देहरादून: साल 2013 में केदारनाथ घाटी में आयी भीषण आपदा से सबक लेते हुए राज्य सरकार आपदा की पुनरावृत्ति न हो को लेकर बड़ी पहल करने जा रही है. जिसके तहत प्रदेश के सभी शिखरों और तालाबों की सेटेलाइट के जरिए स्टडी की जाएगी.
बता दें कि साल 2013 में केदारनाथ घाटी में आयी भीषण आपदा के 6 साल पुरे हो गए हैं. इस त्रासदी से केदार घाटी समेत आस-पास के तमाम क्षेत्र प्रभावित हुए थे. जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि 18 सितंबर को सरकार कॉन्फ्रेंस मिटिंग करने जा रही है. जिसके बाद वाडिया इंस्टीट्यूट और यूसेक सेटेलाइट के जरिए पूरे क्षेत्र के शिखरों और तालाबों पर अनुसंधान करेगी.
वहीं चारधाम यात्रा को लेकर विपक्ष ने कई सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने राज्य सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में चारधाम यात्रा के बारे में चर्चा तक नहीं की जा रही है और आज यात्रा है ही कहां? साथ ही उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम का रास्ता समाप्त है. केदारनाथ धाम का रास्ता भी रुद्रप्रयाग से आगे खतरनाक बना हुआ है. यही नहीं सभी धाम की यात्रा रुकी हुई है. लेकिन किसी को भी यात्रा के बारे में चिंता नहीं है. ना ही चारधाम यात्रा के बारे में कोई पूछ रहा है और ना ही कोई बता रहा है.
साथ ही बताया कि पूरे प्रदेश के अंदर इस समय स्थिति बहुत असामान्य है. चारधाम यात्रा उत्तराखंड की लाइफ लाइन है. इसके साथ ही बाहर से आने वाले यात्रियों में दहशत का माहौल ना बने और यात्री यहां आना ना बंद कर दे ऐसे में चारधाम यात्रा प्रभावित हो जाएगी. इसलिए कांग्रेस पार्टी चारधाम यात्रा के बारे में ज्यादा नहीं बोलती है.
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वहीं चारधाम की व्यवस्थाओं पर कांग्रेस के सवाल पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि चारधाम की सड़कें बननी चाहिए और मजबूत होनी चाहिए. जहां-जहां लैंडस्लाइड की घटना हो रही है, वहां जेसीबी की व्यवस्था हो ताकि तत्काल प्रभाव से मार्गों को खोला जा सके. साथ ही पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिल सकें. जिसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही सिंचाई विभाग को व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की हिदायत दी गयी है.