देहरादून: मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर परेड ग्राउंड पर आज सुबह से ही लोगों का जुटना शुरू हुआ. मूल निवास और भू-कानून की मांग के साथ लोग एक महारैली का आयोजन के लिए जुटे रहे. खास बात ये रही कि सुबह सैकड़ों की संख्या में दिखने वाले लोग दिन होते-होते हजारों की संख्या में सड़कों पर दिखाई देने लगे. इस आंदोलन में तमाम पार्टियों के लोग भी मौजूद रहे. विभिन्न संगठन से जुड़े कार्यकर्ता भी अपनी बात को नारों के जरिए रख रहे थे. यहां ना तो कोई पार्टी थी और ना ही कोई संगठन की मांग. बस हर कोई भू कानून और मूल निवास 1950 के लागू करने के अधिकार को रख रहा था. महारैली में लोग देहरादून से ही नहीं, बल्कि पहाड़ों से भी लोगों ने मैदान का रुख किया.
ईटीवी भारत ने आंदोलन में शामिल तमाम लोगों से बात की और इस दौरान उनके मन की बात जानने की कोशिश की. लोग यह कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़ने के बाद राज्य तो मिल गया लेकिन नए राज्य की कल्पना जिस मकसद के साथ की गई थी, उसके लिए एक बार फिर आंदोलन करना पड़ रहा है. स्थानीय लोगों को रोजगार से वंचित रखकर दूसरे प्रदेशों के लोग उत्तराखंड के युवाओं की नौकरी पर कब्जा कर रहे हैं.
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भू-कानून की जरूरत: महारैली में मौजूद लोगों का कहना था कि बाहरी लोग उत्तराखंड में आकर अपना कारोबारि स्थापित कर रहे हैं, लेकिन रोजगार स्थानीय युवाओं के देने के बजाय बाहरी लोगों को बसा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड बाहरी लोगों द्वारा अपराध की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश जैसे सशक्त भू-कानून की काफी जरूरत है.