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आरजी नौटियाल के तबादले से याद आया उत्तरा पंत बहुगुणा विवाद, दोनों को भुगतनी पड़ी नाराजगी की सजा - त्रिवेंद्र सिंह रावत

अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरजी नौटियाल को कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की नाराजगी की सजा तबादले के रूप में भुगतनी पड़ी है. इस प्रकरण ने शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच के विवाद की याद दिला दी है. शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था.

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Published : Jul 16, 2021, 9:57 PM IST

Updated : Jul 16, 2021, 10:10 PM IST

देहरादूनः देहरादून को शिक्षा के हब से भी जाना जाता है. लेकिन शिक्षा के हब में शिक्षकों पर जनप्रतिनिधियों की हनक ऐसी है कि नाराजगी की आग शिक्षक के तबादले से ठंडी होती है. फिर चाहे वह शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा हो या फिर प्राचार्य डॉ रामगोपाल नौटियाल.

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की नाराजगी पर अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान के प्राचार्य डॉ रामगोपाल नौटियाल का तबादला कर दिया गया है. इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर जून 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा के बीच हुए विवाद की याद दिला दी है.

दरअसल, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामगोपाल नौटियाल के तबादले को इसलिए सामान्य नहीं माना जा सकता. क्योंकि, यह तबादला एक जनप्रतिनिधि के नाराजगी के चलते हुआ है. दरअसल बीती 11 जुलाई को अल्मोड़ा जिले की कोविड प्रभारी मंत्री रेखा आर्य की ओर से अल्मोड़ा के विकास भवन में कोविड की समीक्षा बैठक की जा रही थी. तभी, अचानक बैठक में मौजूद अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामगोपल नौटियाल के पास विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फोन आ गया.

ये भी पढ़ेंः मंत्री रेखा आर्य की नाराजगी पड़ी भारी, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सहित 3 अधिकारियों का तबादला

ऐसे में प्राचार्य की ओर से बैठक के बीच फोन रिसीव कर लिया गया. बस फिर क्या अल्मोड़ा कोविड प्रभारी मंत्री रेखा आर्य को ये बात इतनी नागवार गुजरा कि उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए तुरंत तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और स्वास्थ्य सचिव को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ शिकायती पत्र लिख डाला. उन्होंने सीधे तौर पर प्राचार्य को उनके पद से हटाने की मांग कर डाली.

आखिरकार अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामगोपाल नौटियाल को मंत्री की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा है. डॉ. नौटियाल का तबादला हल्द्वानी के टीबी एंड चेस्ट विभाग राजकीय मेडिकल कॉलेज में बतौर प्रोफेसर कर दिया गया है.

याद आया उत्तरा पंत बहुगुणा विवादः गौरतलब है कि कुछ इसी तरह जनप्रतिनिधि की नाराजगी का खामियाजा शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा को भी साल 2018 में भुगतना पड़ा था. दरअसल 57 वर्षीय उत्तरा पंत बहुगुणा तब उत्तरकाशी के नौगांव क्षेत्र के एक प्राइमरी स्कूल में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत थीं. ऐसे में 2015 में अपने पति की मृत्यु के बाद से ही शिक्षिका परेशान चल रही थी. वह अपने तबादले को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक गुहार लगा रही थी.

ऐसे में जून 2018 को शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में अपने तबादले की गुहार लेकर पहुंच गईं. लेकिन शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा की गुहार तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इतनी नागवार गुजरी कि मुख्यमंत्री उन पर बिफर गए और शिक्षिका की उनसे जनता दरबार में ही तू-तू, मैं-मैं हो गई.

ये भी पढ़ेंः IAS अधिकारी सुशील कुमार बने कुमाऊं कमिश्नर

कर दिया था बर्खास्तः तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा का यह विवाद इतना बढ़ गया था कि मुख्यमंत्री ने तत्काल शिक्षिका की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए थे. उन्होंने शिक्षिका को हिरासत में लेने तक कह दिया. वहीं मुख्यमंत्री के आदेश के बाद बहुगुणा को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ पुलिस ने शांति भंग का चालान किया. जिसके बाद उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया. जहां से उन्हें जमानत पर किसी तरह रिहा किया गया.

तबादला तो नहीं, लेकिन परेशान कियाः वहीं, मुख्यमंत्री की नाराजगी शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा पर यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद जनवरी 2019 में शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी कर नौगांव ब्लॉक के 3 राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू की. जिसमें 2 सहायक और एक प्रिंसिपल शामिल थीं. यह प्रिंसिपल और कोई नहीं उतरा पंत बहुगुणा ही थीं. इस तरह शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा का तबादला देहरादून तो नहीं किया गया. लेकिन उन्हें परेशान करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा गया. उत्तरा पंत बहुगुणा खुद राज्य सरकार और प्रशासन पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगा चुकी हैं.

