर्षित करने जा रहा है. उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम (Uttarakhand Tourism Infrastructure Development Investment Program) के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से खंडहर हो चुके सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का 23.69 करोड़ की लागत से जीर्णाेद्धार किया गया है.

जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का लोकार्पण

सर जॉर्ज एवरेस्ट ने जीवन का एक लंबा अरसा मसूरी में गुजारा था. वेल्स के इस सर्वेयर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई बताई थी. इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ (British surveyor Andrew Waugh) की सिफारिश पर 1865 में इस शिखर का नाम सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया. मसूरी के हाथीपांव के समीप 172 एकड़ जमीन बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और 50 मीटर दूरी पर स्थित ऑब्जर्वेटरी का जीर्णाेद्धार किया गया है.

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सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और इससे करीब 50 मीटर की दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) का जीर्णाेद्धार 18 जनवरी 2019 शुरू किया गया था. जॉर्ज एवरेस्ट पर पर्यटकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए बूम बैरियर के पास पार्किंग स्थल बनाया गया है. साथ ही रिसेप्शन काउंटर भी बनाया गया है. जीर्णाेद्धार कार्य में जॉर्ज एवरेस्ट हाउस का मूल स्वरूप को बरकरार रखा गया है. इसके जीर्णाेद्धार में चक्कों में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बना कर लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है.

सतपाल महाराज ने कहा जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और प्रयोगशाला के जीर्णाेद्धार के बाद लोकार्पण करने पर उनको काफी गौरवान्वित महसूस हो रहा है. अब यह मसूरी में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने जा रहा है. स्थानीयों को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए पांच फूड वैन स्थापित की गए हैं. आने वाले समय में धीरे-धीरे लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम किया जाएगा.

उन्होंने कहा जॉर्ज एवरेस्ट से दिखने वाले हिमालय का विहंगम दृश्य काफी अद्भुत है. यह भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा. पर्यटन विभाग लगातार पर्यटन और धार्मिक स्थलों को जोड़कर सर्किट बनाने का काम कर रहा है, जिससे पर्यटक इसका लाभ उठा सकें. जगह-जगह हॉन्टेड हाउस बना रहे हैं. जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा.

पार्क एस्टेट मसूरी में है जॉर्ज का घर: सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला गांधी चौक लाइब्रेरी बाजार से लगभग छह किमी की दूरी पर पार्क एस्टेट में स्थित है. इस घर और प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 1832 में हुआ था. जिसे अब सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस एंड लेबोरेटरी या पार्क हाउस नाम से जाना जाता है. यह ऐसे स्थान पर है, जहां दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है. जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देख-रेख में है.

मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में ही वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया. जॉर्ज वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे.

Last Updated : Dec 7, 2021, 9:15 PM IST
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