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यहां वनवासी और राजा रूप में विराजे हैं भगवान राम, एक ही मंदिर में देते हैं दोनों रूपों में दर्शन - agar malwa news

दीपावली के अवसर पर ईटीवी भारत मध्यप्रदेश लेकर आया है एक खास पेशकश 'राजाराम', जिसमें मिलेंगी भगवान राम के वनगमन से लेकर दीपोत्सव तक की ऐसी अनसुनी कहानियां जो मध्यप्रदेश से जुड़ी हैं. आगर-मालवा में भी भगवान राम का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां भगवान दो रूपों में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं.

यहां वनवासी और राजा रूप में विराजे हैं भगवान राम.
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Published : Oct 26, 2019, 9:24 AM IST

आगर मालवा: श्रीराम की वनवास यात्रा अयोध्या शुरू होकर रामेश्वरम से होते हुए श्रीलंका में संपन्न हुई. भगवान राम की वनवास यात्रा का एक अहम पड़ाव देश का दिल यानी मध्यप्रदेश भी रहा. एमपी के अलग-अलग शहरों में भगवान राम कई रूपों में विराजे हैं. आगर मालवा जिले में भी भगवान राम की चमत्कारी मूर्तियां देखने मिलती हैं. आगर-मालवा के सुसनेर में श्रीराम का करीब 400 साल पुराना ऐसा मंदिर हैं, जिसमें अवध बिहारी दो रूपों में दर्शन देते हैं. मंदिर में राजाराम की दो तरह की प्रतिमाएं मौजूद हैं. एक प्रतिमा में श्रीराम का राजा रूप में, जबकि दूसरी में वनवासी के रूप दिखता है. यही इस मंदिर की खासियत भी है.

यहां वनवासी और राजा रूप में विराजे हैं भगवान राम.

करीब 1600 ईवी पूर्व बने इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि, यहां दो मंदिर बनाए जाने थे, जो किसी कारण से नहीं बन सके. इसलिए एक ही मंदिर में राम भगवान के दोनों रूपों वाली मूर्तियों की स्थापनी की गई, कहा जाता है कि सुसनेर के अलावा ऐसा मंदिर कहीं और नहीं है. स्थानीय लोग बताते हैं कि होल्कर स्टेट की महारानी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर में महिला मंडल द्वारा प्रतिदिन माला का जाप किया जाता है. गंगाराम टेलर की मानें तो वह पिछले कई सालों से वनवासी रूपी भगवान राम की पोषक सिलते आ रहे हैं.

Shriram Series
भगवान राम के दो रूपों वाली प्रतिमा

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि समय-समय पर मंदिर में धार्मिक आयोजन होते हैं. जिसमें भक्त भी बड़ी संख्या में राम के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.मंदिर में मौजूद दोनों प्रकार की प्रतिमाओं में रामायण के दो कालखण्डों का प्रतिबिंब नजर आता है. वनवासी के रूप में विराजे भगवान राम की प्रतिमा उनके 14 साल के वनवास को दर्शाती है, जबकि राजा के रूप में विराजमान भगवान राम भक्तों को अयोध्या नरेश के रूप में दर्शन देते हैं.

आगर मालवा: श्रीराम की वनवास यात्रा अयोध्या शुरू होकर रामेश्वरम से होते हुए श्रीलंका में संपन्न हुई. भगवान राम की वनवास यात्रा का एक अहम पड़ाव देश का दिल यानी मध्यप्रदेश भी रहा. एमपी के अलग-अलग शहरों में भगवान राम कई रूपों में विराजे हैं. आगर मालवा जिले में भी भगवान राम की चमत्कारी मूर्तियां देखने मिलती हैं. आगर-मालवा के सुसनेर में श्रीराम का करीब 400 साल पुराना ऐसा मंदिर हैं, जिसमें अवध बिहारी दो रूपों में दर्शन देते हैं. मंदिर में राजाराम की दो तरह की प्रतिमाएं मौजूद हैं. एक प्रतिमा में श्रीराम का राजा रूप में, जबकि दूसरी में वनवासी के रूप दिखता है. यही इस मंदिर की खासियत भी है.

यहां वनवासी और राजा रूप में विराजे हैं भगवान राम.

करीब 1600 ईवी पूर्व बने इस मंदिर के पुजारी बताते हैं कि, यहां दो मंदिर बनाए जाने थे, जो किसी कारण से नहीं बन सके. इसलिए एक ही मंदिर में राम भगवान के दोनों रूपों वाली मूर्तियों की स्थापनी की गई, कहा जाता है कि सुसनेर के अलावा ऐसा मंदिर कहीं और नहीं है. स्थानीय लोग बताते हैं कि होल्कर स्टेट की महारानी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर में महिला मंडल द्वारा प्रतिदिन माला का जाप किया जाता है. गंगाराम टेलर की मानें तो वह पिछले कई सालों से वनवासी रूपी भगवान राम की पोषक सिलते आ रहे हैं.