देहरादूनः देहरादून को शिक्षा के हब से भी जाना जाता है. लेकिन शिक्षा के हब में शिक्षकों पर जनप्रतिनिधियों की हनक ऐसी है कि नाराजगी की आग शिक्षक के तबादले से ठंडी होती है. फिर चाहे वह शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा हो या फिर प्राचार्य डॉ रामगोपाल नौटियाल.

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की नाराजगी पर अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान के प्राचार्य डॉ रामगोपाल नौटियाल का तबादला कर दिया गया है. इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर जून 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा के बीच हुए विवाद की याद दिला दी है.

दरअसल, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामगोपाल नौटियाल के तबादले को इसलिए सामान्य नहीं माना जा सकता. क्योंकि, यह तबादला एक जनप्रतिनिधि के नाराजगी के चलते हुआ है. दरअसल बीती 11 जुलाई को अल्मोड़ा जिले की कोविड प्रभारी मंत्री रेखा आर्य की ओर से अल्मोड़ा के विकास भवन में कोविड की समीक्षा बैठक की जा रही थी. तभी, अचानक बैठक में मौजूद अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामगोपल नौटियाल के पास विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान का फोन आ गया.

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ऐसे में प्राचार्य की ओर से बैठक के बीच फोन रिसीव कर लिया गया. बस फिर क्या अल्मोड़ा कोविड प्रभारी मंत्री रेखा आर्य को ये बात इतनी नागवार गुजरा कि उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए तुरंत तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और स्वास्थ्य सचिव को अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के खिलाफ शिकायती पत्र लिख डाला. उन्होंने सीधे तौर पर प्राचार्य को उनके पद से हटाने की मांग कर डाली.

आखिरकार अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामगोपाल नौटियाल को मंत्री की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा है. डॉ. नौटियाल का तबादला हल्द्वानी के टीबी एंड चेस्ट विभाग राजकीय मेडिकल कॉलेज में बतौर प्रोफेसर कर दिया गया है.

याद आया उत्तरा पंत बहुगुणा विवादः गौरतलब है कि कुछ इसी तरह जनप्रतिनिधि की नाराजगी का खामियाजा शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा को भी साल 2018 में भुगतना पड़ा था. दरअसल 57 वर्षीय उत्तरा पंत बहुगुणा तब उत्तरकाशी के नौगांव क्षेत्र के एक प्राइमरी स्कूल में बतौर प्रिंसिपल कार्यरत थीं. ऐसे में 2015 में अपने पति की मृत्यु के बाद से ही शिक्षिका परेशान चल रही थी. वह अपने तबादले को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक गुहार लगा रही थी.

ऐसे में जून 2018 को शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में अपने तबादले की गुहार लेकर पहुंच गईं. लेकिन शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा की गुहार तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इतनी नागवार गुजरी कि मुख्यमंत्री उन पर बिफर गए और शिक्षिका की उनसे जनता दरबार में ही तू-तू, मैं-मैं हो गई.

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कर दिया था बर्खास्तः तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा का यह विवाद इतना बढ़ गया था कि मुख्यमंत्री ने तत्काल शिक्षिका की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए थे. उन्होंने शिक्षिका को हिरासत में लेने तक कह दिया. वहीं मुख्यमंत्री के आदेश के बाद बहुगुणा को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ पुलिस ने शांति भंग का चालान किया. जिसके बाद उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया. जहां से उन्हें जमानत पर किसी तरह रिहा किया गया.

तबादला तो नहीं, लेकिन परेशान कियाः वहीं, मुख्यमंत्री की नाराजगी शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा पर यहीं खत्म नहीं हुई. इसके बाद जनवरी 2019 में शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी कर नौगांव ब्लॉक के 3 राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू की. जिसमें 2 सहायक और एक प्रिंसिपल शामिल थीं. यह प्रिंसिपल और कोई नहीं उतरा पंत बहुगुणा ही थीं. इस तरह शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा का तबादला देहरादून तो नहीं किया गया. लेकिन उन्हें परेशान करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा गया. उत्तरा पंत बहुगुणा खुद राज्य सरकार और प्रशासन पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगा चुकी हैं.

Last Updated : Jul 16, 2021, 10:10 PM IST
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