मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है. मसूरी से दून घाटी के ऊपर शाम के वक्त सीधी पीली-लाल रेखा दिखाई देती है जो अपने आप में बहुत खूबसूरत नजर आती है. मसूरी आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक प्रकृति के इस सुंदर नजारे को अपने कैमरे में कैद करते हैं.
यह रेखा धूल के कणों से बनती है, जो शाम के समय धूल के अधिक ऊपर उठने के कारण इस पर पड़ने वाली सूरज की किरणों से चमक उठती है. धूल के कण जितने अधिक होते हैं, विंटर लाइन भी उतनी ही अधिक गहरी बनती है. यह रेखा अक्टूबर माह से दिसंबर तक मसूरी से दून घाटी की ओर दिखाई देती है. वहीं शाम को ढलते सूरज और विंटर लाइन को स्मार्ट फोन और कैमरा लिए कैद करने के लिए मालरोड के चिकचौकलेट चौक पर खड़े लोग नजर आते हैं.
केवल स्विट्जरलैंड और मसूरी में ऐसा नजारा
बता दें कि दुनिया में विंटर लाइन का नजारा सिर्फ दो जगह से ही देखा जा सकता है. एक स्विट्जरलैंड और दूसरा मसूरी में. अक्टूबर महीने के दूसरे सप्ताह से लेकर दिसंबर आखिर तक मसूरी मालरोड से यह नजारा दिखाई देता है.
मसूरी में आयोजित होता है विंटर लाइन फेस्टिवल
स्विट्जरलैंड और मसूरी की विंटर लाइन दुनिया में मशहूर है. देहरादून जिला प्रशासन द्वारा मसूरी विंटर लाइन फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. इस दौरान मसूरी को विंटर लाइन की तर्ज पर ही सजाया जाता है.
मौसम वैज्ञानिक विंटर लाइन के बारे में क्या कहते हैं ?
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि ठंड के मौसम में यानी विंटर सीजन में वायुमंडल में नमी आ जाती है. मैदानी क्षेत्रों की धूल एक सीमित ऊंचाई के बाद रुक जाती है. इससे एक समानांतर रेखा विंटर लाइन के तौर पर उभर जाती है. सूर्यदेव के छिपने के बाद दून के आसमान में ऋषिकेश से लेकर पौंटा साहिब तक एक पीली लाइन बन जाती है. यही विंटर लाइन है.