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टैक्सी चालकों ने प्रशासन पर लगाया भेदभाव का आरोप, कहा- दोहरे मानक क्यों?

वीकेंड पर सैलानी मसूरी का रुख कर रहे हैं. लेकिन इस सब की बीच उन्हें अब सख्ती के साथ पुलिस-प्रशासन द्वारा RTPCR रिपोर्ट मांगी जा रही है.

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टैक्सी चालकों ने प्रशासन पर लगाया भेदभाव का आरोप
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Published : Jul 23, 2021, 7:00 AM IST

Updated : Jul 24, 2021, 9:58 AM IST

देहरादून: कोविड कर्फ्यू में सरकार की ओर से दी जा रही राहत के चलते देश के साथ ही प्रदेश में भी एक बार फिर पर्यटन गतिविधियां दोबारा पटरी पर लौटने लगी हैं. ऐसे में वीकेंड पर पहाड़ों की रानी मसूरी का रुख करने वाले सैलानियों से पुलिस-प्रशासन द्वारा RTPCR रिपोर्ट मांगी जा रही है. वहीं, टैक्सी चालकों का कहना है कि जब वे सैलानियों को लेकर मसूरी का रुख करते हैं तो उन्हें रोक दिया जाता है और सैलानियों के RTPCR रिपोर्ट दिखाने के बाद ही गंतव्य तक जाने दिया जा रहा है, लेकिन ऐसा रोडवेज की बसों में सवार होने वाले यात्रियों के साथ नहीं किया जा रहा है, उन्हें सीधे एन्ट्री दी जा रही है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए देहरादून से पर्यटकों को लेकर मसूरी जाने वाले टैक्सी चालकों ने बताया कि RTPCR Report के नाम पर शासन-प्रशासन टैक्सी चालकों के साथ भेदभाव कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब वह किसी पर्यटक को अपनी टैक्सी से मसूरी लेकर जाते हैं तो RTPCR रिपोर्ट के नाम पर उनकी टैक्सियों को मसूरी रोड पर पड़ने वाले को कोठालगेट चेक पोस्ट पर ही रोक लिया जाता है.

टैक्सी चालकों ने प्रशासन पर लगाया भेदभाव का आरोप

पढ़े-कांग्रेस: गोदियाल को संगठन की कमान, प्रीतम नेता प्रतिपक्ष, हरदा पर चुनाव प्र'भार'

यदि पर्यटक के पास RTPCR रिपोर्ट नहीं होती है तो उनकी टैक्सियों को मसूरी जाने से रोक दिया जाता है. वहीं, जब टैक्सी में बैठा पर्यटक उत्तराखंड परिवहन निगम की बस पर सवार होकर मसूरी जाता है तो उससे किसी तरह की RTPCR रिपोर्ट नहीं मांगी जाती है. इस स्थिति में अब मसूरी जाने वाले पर्यटक टैक्सियों के बजाय उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों से ही मसूरी जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. जिससे सीधे टैक्सी चालकों की कमाई पर असर पड़ रहा है.

जहां एक तरफ मसूरी जाने के लिए RTPCR रिपोर्ट अनिवार्य किए जाने के बाद से ही टैक्सी चालक खासे नुकसान से गुजर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड परिवहन निगम को इसका सीधा लाभ मिल रहा है. रोडवेज कर्मचारी संघ परिषद के अध्यक्ष मेजपाल सिंह ने बताया कि पिछले दो सप्ताह से पर्यटक टैक्सियों की बजाए निगम की बसों से मसूरी जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

पढ़ें-स्पीकर अग्रवाल ने CM से की चारधाम यात्रा खोलने की मांग, राहत पैकेज के लिए जताया आभार

इस स्थिति में एक दिन में निगम की बसें लगभग 32 बार सवारियों को लेकर मसूरी का रुख कर रही है. जहां एक तरफ टैक्सी में सवार सैलानियों से पुलिस-प्रशासन द्वारा RTPCR Report मांगी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर रोडवेज बस में सवार सैलानियों को इस प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या निगम की बसों में बैठकर मसूरी जाने वाले पर्यटकों से कोरोना फैलने का कोई खतरा नहीं ?

देहरादून: कोविड कर्फ्यू में सरकार की ओर से दी जा रही राहत के चलते देश के साथ ही प्रदेश में भी एक बार फिर पर्यटन गतिविधियां दोबारा पटरी पर लौटने लगी हैं. ऐसे में वीकेंड पर पहाड़ों की रानी मसूरी का रुख करने वाले सैलानियों से पुलिस-प्रशासन द्वारा RTPCR रिपोर्ट मांगी जा रही है. वहीं, टैक्सी चालकों का कहना है कि जब वे सैलानियों को लेकर मसूरी का रुख करते हैं तो उन्हें रोक दिया जाता है और सैलानियों के RTPCR रिपोर्ट दिखाने के बाद ही गंतव्य तक जाने दिया जा रहा है, लेकिन ऐसा रोडवेज की बसों में सवार होने वाले यात्रियों के साथ नहीं किया जा रहा है, उन्हें सीधे एन्ट्री दी जा रही है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए देहरादून से पर्यटकों को लेकर मसूरी जाने वाले टैक्सी चालकों ने बताया कि RTPCR Report के नाम पर शासन-प्रशासन टैक्सी चालकों के साथ भेदभाव कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब वह किसी पर्यटक को अपनी टैक्सी से मसूरी लेकर जाते हैं तो RTPCR रिपोर्ट के नाम पर उनकी टैक्सियों को मसूरी रोड पर पड़ने वाले को कोठालगेट चेक पोस्ट पर ही रोक लिया जाता है.

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यदि पर्यटक के पास RTPCR रिपोर्ट नहीं होती है तो उनकी टैक्सियों को मसूरी जाने से रोक दिया जाता है. वहीं, जब टैक्सी में बैठा पर्यटक उत्तराखंड परिवहन निगम की बस पर सवार होकर मसूरी जाता है तो उससे किसी तरह की RTPCR रिपोर्ट नहीं मांगी जाती है. इस स्थिति में अब मसूरी जाने वाले पर्यटक टैक्सियों के बजाय उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों से ही मसूरी जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. जिससे सीधे टैक्सी चालकों की कमाई पर असर पड़ रहा है.

जहां एक तरफ मसूरी जाने के लिए RTPCR रिपोर्ट अनिवार्य किए जाने के बाद से ही टैक्सी चालक खासे नुकसान से गुजर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड परिवहन निगम को इसका सीधा लाभ मिल रहा है. रोडवेज कर्मचारी संघ परिषद के अध्यक्ष मेजपाल सिंह ने बताया कि पिछले दो सप्ताह से पर्यटक टैक्सियों की बजाए निगम की बसों से मसूरी जाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

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इस स्थिति में एक दिन में निगम की बसें लगभग 32 बार सवारियों को लेकर मसूरी का रुख कर रही है. जहां एक तरफ टैक्सी में सवार सैलानियों से पुलिस-प्रशासन द्वारा RTPCR Report मांगी जा रही है. वहीं, दूसरी ओर रोडवेज बस में सवार सैलानियों को इस प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या निगम की बसों में बैठकर मसूरी जाने वाले पर्यटकों से कोरोना फैलने का कोई खतरा नहीं ?

Last Updated : Jul 24, 2021, 9:58 AM IST
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