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Satpal Maharaj Appeal: उत्तराखंड पूरी तरह सुरक्षित, पर्यटक शीतकालीन यात्रा का लुत्फ उठाएं, जोशीमठ का हल जल्द

उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने देश-विदेश के पर्यटकों से राज्य में आने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि प्रदेश पूरी तरह सुरक्षित है और जोशीमठ की घटना से डरने की आवश्यकता नहीं है. जोशीमठ समस्या का जल्द समाधान हो जाएगा. उन्होंने पर्यटकों से शीतकालीन यात्रा के तहत धार्मिक स्थलों पर आने का निवेदन किया है.

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Published : Jan 18, 2023, 6:29 PM IST

satpal maharaj
सतपाल महाराज.
पर्यटकों से उत्तराखंड आने की अपील करते मंत्री सतपाल महाराज.

देहरादून: जोशीमठ शहर में लगातार हो रहे भू-धंसाव की घटना न सिर्फ राज्य बल्कि केंद्र सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनी हुई है. इसी बीच उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र पर भी इसका असर पड़ता दिखाई दे रहा है. दरअसल, उत्तराखंड राज्य में जब भी आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो उस दौरान उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखी जाती है. हालांकि, वर्तमान समय में राज्य में पर्यटकों के आने का सिलसिला काफी अधिक रहता है लेकिन जोशीमठ आपदा के चलते पर्यटकों में डर का माहौल उत्पन्न हुआ है.

दरअसल, हर साल शीतकाल के दौरान लाखों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं, क्योंकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी का लुफ्त उठाने के साथ ही शीतकाल यात्रा के लिए भी पर्यटक उत्तराखंड पहुंचते हैं. लेकिन इस बार जोशीमठ में आई आपदा की वजह से पर्यटकों का रुख उत्तराखंड की ओर कम देखा जा रहा है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इस बात को मान रहे हैं.
पढ़ें- Joshimath Sinking Side Effects: उत्तराखंड से दूर हुए पर्यटक, बुकिंग हो रही कैंसिल, कारोबारी निराश

सतपाल महाराज मानते हैं कि जोशीमठ शहर में आई आपदा की वजह से पर्यटकों की संख्या में काफी कमी हुई है, क्योंकि लोग समझ नहीं पा रहे हैं जिसके चलते पर्यटक बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं. पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र सेस्मिक जोन में आते हैं, लिहाजा यहां पर हलचल होती रहती है. हालांकि जापान में भी भूकंप हमेशा आते रहते हैं बावजूद इसके वहां स्थितियां हमेशा समान रहती हैं. उनका सुझाव है कि ऐसे में उत्तराखंड में भी भूकंप रोधी कंस्ट्रक्शन करें साथ ही प्रभावित परिवारों के लिए फैब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण हो.

हालांकि, मंत्री ने आश्वस्त किया कि यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम पूरी तरह से सुरक्षित हैं. बावजूद इसके पर्यटक अपनी बुकिंग को कैंसिल कर रहे हैं. इसको देखते हुए महाराज ने पर्यटकों से अपील की है कि उत्तराखंड में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जो धार्मिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं और जहां हर समय पूजा चलती रहती है, वहां पर आकर पर्यटक शीतकाल यात्रा का लुफ्त उठा सकते हैं.
पढ़ें- Joshimath Sinking: जोशीमठ में लगे 'NTPC Go Back' के पोस्टर, अतुल सती ने ब्लास्टिंग को जिम्मेदार ठहराया

सतपाल महाराज का कहना है कि जो समस्या जोशीमठ क्षेत्र में पैदा हुई है उसे सरकार जल्द ही हल कर लेगी. इसके साथ ही टिम्मरसैंण में भी अमरनाथ की तरह ही बर्फ का शिवलिंग बनता है, इस स्थान को भी बढ़ावा दिए जाने को लेकर खुद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज वहां जाएंगे. टिम्मरसैंण में पर्यटन गतिविधियां शुरू होने से सीमांत गांव भी सुरक्षित होने के साथ ही वहां का व्यापार भी बढ़ेगा. ऐसे में राज्य सरकार की कोशिश है कि टिम्मरसैंण में भी शीतकाल यात्रा को बढ़ावा दिया जाए.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का ये भी कहना है कि प्रदेश की कैरिंग कैपेसिटी के अनुसार ही पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है, जिसको देखते हुए पर्यटन विभाग गहन मंथन कर रहा है ताकि आने वाले समय में कैरिंग कैपेसिटी को ध्यान में रखते हुए ही पर्यटन गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाए. यही नहीं, पर्यटन मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग से भी इस बात का अनुरोध किया है कि विभाग भी इसमें सहयोग करें और इस बात की जानकारी भी उपलब्ध कराए कि किस उम्र के लोग पर्वतीय क्षेत्रों में आएं जो बीमार न पड़ें.

