ETV Bharat / state

Joshimath Landslide: जोशीमठ में अब बोल्डर का 'प्रहार'! कैसे बचाएगी सरकार? - जोशीमठ ताजा खबर

उत्तराखंड का ऐतिहासिक जोशीमठ नगर खतरे के मुहाने पर खड़ा है. यहां जिस तेजी से दरारें चौड़ी हो रही है, उससे एक और खतरा पैदा हो गया है. भूवैज्ञानिकों की मानें तो अगर इसी तरह से दरारें पड़ती गई तो पहाड़ी दरक सकती है. साथ ही बोल्डर गिर सकते हैं. इसके अलावा भूकंप भी तबाही ला सकता है.

Cracks in Joshimath
जोशीमठ में दरार
author img

By

Published : Jan 17, 2023, 7:38 PM IST

देहरादूनः जोशीमठ में लगातार दरारें चौड़ी होती जा रही है. अब नगर के दूसरे हिस्सों में भी दरारें दिखने लगी है. अभी तक 849 घरों में दरारें पड़ चुकी है. यह दरारें बड़ी मुसीबत की ओर इशारा कर रहे हैं. जिस तरह से दरारों चौड़ी हो रही है, उससे पहाड़ों पर बने भवनों का नीचे आने का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. जानकारों की मानें तो अगर इसी तेजी से जोशीमठ में भू-धंसाव होता रहा तो निचले इलाके में भी इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

कितनी बड़ी है समस्याः जोशीमठ के हालात जो आज हुए हैं, वो सब अचानक नहीं हुआ है. ऐसे में साफ जाहिर हो रहा है कि या तो सरकार और प्रशासन ने जोशीमठ की अनदेखी की या फिर जिम्मेदार लोग किसी बड़ी अनहोनी के होने का इंतजार करते रहे. यही कारण है कि जब एक साथ आफत आई तो सभी घरों को असुरक्षित सूची में डालना पड़ा.

जिस जगह पर जोशीमठ नगर बसा है, उसके आस पास बड़े-बड़े पहाड़ हैं. अभी तो सिर्फ घरों में दरारें आई हैं, लेकिन जिस तरह से पहाड़ में हलचल हो रही है, उससे अंदेशा जताया जा रहा है कि कहीं पहाड़ के पहाड़ और बोल्डर नीचे ना आ जाएं. लिहाजा, निचले इलाके जो अभी तक सुरक्षित हैं या सड़कें जिन पर लोग आवाजाही कर रहे हैं, उनको भी नुकसान हो सकता है. ऐसे में अब बोल्डर को भी बचाने की कवायद तेज कर दी गई है.

भू-वैज्ञानिकों की चिंताः पहाड़ों में आ रही दरारों को लेकर भूवैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी जोशी कहते हैं कि अभी सिर्फ जोशीमठ के वर्तमान हालातों को लेकर बातें की जा रही है, लेकिन ये दरारें अभी सिर्फ घरों पर आई है. कल ये दरारें सड़कों पर भी आ सकती है. ऐसे में उस वक्त वहां जाना-आना और मौके की जानकारी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा. जोशीमठ में एक और बड़ी समस्या सामने है. अगर भूकंप आया तो उसका परिणाम बेहद खतरनाक हो सकता है. भूकंप की वजह दरारों का आकार बढ़ेगा और बोल्डर पहाड़ी से नीचे आ सकते हैं.

क्या कहते हैं अधिकारीः उत्तराखंड आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा कहते हैं कि उन्हें पूरे मामले का संज्ञान है. विभाग सिर्फ घरों को नहीं पहाड़ को भी बचाने को लेकर सभी पहलुओं पर काम कर रहा है. ऐसे में जब भू-धंसाव हो रहा है तो ये बात सही है कि पहाड़ और बोल्डर नीच ना आ सकें, उसका भी ध्यान रखना होगा. इसलिए जो बोल्डर ज्यादा खतरनाक या नीचे आ सकते हैं या फिर उनके नीचे की जमीन पर दबाव है. उनको तार जाल से बांधने की तैयारी कर रहे हैं.

फिलहाल, उनका फोकस यही है कि किसी तरह से कोई भी दिक्कत स्थानीय निवासियों को न हो. जोशीमठ का जो भी काम है, उसमे अभी समय लगेगा. क्योंकि, अलग-अलग एजेंसी पूरे क्षेत्र का अध्ययन कर रही है. ऐसे में बीच से कोई काम शुरू नहीं होगा. जोशीमठ के पूरे क्षेत्र की जमीन और सैटेलाइट दोनों से मॉनिटरिंग की जा रही है.

पीपलकोट में बसाने की तैयारी? जोशीमठ में फिलहाल सरकार ध्यान तो पूरा दे रही है, लेकिन अभी लोगों को वहां से सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के अलावा सरकार के पास कुछ भी विकल्प नहीं है. पहाड़ों में आ रही दरारें जब तक पूरी तरह से अंतिम छोर पर नहीं आ जाती है, तब तक उनके ट्रीटमेंट के बारे में सोचना भी पैसे की बर्बादी करना ही होगा.

जोशीमठ में अभी तक 849 घरों में दरारें आ चुकी हैं. जबकि, जोशीमठ नगर के 4 वार्ड बेहद असुरक्षित हैं. इन वार्डों में 164 घर पूरी तरह से असुरक्षित पाए गए हैं. जोशीमठ के प्रभावित लोगों को पुनर्वास प्रक्रिया के तहत पीपलकोटी में बसाने की तैयारी की जा रही है. यहां पर करीब 2 हेक्टेयर भूमि पर स्थायी कॉलोनी बनाने की कवायद की जा रही है.
ये भी पढ़ेंः Joshimath Sinking: 4 वार्ड अनसेफ घोषित, दरारों ने 849 मकानों को किया खोखला! ढहाए जाएंगे

देहरादूनः जोशीमठ में लगातार दरारें चौड़ी होती जा रही है. अब नगर के दूसरे हिस्सों में भी दरारें दिखने लगी है. अभी तक 849 घरों में दरारें पड़ चुकी है. यह दरारें बड़ी मुसीबत की ओर इशारा कर रहे हैं. जिस तरह से दरारों चौड़ी हो रही है, उससे पहाड़ों पर बने भवनों का नीचे आने का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. जानकारों की मानें तो अगर इसी तेजी से जोशीमठ में भू-धंसाव होता रहा तो निचले इलाके में भी इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

कितनी बड़ी है समस्याः जोशीमठ के हालात जो आज हुए हैं, वो सब अचानक नहीं हुआ है. ऐसे में साफ जाहिर हो रहा है कि या तो सरकार और प्रशासन ने जोशीमठ की अनदेखी की या फिर जिम्मेदार लोग किसी बड़ी अनहोनी के होने का इंतजार करते रहे. यही कारण है कि जब एक साथ आफत आई तो सभी घरों को असुरक्षित सूची में डालना पड़ा.

जिस जगह पर जोशीमठ नगर बसा है, उसके आस पास बड़े-बड़े पहाड़ हैं. अभी तो सिर्फ घरों में दरारें आई हैं, लेकिन जिस तरह से पहाड़ में हलचल हो रही है, उससे अंदेशा जताया जा रहा है कि कहीं पहाड़ के पहाड़ और बोल्डर नीचे ना आ जाएं. लिहाजा, निचले इलाके जो अभी तक सुरक्षित हैं या सड़कें जिन पर लोग आवाजाही कर रहे हैं, उनको भी नुकसान हो सकता है. ऐसे में अब बोल्डर को भी बचाने की कवायद तेज कर दी गई है.

भू-वैज्ञानिकों की चिंताः पहाड़ों में आ रही दरारों को लेकर भूवैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी जोशी कहते हैं कि अभी सिर्फ जोशीमठ के वर्तमान हालातों को लेकर बातें की जा रही है, लेकिन ये दरारें अभी सिर्फ घरों पर आई है. कल ये दरारें सड़कों पर भी आ सकती है. ऐसे में उस वक्त वहां जाना-आना और मौके की जानकारी जुटाना भी मुश्किल हो जाएगा. जोशीमठ में एक और बड़ी समस्या सामने है. अगर भूकंप आया तो उसका परिणाम बेहद खतरनाक हो सकता है. भूकंप की वजह दरारों का आकार बढ़ेगा और बोल्डर पहाड़ी से नीचे आ सकते हैं.

क्या कहते हैं अधिकारीः उत्तराखंड आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा कहते हैं कि उन्हें पूरे मामले का संज्ञान है. विभाग सिर्फ घरों को नहीं पहाड़ को भी बचाने को लेकर सभी पहलुओं पर काम कर रहा है. ऐसे में जब भू-धंसाव हो रहा है तो ये बात सही है कि पहाड़ और बोल्डर नीच ना आ सकें, उसका भी ध्यान रखना होगा. इसलिए जो बोल्डर ज्यादा खतरनाक या नीचे आ सकते हैं या फिर उनके नीचे की जमीन पर दबाव है. उनको तार जाल से बांधने की तैयारी कर रहे हैं.

फिलहाल, उनका फोकस यही है कि किसी तरह से कोई भी दिक्कत स्थानीय निवासियों को न हो. जोशीमठ का जो भी काम है, उसमे अभी समय लगेगा. क्योंकि, अलग-अलग एजेंसी पूरे क्षेत्र का अध्ययन कर रही है. ऐसे में बीच से कोई काम शुरू नहीं होगा. जोशीमठ के पूरे क्षेत्र की जमीन और सैटेलाइट दोनों से मॉनिटरिंग की जा रही है.

पीपलकोट में बसाने की तैयारी? जोशीमठ में फिलहाल सरकार ध्यान तो पूरा दे रही है, लेकिन अभी लोगों को वहां से सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के अलावा सरकार के पास कुछ भी विकल्प नहीं है. पहाड़ों में आ रही दरारें जब तक पूरी तरह से अंतिम छोर पर नहीं आ जाती है, तब तक उनके ट्रीटमेंट के बारे में सोचना भी पैसे की बर्बादी करना ही होगा.

जोशीमठ में अभी तक 849 घरों में दरारें आ चुकी हैं. जबकि, जोशीमठ नगर के 4 वार्ड बेहद असुरक्षित हैं. इन वार्डों में 164 घर पूरी तरह से असुरक्षित पाए गए हैं. जोशीमठ के प्रभावित लोगों को पुनर्वास प्रक्रिया के तहत पीपलकोटी में बसाने की तैयारी की जा रही है. यहां पर करीब 2 हेक्टेयर भूमि पर स्थायी कॉलोनी बनाने की कवायद की जा रही है.
ये भी पढ़ेंः Joshimath Sinking: 4 वार्ड अनसेफ घोषित, दरारों ने 849 मकानों को किया खोखला! ढहाए जाएंगे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.