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भगवान राम के दो रूपों वाली प्रतिमा

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि समय-समय पर मंदिर में धार्मिक आयोजन होते हैं. जिसमें भक्त भी बड़ी संख्या में राम के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.मंदिर में मौजूद दोनों प्रकार की प्रतिमाओं में रामायण के दो कालखण्डों का प्रतिबिंब नजर आता है. वनवासी के रूप में विराजे भगवान राम की प्रतिमा उनके 14 साल के वनवास को दर्शाती है, जबकि राजा के रूप में विराजमान भगवान राम भक्तों को अयोध्या नरेश के रूप में दर्शन देते हैं.

Intro:आगर। मध्यप्रदेश के आगर जिलें के सुसनेर में 400 साल पुराना भगवान राम का ऐसा प्राचीन मंदिर है, जहां भगवान राम की वनवासी और राजारामचन्द्र के रूप में पूजा कि जाती है। होलकर स्टेट के जमाने के 1603 ईस्वी से भी अधिक पुराने इस श्रीराम मंदिर में भगवान राम की दो तरह की प्रतिमाएं विराजमान है, एक में भगवान राम राजा के रूप में तो दूसरी प्रतिमां में वनवासी रूप में विराजित है, इनके साथ ही लक्ष्मण और सीताजी भी मौजूद है। यह मध्यप्रदेश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान राम को राजा रामचंद्र और वनवासी दोनो रूपों में पूजा जाता है।Body:इस समय चहुंऔर दीपावली के पर्व की धुम मची हुई है, दीपोत्सव के पर्व पर इस बार हम आपको धार्मिक नगरी सुसनेर के अनुठे श्री राम मंदिर धर्मशाला से रूबरू करवा रहे है। इस मंदिर में भगवान राम की राजा रामचन्द्र के रूप में राम दरबार के साथ स्थापना की गई थी। मंदिर के समीप ही एक और अन्य मंदिर बनाकर उसमें वनवासी रूप में भगवान राम की स्थापना करने के लिए प्रतिमाएं लाई गई थी। किन्तु मंदिर नहीं बना और प्रतिमाएं यही विराजमान रह गई। तभी से श्रीराम मंदिर में भगवान राम की वनवासी और राजाराम के रूप में पूजा की जाती आ रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता सुनील बांगड़ डॉन ने मंदिर से जुड़े इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि यह मंदिर 400 साल पुराना है, मन्दिर में महिला मंडल के दुवारा प्रतदिन माला का जाप भी शाम के समय किया जाता है।

मन्दिर में प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालु गंगाराम टेलर ने बताया कि वे सालो से वनवासी रूपी भगवान राम की पोषक सिलते आये है, यह मंदिर दीपोत्सव के चलते श्रद्धालुओं की आस्था के केन्द्र बना हुआ है।

6 फीट के दास हनुमान

इसी मंदिर में राम दरबार के सामने करीब 30 फीट दूरी पर हनुमानजी की 6 फीट ऊंची प्रतिमां है। इस रूप में भगवान हनुमान अपने इष्ट प्रभु भगवान श्री राम की दोनो हाथ जोडकर प्रार्थना करते हुएं दिखाई दे रहे है।Conclusion:दोनो प्रतिमाएं करती है अलग-अलग वर्णन

मंदिर में विराजित दोनो प्रकार की प्रतिमाए रामायण के दो कालखण्डों का उल्लेख करती है। वनवासी प्रतिमाएं इस बात का वर्णन करती है कि भगवान राम ने माता सीता और लक्ष्मणजी के साथ इस रूप में ही अपनी माता का वचन पूरा करने के लिए 12 वर्षो का वनवास किया था। दूसरी प्रतिमा राजा के रूप में है, जब भगवान राम रावण पर विजयी प्राप्त कर अयोध्या लोटे थे तब उनका राज्याभिषेक किया गया था। उसी दिन इस मंदिर में भी भगवान राम का राज्याभिषेक उत्सव मनाया गया।

मंदिर के पुजारी पंडित मनोजकुमार शर्मा बताते है कि 400 साल पुराने इस मंदिर में पूजा करते-करते उनकी सातवी पीढी चल रही है। उनके दादाजी बताते थे कि यह मंदिर होलकर स्टेट के जमाने का है। आज भी सुसनेर में लगने वाला 15 दिवसीय मेला इसी मंदिर के नाम से लगता है। यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान की वनवासी और राजा के रूप में पूजा की जाती है। दोनो ही प्रतिमाएं आकर्षक होकर चमत्कारित है।

विज्युअल- श्रीराम मंदिर धर्मशाला, मंदिर में विराजित वनवासी और राजाराम की प्रतिमा, साथ में सीताजी और लक्ष्मणजी।
मंदिर शिखर व पूरे परिसर का।

बाईट- सुनिल बांगड डॉन, सामाजिक कार्यकर्ता, सुसनेर।
बाईट- गंगाराम टेलर, श्रद्धालु, सुसनेर।
बाईट- पंडित मनोज कुमार शर्मा, पुजारी श्रीराम मंदिर धर्मशाला, सुसनेर।
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