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World TB Day: उत्तराखंड में हर साल बढ़ रहे TB के मरीज, 30 हजार एक्टिव केस

उत्तराखंड में पिछले 5 सालों का टीबी मरीजों का रिकॉर्ड देखा जाए तो मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्तमान में उत्तराखंड में 30 हजार टीबी मरीज एक्टिव हैं. दुनिया में हर साल टीबी से 15 लाख मरीजों की मौत होती है. जिसमें करीब 3 लाख 75 हजार मरीजों की मौत सिर्फ भारत में होती है.

World TB Day
विश्व टीबी दिवस
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Published : Mar 24, 2022, 5:45 PM IST

Updated : Mar 24, 2022, 7:32 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. उत्तराखंड में 'टीबी हारेगा और देश जीतेगा' इस स्लोगन के साथ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने एक संकल्प लिया है. विश्व तपेदिक दिवस (world TB day) पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने इस रोग की गंभीरता को लेकर जागरूक करने का संकल्प लिया है. लेकिन बावजूद इसके टीबी के मरीजों में पिछले 5 साल में इजाफा देखने को मिला है.

दरअसल, राजधानी देहरादून में विश्व तपेदिक दिवस (24 मार्च) के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में स्वास्थ्य कर्मियों ने टीबी जागरूकता पर बल दिया. इस दौरान राज्य के ट्यूबरक्लोसिस इंचार्ज डॉ एसके झा ने बताया कि 2021 के सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में इस समय 30 हजार के करीब टीबी के मरीज हैं, जबकि 2020 का नोटिफिकेशन सर्वे 62% था. वर्तमान में नोटिफिकेशन 72% है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग 100% लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. इसके लिए मरीज डिटेक्ट हों और उनका प्रॉपर इलाज किया जा सके.

उत्तराखंड में हर साल बढ़ रहे TB के मरीज

एक साल में 15 लाख मौतेंः उन्होंने बताया कि लेट डिटेक्शन के कारण 1 टीबी का मरीज 10 से 11 लोगों को संक्रमित कर सकता है. उसको रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि दुनिया भर में हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत क्षय रोग (Tuberculosis disease) के कारण हो जाती है. इनमें से एक चौथाई से ज्यादा मौत अकेले भारत में होती है. इसलिए तपेदिक से प्रदेश को मुक्त किए जाने के प्रयास निरंतर जारी हैं.
ये भी पढ़ेंः World TB Day: पौड़ी में टीबी के 1124 एक्टिव मरीज, बागेश्वर में 82 का चल रहा इलाज

कमलेश कुमार ने उठाया बीड़ाः डॉ. झा ने बताया कि जागरूकता ही इसका बचाव है, क्योंकि समय पर जानकारी होने के बाद इसका पूरा इलाज होना चाहिए. वहीं, इस बीमारी से लड़ कर जीतने वाले मरीज भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं. ऐसे ही एक मरीज कमलेश कुमार का कहना है कि वह लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए जागरूक करने के साथ ही तपेदिक को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य अपने साथ लेकर चल रहे हैं.

सरकार देती है मुफ्त इलाजः गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग उन मरीजों तक पहुंचने का भी प्रयास कर रहा है, जो इलाज से दूर हैं. ऐसे मरीजों को 500 रुपये प्रति माह और निशुल्क इलाज व दवा की व्यवस्था दी जाती है. इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग का मकसद है कि आने वाले दो से तीन सालों में उत्तराखंड में टीबी को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए.

उत्तराखंड में बढ़ रहे TB के मरीजः पिछले 5 सालों के टीबी के मरीजों की बात करें तो 2017 में 22 हजार टीबी के मरीज थे. जबकि 2018 में ये संख्या 28 हजार के करीब पहुंच गई. हालांकि, 2019 में 20 हजार से अधिक मरीज रिकॉर्ड किए गए. वहीं, 2020 में 20 हजार का आंकड़ा मौजूद है. लेकिन 2021 में ये आंकड़ा ऊछलकर 30 हजार के करीब पहुंच गया. ये सभी आंकड़े हर साल टीबी दिवस (24 मार्च) को प्रस्तुत किए गए हैं.

देहरादूनः उत्तराखंड में ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. उत्तराखंड में 'टीबी हारेगा और देश जीतेगा' इस स्लोगन के साथ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने एक संकल्प लिया है. विश्व तपेदिक दिवस (world TB day) पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग ने इस रोग की गंभीरता को लेकर जागरूक करने का संकल्प लिया है. लेकिन बावजूद इसके टीबी के मरीजों में पिछले 5 साल में इजाफा देखने को मिला है.

दरअसल, राजधानी देहरादून में विश्व तपेदिक दिवस (24 मार्च) के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में स्वास्थ्य कर्मियों ने टीबी जागरूकता पर बल दिया. इस दौरान राज्य के ट्यूबरक्लोसिस इंचार्ज डॉ एसके झा ने बताया कि 2021 के सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में इस समय 30 हजार के करीब टीबी के मरीज हैं, जबकि 2020 का नोटिफिकेशन सर्वे 62% था. वर्तमान में नोटिफिकेशन 72% है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग 100% लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. इसके लिए मरीज डिटेक्ट हों और उनका प्रॉपर इलाज किया जा सके.

उत्तराखंड में हर साल बढ़ रहे TB के मरीज

एक साल में 15 लाख मौतेंः उन्होंने बताया कि लेट डिटेक्शन के कारण 1 टीबी का मरीज 10 से 11 लोगों को संक्रमित कर सकता है. उसको रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि दुनिया भर में हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत क्षय रोग (Tuberculosis disease) के कारण हो जाती है. इनमें से एक चौथाई से ज्यादा मौत अकेले भारत में होती है. इसलिए तपेदिक से प्रदेश को मुक्त किए जाने के प्रयास निरंतर जारी हैं.
ये भी पढ़ेंः World TB Day: पौड़ी में टीबी के 1124 एक्टिव मरीज, बागेश्वर में 82 का चल रहा इलाज

कमलेश कुमार ने उठाया बीड़ाः डॉ. झा ने बताया कि जागरूकता ही इसका बचाव है, क्योंकि समय पर जानकारी होने के बाद इसका पूरा इलाज होना चाहिए. वहीं, इस बीमारी से लड़ कर जीतने वाले मरीज भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं. ऐसे ही एक मरीज कमलेश कुमार का कहना है कि वह लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए जागरूक करने के साथ ही तपेदिक को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य अपने साथ लेकर चल रहे हैं.

सरकार देती है मुफ्त इलाजः गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग उन मरीजों तक पहुंचने का भी प्रयास कर रहा है, जो इलाज से दूर हैं. ऐसे मरीजों को 500 रुपये प्रति माह और निशुल्क इलाज व दवा की व्यवस्था दी जाती है. इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग का मकसद है कि आने वाले दो से तीन सालों में उत्तराखंड में टीबी को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए.

उत्तराखंड में बढ़ रहे TB के मरीजः पिछले 5 सालों के टीबी के मरीजों की बात करें तो 2017 में 22 हजार टीबी के मरीज थे. जबकि 2018 में ये संख्या 28 हजार के करीब पहुंच गई. हालांकि, 2019 में 20 हजार से अधिक मरीज रिकॉर्ड किए गए. वहीं, 2020 में 20 हजार का आंकड़ा मौजूद है. लेकिन 2021 में ये आंकड़ा ऊछलकर 30 हजार के करीब पहुंच गया. ये सभी आंकड़े हर साल टीबी दिवस (24 मार्च) को प्रस्तुत किए गए हैं.

Last Updated : Mar 24, 2022, 7:32 PM IST
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