पर्यटकों से उत्तराखंड आने की अपील करते मंत्री सतपाल महाराज.

देहरादून: जोशीमठ शहर में लगातार हो रहे भू-धंसाव की घटना न सिर्फ राज्य बल्कि केंद्र सरकार के लिए भी चिंता का विषय बनी हुई है. इसी बीच उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र पर भी इसका असर पड़ता दिखाई दे रहा है. दरअसल, उत्तराखंड राज्य में जब भी आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो उस दौरान उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखी जाती है. हालांकि, वर्तमान समय में राज्य में पर्यटकों के आने का सिलसिला काफी अधिक रहता है लेकिन जोशीमठ आपदा के चलते पर्यटकों में डर का माहौल उत्पन्न हुआ है.

दरअसल, हर साल शीतकाल के दौरान लाखों की संख्या में पर्यटक उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं, क्योंकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी का लुफ्त उठाने के साथ ही शीतकाल यात्रा के लिए भी पर्यटक उत्तराखंड पहुंचते हैं. लेकिन इस बार जोशीमठ में आई आपदा की वजह से पर्यटकों का रुख उत्तराखंड की ओर कम देखा जा रहा है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इस बात को मान रहे हैं.
पढ़ें- Joshimath Sinking Side Effects: उत्तराखंड से दूर हुए पर्यटक, बुकिंग हो रही कैंसिल, कारोबारी निराश

सतपाल महाराज मानते हैं कि जोशीमठ शहर में आई आपदा की वजह से पर्यटकों की संख्या में काफी कमी हुई है, क्योंकि लोग समझ नहीं पा रहे हैं जिसके चलते पर्यटक बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं. पर्यटन मंत्री ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र सेस्मिक जोन में आते हैं, लिहाजा यहां पर हलचल होती रहती है. हालांकि जापान में भी भूकंप हमेशा आते रहते हैं बावजूद इसके वहां स्थितियां हमेशा समान रहती हैं. उनका सुझाव है कि ऐसे में उत्तराखंड में भी भूकंप रोधी कंस्ट्रक्शन करें साथ ही प्रभावित परिवारों के लिए फैब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण हो.

हालांकि, मंत्री ने आश्वस्त किया कि यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम पूरी तरह से सुरक्षित हैं. बावजूद इसके पर्यटक अपनी बुकिंग को कैंसिल कर रहे हैं. इसको देखते हुए महाराज ने पर्यटकों से अपील की है कि उत्तराखंड में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं जो धार्मिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हैं और जहां हर समय पूजा चलती रहती है, वहां पर आकर पर्यटक शीतकाल यात्रा का लुफ्त उठा सकते हैं.
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सतपाल महाराज का कहना है कि जो समस्या जोशीमठ क्षेत्र में पैदा हुई है उसे सरकार जल्द ही हल कर लेगी. इसके साथ ही टिम्मरसैंण में भी अमरनाथ की तरह ही बर्फ का शिवलिंग बनता है, इस स्थान को भी बढ़ावा दिए जाने को लेकर खुद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज वहां जाएंगे. टिम्मरसैंण में पर्यटन गतिविधियां शुरू होने से सीमांत गांव भी सुरक्षित होने के साथ ही वहां का व्यापार भी बढ़ेगा. ऐसे में राज्य सरकार की कोशिश है कि टिम्मरसैंण में भी शीतकाल यात्रा को बढ़ावा दिया जाए.

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का ये भी कहना है कि प्रदेश की कैरिंग कैपेसिटी के अनुसार ही पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है, जिसको देखते हुए पर्यटन विभाग गहन मंथन कर रहा है ताकि आने वाले समय में कैरिंग कैपेसिटी को ध्यान में रखते हुए ही पर्यटन गतिविधियों को आगे बढ़ाया जाए. यही नहीं, पर्यटन मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग से भी इस बात का अनुरोध किया है कि विभाग भी इसमें सहयोग करें और इस बात की जानकारी भी उपलब्ध कराए कि किस उम्र के लोग पर्वतीय क्षेत्रों में आएं जो बीमार न पड़ें.

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