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भू-वैज्ञानिक बोले- चमोली आपदा से सबक लेने की जरूरत, भविष्य के लिए रहें तैयार

चमोली आपदा के बाद इस बात पर एक बार फिर जोर दिया जाने लगा कि हिमालयी क्षेत्रों में विकास कार्य विशेषज्ञों द्वारा तैयारी की गई रिपोर्ट के आधार पर ही किया जाए, ताकि ये विकास योजनाएं भविष्य के कोई बड़ा खतरा न बनें.

Chamoli disaster
चमोली आपदा
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Published : Mar 23, 2021, 4:20 PM IST

देहरादून: चमोली आपदा से सबक लेते हुए भविष्य के लिए कुछ योजनाएं बनाने पर जोर दिया जा रहा हैं. अब हिमालयी क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों को लेकर बनाई जाने वाले कमेटी की रिपोर्ट पर आधार पर ही आगे के कार्य किए जाएंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर हिमालय क्षेत्रों में विकास कार्य कर रहे हैं, तो उस विकास कार्यों में कमेटी जो अपनी रिपोर्ट सौंपती हैं, उसी के आधार पर ही विकास कार्य होने चाहिए. ताकि भविष्य में यह विकास कार्य किसी आपदा का कारण न बने.

चमोली आपदा से सबक लेने की जरूरत.

ज्यादा जानकारी देते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि जब हिमालयी क्षेत्रों में किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन वर्क करते हैं. तो उससे पहले एक एक्सपर्ट कमेटी की राय ली जाती हैं. जिसमें वह सभी जानकारियां निहित होती है कि हिमालय क्षेत्र के इस जगह पर अगर कोई विकास कार्य किया जा रहा है तो भविष्य में इसका कोई नुकसान नहीं होगा.

पढ़ें- लोक जनशक्ति पार्टी ने उठाई आवाज, गरीबों को मिले PM आवास योजना का लाभ

जिस कमेटी से राय ली जाती है, उस कमेटी में तमाम क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित राय देते हैं. मुख्य रूप से देखें तो हिमालयी क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए विशेषज्ञों की राय की आवश्यकता होती है. साथ ही बताएं कि अर्बन डेवलपमेंट के विकास को लेकर बहुत तरह के प्रयास सरकारों द्वारा किए जाते हैं,. लेकिन कितना विकास किया जाना है, इसको तय किया जाना बेहद आवश्यक है. इसी वजह से विशेषज्ञों की राय ली जाती है. ऐसे में अगर विशेषज्ञों द्वारा दी गई राय के तहत ही कार्य कराए जाते हैं तो भविष्य में उस विकास कार्यों से कोई नुकसान नहीं होता है. लेकिन अगर विशेषज्ञों की राय के मुताबिक, काम नहीं किया जाता है तो भविष्य में तमाम तरह की दिक्कतें भी देखने को मिलती है, जिनके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा. लिहाजा हिमालयी क्षेत्रों में जितने भी प्रोजेक्ट संचालित किए जाते हैं उनमें कमेटी के राय के अनुरूप ही विकास कार्य को अंजाम तक पहुंचाया जाए.

देहरादून: चमोली आपदा से सबक लेते हुए भविष्य के लिए कुछ योजनाएं बनाने पर जोर दिया जा रहा हैं. अब हिमालयी क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों को लेकर बनाई जाने वाले कमेटी की रिपोर्ट पर आधार पर ही आगे के कार्य किए जाएंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर हिमालय क्षेत्रों में विकास कार्य कर रहे हैं, तो उस विकास कार्यों में कमेटी जो अपनी रिपोर्ट सौंपती हैं, उसी के आधार पर ही विकास कार्य होने चाहिए. ताकि भविष्य में यह विकास कार्य किसी आपदा का कारण न बने.

चमोली आपदा से सबक लेने की जरूरत.

ज्यादा जानकारी देते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि जब हिमालयी क्षेत्रों में किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन वर्क करते हैं. तो उससे पहले एक एक्सपर्ट कमेटी की राय ली जाती हैं. जिसमें वह सभी जानकारियां निहित होती है कि हिमालय क्षेत्र के इस जगह पर अगर कोई विकास कार्य किया जा रहा है तो भविष्य में इसका कोई नुकसान नहीं होगा.

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जिस कमेटी से राय ली जाती है, उस कमेटी में तमाम क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित राय देते हैं. मुख्य रूप से देखें तो हिमालयी क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए विशेषज्ञों की राय की आवश्यकता होती है. साथ ही बताएं कि अर्बन डेवलपमेंट के विकास को लेकर बहुत तरह के प्रयास सरकारों द्वारा किए जाते हैं,. लेकिन कितना विकास किया जाना है, इसको तय किया जाना बेहद आवश्यक है. इसी वजह से विशेषज्ञों की राय ली जाती है. ऐसे में अगर विशेषज्ञों द्वारा दी गई राय के तहत ही कार्य कराए जाते हैं तो भविष्य में उस विकास कार्यों से कोई नुकसान नहीं होता है. लेकिन अगर विशेषज्ञों की राय के मुताबिक, काम नहीं किया जाता है तो भविष्य में तमाम तरह की दिक्कतें भी देखने को मिलती है, जिनके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा. लिहाजा हिमालयी क्षेत्रों में जितने भी प्रोजेक्ट संचालित किए जाते हैं उनमें कमेटी के राय के अनुरूप ही विकास कार्य को अंजाम तक पहुंचाया जाए.

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