देहरादून: गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के अवसर पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत भी नजर आएगी. देवभूमि की झांकी को इस बार भी परेड में शामिल किया जा रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन के बाद राज्य सूचना विभाग की ओर से मानसखंड पर आधारित झांकी का प्रस्ताव रखा गया था. जिसे गणतंत्र दिवस 2023 परेड के लिए झांकी फाइनल (Uttarakhand tableau for Republic Parade) कर लिया गया है. .
झांकी के अगले और मध्य भाग में कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करते हुए हिरण, बारहसिंगा, मोर सहित उत्तराखंड में पाए जाने वाले विभिन्न पशु पक्षी दिखाई देंगे. साथ ही इस झांकी में जागेश्वर मंदिर को दर्शाया गया है. वहीं झांकी के साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति (Folk culture of Uttarakhand) को प्रदर्शित करने के लिए छोलिया नृत्य का दल सम्मिलित होगा. इसके अतिरिक्त झांकी का थीम सॉन्ग उत्तराखंड की लोक संस्कृति पर आधारित होगा. राज्य गठन के बाद अब 14वीं बार उत्तराखंड की झांकी कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड का हिस्सा बनेगी.
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बता दें कि 2022 की झांकी मोक्षधाम भगवान बदरीनाथ, टिहरी डैम, हेमकुंड साहिब के साथ ही ऐतिहासिक डोबरा-चांठी पुल मॉडल पर आधारित थी. वहीं साल 2021 की झांकी बात की जाए तो केदारखंड के मॉडल पर आधारित थी, जोकि राजपथ पर निकली झांकियों में देश में तीसरे स्थान पर रही थी. तब उत्तराखंड को पहली बार झांकी (tableau of Uttarakhand) को लेकर पुरस्कार मिला था. गौर हो कि गणतंत्र दिवस की झांकी के लिए लगभग 27 राज्यों ने अपने प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किए थे, जिनमें से केवल 16 राज्यों का ही अंतिम चयन हुआ है.
राजपथ पर कब-कब नजर आई उत्तराखंड की झांकी: राज्य गठन के बाद से अब तक 12 बार साल 2003 में फूलदेई, 2005 में नंदा राजजात यात्रा, 2006 में फूलों की घाटी, 2007 में कार्बेट नेशनल पार्क, 2009 में साहसिक पर्यटन, 2010 में कुंभ मेला, 2014 में जड़ी बूटी, 2015 में केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, 2018 में ग्रामीण पर्यटन, 2019 में अनासक्ति आश्रम कौसानी, 2021 में केदारनाथ धाम की झांकी नजर आई. जबकि, 2022 में हेमकुंड साहिब-बदरीनाथ धाम की झलक देखने को मिली थी.