देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) को लागू करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता कई बार जता चुके हैं. वहीं उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए प्रदेशवासियों को अभी कुछ और इंतजार करना होगा. हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को 6 महीने में लागू करने के संकेत दिए थे. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखकर साफ है कि आने वाली लंबे समय तक राज्य में यह व्यवस्था लागू नहीं की जा पाएगी.
यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uttarakhand Uniform Civil Code) पर राज्य सरकार की तरफ से ड्राफ्ट तैयार करने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं. पूर्व में दावा किया गया था कि 6 महीने में इसे लागू कर दिया जाएगा, लेकिन अभी फिलहाल इसके ड्राफ्ट को लेकर भी स्थितियां स्पष्ट नहीं हो पाई हैं. धामी सरकार की तरफ से यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट की जिम्मेदारी रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में गठित कमेटी को दी गई है. माना जा रहा था कि यह कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को दे सकती है, लेकिन फिलहाल इसके ड्राफ्ट को तैयार करने में समय लगता हुआ दिखाई दे रहा है. शायद इसलिए अब राज्य सरकार ने इस कमेटी के कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है.
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सरकार की तरफ से बढ़ाए गए समय के अनुसार अब इस कमेटी का कार्यकाल मई 2023 तक हो गया है. इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति विषम है और राज्य में एक मजबूत कानून बनाने के लिए कमेटी को और अधिक समय की जरूरत महसूस हो रही थी, लिहाजा राज्य सरकार की तरफ से इसके कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है. मुख्यमंत्री ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि इस कानून की स्वीकार्यता को बढ़ाने के लिए यह कमेटी प्रदेश के हर क्षेत्र हर वर्ग और हर समाज तक पहुंचने की कोशिश करेगी. जिसके लिए समय लगना लाजमी है. हालांकि इसके बावजूद उन्होंने दावा किया कि जल्द ही राज्य को एक प्रभावी कानून मिल जाएगा.
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क्या है समान नागरिक संहिता: यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून. चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा.
गोवा में पहले से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड: उधर, गोवा में पहले से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code in Goa) लागू है. इसको लेकर भी अलग-अलग बात कही जाती है. बताया जाता है कि 1961 से ही गोवा में इसे लागू कर दिया गया था, जबकि इसके बाद गोवा भारत का हिस्सा बना था. लिहाजा, यह कानून यहां पहले से ही लागू है. समान नागरिक संहिता के मामले में जानकार भी कहते हैं कि इससे सभी तरह के कानूनों को एक समान करने में मदद मिलेगी. सभी धर्मों के लोगों पर वही कानून लागू होगा. इससे खासतौर पर शादी, तलाक, प्रॉपर्टी और गोद लेने जैसे मामले पर एक तरह का कानून बन सकेगा.