नई दिल्ली: लोकसभा सत्र के दौरान नैनीताल-उधमसिंह नगर से सांसद अजय भट्ट और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने जलविद्युत परियोजनाओं और पलायन का मुद्दा उठाया. भट्ट ने उत्तराखंड में केंद्र द्वारा रोकी गई 44 जलविद्युत परियोजनाओं का सवाल उठाया. भट्ट ने सदन को बताया कि ये जल विद्युत परियोजनाएं उत्तराखंड सरकार की आय का अहम श्रोत हैं. परियोजनाओं के शुरू होने से राज्य की आय बढ़ेगी और कई हजार नौजवानों को रोजगार मिलेगा.
सदन में उत्तराखंड की बात रखते हुये सांसद अजय भट्ट ने कहा कि राज्य में कई जल प्रोजेक्ट बने हैं और पानी से जो बिजली बनती है उसी से राजस्व आता है. छोटा राज्य है उत्तराखंड और सरकार के पास राजस्व के कोई साधन नहीं हैं.
भट्ट ने जानकारी दी कि इन परियोजनाओं में 3 हजार 62 करोड़ का निवेश अबतक हो चुका है और 48 हजार करोड़ रुपये का निवेश संभावित है. 8 हजार 960 मिलियन यूनिट की हानि प्रदेश को हो रही है. 3 हजार 540 करोड़ सालाना राजस्व की हानि हो रही है. इसके अलावा 52 हजार लोगों को रोजगार मिलता था, उसकी भी हानि हो रही है.
भट्ट ने सफाई देते हुये कहा कि केंद्र के पास ऐसा कोई संदेश आया है कि गंगा में पानी नहीं छोड़ा जाएगा लेकिन साल 1917 में गंगा सभा के साथ हुये एग्रीमेंट के आधार पर 1 हजार क्वूसेक पानी छोड़ा जाना बेहद जरूरी था लेकिन स्पेशल कमेटी की जांच के आधार पर 5 हजार क्वूसेक पानी लगातार छोड़ा जा रहा है इसको देखते हुये भट्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि 44 जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य पर लगाई गई रोक हटाई जाए.
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वहीं, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड की सबसे बड़ी समस्या पलायन को आधार बनाते हुये अपने सवाल रखे. रावनत ने कहा कि उत्तराखंड के अंदर ऑल वेदर रोड, नेशनल हाई-वे, चारधाम सड़क योजना सभी पर तेजी से विकास हो रहा है लेकिन इतना सब होने के बाद भी पलायन तेजी से हो रहा है.
पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों के पास रोजगार का अभाव है जिसके कारण सबसे ज्यादा पलायन हो रहा है. शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं भी चरमराई हुई हैं. रावत ने सरकार से आग्रह किया है कि पहाड़ पर कुटीर व लघु उद्योग लगें ताकि लोग अपने गांवों से ही स्वरोजगार अपना सकें. इसके लिये अलग से नीति बनाने की जरूरत है. वहीं, शिक्षा को लेकर तहसील स्तर पर केंद्रीय स्कूल खुलने चाहिएं जिससे इस स्तर पर ही बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके.