मसूरी: पहाडों की रानी मसूरी में 1920 में पहली बार कार आई थी, जिसको देख मसूरी में लोग हैरान हो गए थे. कार को देखने के लिये मसूरी और आसपास के क्षेत्रों के लोगों का मसूरी में जमघट लग गया था.
मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि मसूरी निर्माण होने के बाद साल 1929 में मसूरी में मोटर मार्ग का निर्माण हुआ था. मसूरी हाथी पांव-कार्ट मैकेंजी रोड पर स्थित बियर फैक्ट्री से बियर की सप्लाई के लिए बियर फैक्ट्री के मालिक मैकेनेन ने कच्ची रोड का निर्माण करवाया था. गोपाल भारद्वार बताते हैं कि मसूरी में कार को आये 100 साल पूरे हो गए हैं.
गोपाल भारद्वाज ने बताया कि मसूरी में कार लाने वाले अंग्रेज का नाम ईडब्ल्यू बेल था, जो टी-40 माडल की फोर्ट कंपनी की कार बार मसूरी लाये थे. तब मसूरी-देहरादून रोड ऊबड़-खाबड़ होने के कारण ईडब्ल्यू बेल को देहरादून से मसूरी हाथी पांव रोड से होते हुए गांधी चौक पहुंचने में करीब 2 घंटे लगे थे. तब कार को देखने के लिये सैकड़ों लोग इकट्ठे हुए थे. मसूरी एंड दून वैली गाइड बुक में इस बात का जिक्र किया गया है.
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गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि साल 1920 में लोग बैलगाड़ी और घोड़े से मसूरी, देहरादून और आसपास जाया करते थे. मसूरी समुद्र तल से करीब 6 हजार 500 फीट की उंचाई पर स्थित होने के चलते उस समय मसूरी में कार लाना काफी मुश्किल था. उन्होंने कहा कि वर्तमान में टेक्नोलॉजी में बहुत बदलाव हो चुके हैं.